खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग और FCI ने खाद्यान्न खरीद और वितरण की दक्षता तथा जवाबदेही बढ़ाने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए
खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) और भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने खाद्यान्न खरीद और वितरण की दक्षता तथा जवाबदेही बढ़ाने के लिए आज दिल्ली में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।
समझौता ज्ञापन में एफसीआई डिपो के प्रदर्शन मानक सहित विशिष्ट प्रदर्शन मानक और जवाबदेही उपायों की रूपरेखा दी गई है। इनका उद्देश्य खाद्य सुरक्षा संचालन के प्रबंधन में सार्वजनिक निधियों के उपयोग को अनुकूलतम बनाना है। एफसीआई डिपो के प्रदर्शन मानक में डिपो दक्षता मापदंड जैसे क्षमता उपयोग, परिचालन घाटा, सुरक्षा उपाय, डिपो में प्रक्रियाओं का आधुनिकीकरण और स्वचालन आदि शामिल हैं।
यह समझौता ज्ञापन एक पहल है जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में सुधार करने तथा एफसीआई संचालन और इसके डिपो के प्रदर्शन में समग्र वृद्धि के माध्यम से खाद्य सब्सिडी निधि का प्रबंधन उच्चतम स्तर की दक्षता के साथ किया जाना सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
एफसीआई की स्थापना 1965 में संसद के खाद्य निगम अधिनियम,1964 संख्या 37 के तहत की गई थी, जिसका प्राथमिक कर्तव्य खाद्यान्नों की खरीद, भंडारण, संचालन/परिवहन, वितरण और बिक्री करना था।
निगम, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) की ओर से सार्वजनिक सेवा प्रदान करता है। इसका अपना कोई आय स्रोत नहीं है और इसके सार्वजनिक सेवा अधिदेश को पूरी तरह से भारत सरकार द्वारा जारी खाद्य सब्सिडी के माध्यम से वित्तपोषित किया जाता है।
यह यथोचित है कि इस तरह के बड़े सार्वजनिक व्यय का मूल्यांकन उनकी लागत-प्रभावशीलता और पैसे के मूल्य के आधार पर किया जाए। इसके लिए महत्वपूर्ण परिचालन मापदंडों पर प्रदर्शन की बेंचमार्किंग और संस्थागत जवाबदेही स्थापित करना आवश्यक है।