वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट में कुछ राज्यों के साथ भेदभाव बरतने के आरोप को खारिज किया
वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन ने आम बजट में कुछ राज्यों के साथ भेदभाव बरतने के आरोप को खारिज किया है। आज राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस की नेतृत्व में विपक्ष लगातार यह प्रयास कर रहा है कि विपक्षी दलों वाले राज्यों को बजट में कुछ नहीं दिया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि किसी भी बजट में हर राज्य का नाम नहीं लिया जा सकता। उन्होंने कहा कि अगर किसी विशेष राज्य का नाम बजट भाषण में न लिया गया हो तो इसका मतलब यह नहीं कि र्केन्द्र सरकार की उन योजनाओं का लाभ उन राज्यों को नहीं मिलेगा। श्रीमती सीतारामन ने कहा कि केन्द्रीय बजट में महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के लिए कई विकास कार्यक्रमों की घोषणा की गई है।
आज सवेरे सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने इस मुद्दे को उठाते हुए आरोप लगाया कि केन्द्रीय बजट सरकार को बचाने का प्रयास था। उन्होंने कहा कि विपक्ष इसका विरोध करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि विकास कैसे होगा जब बजट ही संतुलित नहीं है। बाद में विपक्षी दलों ने सदन से वॉकआउट किया।
इससे पहले, विपक्षी सांसदों के स्थगन नोटिस को खारिज करते हुए सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि राजनीतिक दलों के नेताओं को इस मुद्दे पर विचार करने की जरूरत है क्योंकि यह सदन की हर बैठक में एक नियमित मामला बनता जा रहा है। उन्होंने कहा कि वह पहले ही संकेत दे चुके हैं कि असाधारण परिस्थितियों में ऐसे नोटिस स्वीकार किये जाते हैं। उन्होंने बताया कि पिछले 36 वर्षों में केवल छह अवसरों पर स्थगन सूचनाएं स्वीकार की गईं।
लोकसभा में भी इसी मुद्दे पर विपक्षी सदस्यों ने सदन से वॉकआउट किया। आज सवेरे सदन की बैठक शुरू होते ही कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, डीएमके और तृणमूल कांग्रेस तथा अन्य सदस्यों ने आंध्रप्रदेश और बिहार के अतिरिक्त अन्य राज्यों के साथ कथित रूप से भेदभाव बरतने पर विरोध प्रदर्शन किया। अध्यक्ष ओम बिडला ने इस पर आपत्ति दर्ज की और कहा कि सदन को शून्यकाल के दौरान योजनाबद्ध तरीके से बाधित करना सही नहीं है।
संसदीय मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने भी विपक्षी सदस्यों के व्यवहार पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि सर्वदलीय बैठक के दौरान सभी दलों के नेताओं ने सदन की सुचारू कार्यवाही चलाने पर सहमति व्यक्त की थी। उन्होंने कहा कि प्रश्नकाल के दौरान विरोध प्रदर्शन उपयुक्त नहीं है।