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चुनाव अधिकारियों के लिए निर्वाचन आयोग का दो दिवसीय प्रशिक्षण सत्र

मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) श्री ज्ञानेश कुमार ने आज नई दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डेमोक्रेसी एंड इलेक्शन मैनेजमेंट (आईआईआईडीईएम) में बिहार के निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों (ईआरओ) और बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) तथा हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के ईआरओ और बीएलओ पर्यवेक्षकों के लिए दो दिवसीय क्षमता निर्माण प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन किया। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम, आगामी विधानसभा चुनावों के लिए आयोग की चल रही तैयारियों का हिस्सा है। इस मिश्रित बैच प्रशिक्षण कार्यक्रम में जमीनी स्तर के कुल 369 चुनाव अधिकारी भाग ले रहे हैं।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) के साथ-साथ बीएलओ और ईआरओ सही और अपडेट मतदाता सूची सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार हैं और उन्हें जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950, मतदाता पंजीकरण नियम 1960 और समय-समय पर ईसीआई द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार सख्ती से काम करना है। इस महीने की शुरुआत में, बिहार के 10 मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के लगभग 280 बीएलए को भी आईआईडीईएम में प्रशिक्षित किया गया था।

यह प्रशिक्षण, मतदाता पंजीकरण, फॉर्म हैंडलिंग और चुनावी प्रक्रियाओं के क्षेत्र-स्तरीय कार्यान्वयन के क्षेत्रों में प्रतिभागियों की व्यावहारिक समझ को बढ़ाने के लिए आयोजित किया गया है। इसमें अधिकारियों को ईवीएम और वीवीपैट का तकनीकी प्रदर्शन और प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। प्रतिभागियों को आरपी अधिनियम 1950 की धारा 24 (ए) के तहत डीएम/जिला कलेक्टर/कार्यकारी मजिस्ट्रेट और धारा 24 (बी) के तहत राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के साथ प्रकाशित अंतिम मतदाता सूची के खिलाफ पहली और दूसरी अपील के प्रावधानों से भी परिचित कराया गया। गौरतलब है कि 6-10 जनवरी 2025 तक विशेष सारांश संशोधन (एसएसआर) अभ्यास पूरा होने के बाद बिहार, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से कोई अपील दायर नहीं की गई थी।

पाठ्यक्रम में संवादात्मक सत्र, घर-घर सर्वेक्षण, केस स्टडी और फॉर्म 6, 6ए, 7 और 8 भरने के लिए व्यावहारिक अभ्यास शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, प्रतिभागियों को वोटर हेल्पलाइन ऐप (वीएचए) और बीएलओ ऐप पर व्यावहारिक प्रशिक्षण प्राप्त होगा।

आयोग के आईटी और ईवीएम प्रभागों के अनुभवी राष्ट्रीय स्तर के मास्टर प्रशिक्षकों (एनएलएमटी) और विशेषज्ञों द्वारा ये सत्र चलाए जा रहे हैं। ये सत्र संवादात्मक हैं और इनमें क्षेत्र-स्तरीय सामान्य त्रुटियों और उनसे बचने के तरीकों पर चर्चा की जाएगी।

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