विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को मॉरीशस के विपक्षी नेता अरविन बूलेल सहित वहां के शीर्ष राजनीतिक नेताओं से मुलाकात की और उनसे द्वीपीय राष्ट्र के साथ भारत की विशेष और स्थायी साझेदारी को गहरा करने के तरीकों पर चर्चा की। जयशंकर मंगलवार को दो दिवसीय यात्रा पर यहां पहुंचे। विदेश मंत्री के रूप में अपने वर्तमान कार्यकाल में यह उनका पहला दौरा था।
विदेश मंत्री ने मंगलवार को कहा था, “यह हमारे द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती और गहराई को रेखांकित करता है। यह मॉरीशस के साथ भारत की विशेष और स्थायी साझेदारी के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को रेखांकित करने का भी अवसर है।” जयशंकर ने बूलेल के साथ मॉरीशस-भारत संबंधों और हिंद महासागर क्षेत्र की समृद्धि और कल्याण के लिए इसके महत्व पर चर्चा की।
जयशंकर ने ‘एक्स’ पर लिखा, “हमारे संबंधों को लगातार मजबूत करने के लिए उनके समर्थन का स्वागत है।” बूलेल का जन्म पोर्ट लुई में एक आर्य समाजी भारतीय मूल के मॉरीशस के परिवार में हुआ था, वे लेबर पार्टी के पूर्व नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री सैटकैम बूलेल के पुत्र हैं। उन्होंने पार्टी मौरिसियन सोशल डेमोक्रेट के नेता जेवियर ल्यूक डुवाल से भी मुलाकात की।
मुलाकात के बाद जयशंकर ने ‘एक्स’ पर कहा, “भारत-मॉरीशस साझेदारी को मजबूत करने पर विचारों का अच्छा आदान-प्रदान हुआ।” उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्रियों पॉल बेरेन्जर और नवीन रामगुलाम से भी मुलाकात की। जयशंकर ने कहा, “पूर्व प्रधानमंत्री पॉल बेरेन्जर से मिलकर अच्छा लगा। समकालीन वैश्विक मुद्दों पर जीवंत बातचीत हुई। भारत-मॉरीशस संबंधों के लिए उनके समर्थन की सराहना करता हूं।” बेरेन्जर 2003 से 2005 तक मॉरीशस के प्रधानमंत्री रहे।
जयशंकर ने ‘एक्स’ पर लिखा, “आज सुबह पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. रामगुलाम से मिलकर खुशी हुई। हमारी दीर्घकालिक द्विपक्षीय साझेदारी और इसके आगे विकास की व्यापक इच्छा पर चर्चा की। भारत-मॉरीशस संबंधों के लिए उनके समर्थन की सराहना करता हूं।”
रामगुलाम के पूर्वज बिहार से मॉरीशस चले आए थे। वह दिसंबर 1995 से सितंबर 2000 तक पहली बार प्रधानमंत्री रहे। पांच जुलाई 2005 को वे दूसरे कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री बने और 2014 तक इस पद पर रहे।