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H130 Helicopter Fuselage Manufacturing Contract Signed between Airbus and Mahindra Aerostructures Pvt. Ltd
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एयरबस और महिंद्रा एयरोस्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के बीच एच130 हेलीकॉप्टर फ्यूजलेज विनिर्माण अनुबंध पर हस्ताक्षर

नागर विमानन मंत्री राम मोहन नायडू ने आज एयरबस और महिंद्रा एयरोस्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के बीच एच130 हेलीकॉप्टर फ्यूजलेज विनिर्माण अनुबंध पर हस्ताक्षर हेतु आयोजित समारोह की अध्यक्षता की। नागर विमानन मंत्रालय में आयोजित इस कार्यक्रम में नागर विमानन सचिव वुमलुनमंग वुलनम, एयरबस इंडिया और साउथ एशिया के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक रेमी मैलार्ड, महिंद्रा समूह के ग्रुप सीईओ और प्रबंध निदेशक डॉ. अनीश शाह और साझेदार उद्योगों के वरिष्ठ नेतृत्व की उपस्थिति रही।

यह सहयोग भारत की विमानन यात्रा में एक महत्वपूर्ण क्षण है, जो देश की औद्योगिक क्षमता में वैश्विक विश्वास को और मजबूत करता है। महिंद्रा एयरोस्ट्रक्चर और एयरबस के बीच साझेदारी विमानन क्षेत्र में भारत की प्रगति और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के प्रति हमारी दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

अपने संबोधन में राम मोहन नायडू ने कहा, “मुझे लगता है कि एच130 हेलीकॉप्टर फ्यूजलेज के विनिर्माण और संयोजन के लिए यह अनुबंध एयरबस जैसी वैश्विक कंपनियों के भारतीय उद्योग की क्षमता में विश्वास का प्रमाण है। 2011 में अपनी स्थापना के बाद से, महिंद्रा एयरोस्ट्रक्चर ने साबित कर दिया है कि एयरोस्पेस उद्योग में एक नये भागीदार के रूप में भी, यह एयरबस जैसी प्रमुख वैश्विक कंपनियों के लिए विश्व स्तरीय पुर्जे और असेंबली प्रदान कर सकता है। नागर विमानन मंत्री के रूप में, मुझे इस बात पर गर्व है कि आज हर एयरबस वाणिज्यिक विमान और हेलीकॉप्टर भारत में डिजाइन किए जाने के साथ उनके विनिर्माण और रखरखाव की महत्वपूर्ण तकनीक के साथ-साथ उनके पुर्जे भी रखता है। आज हम विमान के पुर्जों के विनिर्माण के लिए एक नया मानदंड स्थापित कर रहे हैं। मेरा मानना ​​है कि यह केवल एयरबस के बहुमूल्य समर्थन से ही संभव हो पाया है।”

विमानन के क्षेत्र में भारत की तीव्र प्रगति के बारे में चर्चा करते हुए राम मोहन नायडू ने कहा:

  • भारत विश्व के सबसे बड़े नागर विमानन बाजारों में से एक बनने के लिए तैयार है तथा अगले 20 वर्षों में इसके बेड़े में 2,200 से अधिक विमान शामिल होने की उम्मीद है।
  • 2030 तक भारत प्रतिवर्ष 630 मिलियन यात्रियों को संभालेगा, जो वर्ष-दर-वर्ष 6-8 प्रतिशत वृद्धि करेगा।
  • अगले 10-15 वर्षों में घरेलू एयरोस्पेस विनिर्माण बाजार बढ़कर 10 बिलियन डॉलर का उद्योग बन सकता है, जिसमें संरचनात्मक घटक, एवियोनिक्स प्रणालियां आदि शामिल होंगी।
  • राम मोहन नायडू ने भारतीय एमएसएमई और स्टार्टअप के अनुकरणीय योगदान की भी सराहना की, जो एयरबस और बोइंग जैसे वैश्विक ओईएम को सालाना 2 बिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के विमान के पुर्जों की आपूर्ति करते हैं।

यह आयोजन फरवरी 2025 में राम मोहन नायडू की अध्यक्षता में हुई बैठक के परिणाम पर आधारित है, जिसमें भारत में विमान के पुर्जों के विनिर्माण में तेजी लाने पर ध्यान केंद्रित किया गया था। वरिष्ठ अधिकारियों, उद्योग जगत की हस्तियों और विशेषज्ञों की उपस्थिति में हुई इस बैठक का उद्देश्य घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने के लिए एक एकीकृत रोडमैप तैयार करना था।

नागर विमानन सचिव वुमलुनमंग वुअलनम ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि एच130 फ्यूजलेज अनुबंध से न केवल भारत में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियां और रोजगार आएंगे, बल्कि घरेलू एमआरओ क्षमताओं और मजबूत विनिर्माण आधार के विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।

भारत में दो फाइनल असेंबली लाइनें हैं; एक सी295 सैन्य विमान के लिए, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज ने किया, तथा आगामी एच125 हेलीकॉप्टर असेंबली लाइन भारत के संपन्न एयरोस्पेस इको-सिस्टम और एयरबस जैसी वैश्विक कंपनियों के साथ इसकी रणनीतिक साझेदारी के प्रतीक हैं।

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