इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रॉस्पेरिटी (IPEF) स्वच्छ अर्थव्यवस्था निवेशक फोरम के उद्घाटन के अवसर पर एक बैठक का आयोजन किया
वाणिज्य विभाग और इन्वेस्ट इंडिया ने भारत में विभिन्न निवेश अवसरों को प्रदर्शित करने के लिए इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रॉस्पेरिटी (आईपीईएफ) स्वच्छ अर्थव्यवस्था निवेशक फोरम के उद्घाटन के अवसर पर एक बैठक का आयोजन किया।
वाणिज्य विभाग के सचिव सुनील बर्थवाल ने अपने उद्घाटन संबोधन में कहा कि भारत की विकास दर अन्य उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में लगभग दोगुनी है और यह विचारणीय विषय है। उन्होंने कहा कि इस मजबूत विकास के कारण ही देश में वापस आने की सकारात्मक स्थितियां बन रही हैं। उन्होंने कहा कि जो भारतीय स्टार्ट-अप कभी पूंजी पहुंच और कर लाभों के लिए विदेशों का रूख कर गए थे, अब स्वदेश वापसी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज डिजिटल अर्थव्यवस्था के साथ-साथ एआई जैसी उभरती हुई प्रौद्योगिकियां और डेटा सेंटर का उदय भविष्य के भारतीय विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं।
सिंगापुर के मरीना बे सैंड्स में आयोजित इस बैठक में 60 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें अमेरिका, सिंगापुर, जापान, ऑस्ट्रेलिया, कोरिया और अन्य देशों के वैश्विक निवेशकों के साथ-साथ भारत के निजी क्षेत्र और सरकारी विभागों के अधिकारी शामिल हुए। इस कार्यक्रम में टेमासेक, ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर पार्टनर्स, गारंटको, प्राइवेट इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट ग्रुप (पीआईडीजी), गोल्डमैन सैक्स, आई स्क्वैयर्ड कैपिटल, मिजुहो बैंक लिमिटेड, एडवांटेज पार्टनर्स, नोमुरा, डीबीएस बैंक और सिटी बैंक जैसे आईपीईएफ सदस्य देशों के निवेशक और वित्तीय संस्थान भी उपस्थित रहे। भारतीय बुनियादी ढांचे और जलवायु क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों ने अपने समाधान प्रदर्शित किए और वैश्विक बाजारों में प्रवेश करने के लिए अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के साथ संपर्क साधा।
सिंगापुर में भारतीय उच्चायुक्त डॉ. शिल्पक अंबुले ने भारतीय विकास को गति देने वाले बुनियादी घटकों पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने कहा कि भौतिक और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश का भारतीय अर्थव्यवस्था पर कई गुना प्रभाव पड़ेगा और विधायी और नियामक परिवर्तनों ने इसे बाजार अनुकूल क्षेत्र बनाया है। यह अनुकूल और पूर्वानुमानित नीतिगत वातावरण प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में बदलाव और बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण के भारतीय प्रयास देश को इसमें शामिल होने में सक्षम बनाएंगे। इसके पश्चात भारत के अवसरों पर एक प्रस्तुति दी गई। इन्वेस्ट इंडिया ने विभिन्न सरकारी प्रमुख पहलों, एक समृद्ध स्टार्टअप इकोसिस्टम, विभिन्न उद्योगों में कुशल और प्रतिभाशाली पेशेवरों का एक बड़ा समूह, बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश के लिए प्रोत्साहन, विनियमन को सुव्यवस्थित करने, पारदर्शिता बढ़ाने और कारोबार में आसानी जैसे सुधार के उद्देश्य से नीतिगत सुधार के माध्यम से भारत की आगामी रणनीति को प्रस्तुत किया।
इन्वेस्ट इंडिया के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी निवृति राय ने कहा कि भारत नेट जीरो लक्ष्यों को पूरा करने के लिए मजबूत बुनियादी ढांचे, जलवायु प्रौद्योगिकी और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए निवेशकों, स्वच्छ अर्थव्यवस्था फर्मों और अभिनव स्टार्टअप के साथ सहयोग करने का इच्छुक है।
चार्टिंग इंडिया ऑपरच्युनिटी नामक फायरसाइड चैट के दौरान अपने संबोधन में वरिष्ठ अर्थशास्त्री और कार्यकारी निदेशक राधिका राव ने उल्लेख किया कि भारत की ताकत 4 सी अर्थात नीति और सुधारों में स्थिरता और निरंतरता; सरकार, घरेलू खर्च और निजी क्षेत्र के माध्यम से पूंजीगत व्यय में वृद्धि; विनिर्माण क्षेत्रों की ओर व्यापार की संरचना में बदलाव; अगले 5 वर्षों में खपत में वृद्धि में हैं।
नोमुरा की प्रबंध निदेशक सोनल वर्मा ने नोमुरा इंडिया रिपोर्ट के बारे में विस्तार से जानकारी दी। रिपोर्ट से पता चलता है कि किसी भी अन्य देश की तुलना में सबसे अधिक संख्या में कंपनियां भारत के लेकर आशान्वित हैं। इस सर्वेक्षण में लगभग 130 कंपनियों शामिल रहीं, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों और देश में अपने निवेश की जानकारी दी। भारत सेमीकंडक्टर असेंबली से लेकर परीक्षण, ऑटोमोबाइल से लेकर पूंजीगत वस्तुओं तक के व्यापक क्षेत्रों में निवेश आकर्षित कर रहा है।
आई स्क्वैयर्ड के प्रबंध निदेशक कुणाल अग्रवाल ने कहा कि भारत इंफ्रास्ट्रक्चर डिजिटल क्रांति के क्षेत्र में एक बेहतर दौर से गुजर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत को एक भेदभाव रहित निवेश स्थल के अवसर के रूप में देखा जाता है।
कार्यक्रम के दौरान, उद्योग के सदस्यों ने कहा कि उद्घाटन मंच भारत-प्रशांत क्षेत्र में आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि रहा। उन्होंने चुनौतियों का सामना करने और विकास के लिए नए अवसरों का सृजन करने के लिए उद्योगों के साथ मिलकर कार्य करने के महत्व पर बल दिया। मंच ने स्वच्छ अर्थव्यवस्था और आपूर्ति श्रृंखला के उदार स्वरूप की महत्वपूर्ण व्यवस्था को भी रेखांकित किया।
आईपीईएफ और स्वच्छ अर्थव्यवस्था निवेशक मंच के बारे में
समृद्धि के लिए इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रॉस्पेरिटी (आईपीईएफ) का मई 2022 में शुभारंभ किया गया था और वर्तमान में इसमें 14 भागीदार- ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई दारुस्सलाम, फिजी, भारत, इंडोनेशिया, जापान, कोरिया गणराज्य, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका और वियतनाम शामिल हैं। आईपीईएफ में सहयोग के चार स्तंभ अर्थात व्यापार, आपूर्ति श्रृंखला, स्वच्छ अर्थव्यवस्था और निष्पक्ष अर्थव्यवस्था शामिल हैं। इस क्षेत्र के देशों को उदार, स्थायी और समावेशी आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने पर सहयोग करने के लिए एक मंच प्रदान करता है और इसका उद्देश्य क्षेत्र में सहयोग, स्थिरता और समृद्धि में योगदान करना है।
आईपीईएफ स्वच्छ अर्थव्यवस्था निवेशक मंच, आईपीईएफ के तहत पहलों में से एक, क्षेत्र के शीर्ष निवेशकों, परोपकारी संस्थाओं, वित्तीय संस्थानों, नवोन्मेषी कंपनियों, स्टार्ट-अप और उद्यमियों को दीर्घकालीक बुनियादी ढांचे, जलवायु प्रौद्योगिकी और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश जुटाने के लिए एक मंच प्रदान करता है।