insamachar

आज की ताजा खबर

Home Minister Amit Shah moved a motion in the Rajya Sabha to approve the imposition of President's rule in Manipur, the House approved the motion
भारत

गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य सभा में मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के अनुमोदन के लिए प्रस्ताव रखा, सदन ने प्रस्ताव का अनुमोदन किया

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज राज्य सभा में मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के अनुमोदन के लिए प्रस्ताव रखा। सदन ने प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया।

प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया कि मणिपुर सरकार के सामने कोई अविश्वास प्रस्ताव नहीं आया था क्योंकि विपक्ष के पास यह प्रस्ताव लाने के लिए पर्याप्त सदस्य ही नहीं हैं। अमित शाह ने कहा कि उनकी पार्टी के मुख्यमंत्री ने इस्तीफा दिया और फिर राज्यपाल ने भाजपा के 37, एनपीपी के 6, एनपीएफ के 5, जद (यू) के 1 और कांग्रेस के 5 विधानसभा सदस्यों से चर्चा की। जब अधिकतर सदस्यों ने कहा कि वे सरकार बनाने की स्थिति में नहीं हैं, तब कैबिनेट ने राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा की, जिसे राष्ट्रपति महोदया ने स्वीकार किया।

अमित शाह ने कहा कि राष्ट्रपति शासन 13 फरवरी को लगाया गया, जबकि दिसंबर, 2024 से आज तक मणिपुर में कोई हिंसा नहीं हुई। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की भ्रांति फैलाने का प्रयास नहीं करना चाहिए। अमित शाह ने कहा कि 13 फरवरी, 2025 से 7 साल पहले की स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि मणिपुर में उस वक्त विपक्ष की सरकार थी और तब वहां औसतन एक साल में 200 से अधिक दिन मणिपुर में बंद, ब्लॉकेड और कर्फ्यू रहता था और 1000 से अधिक लोग एनकाउंटर्स में मारे गए थे। उन्होंने कहा कि उस वक्त भी तत्कालीन प्रधानमंत्री ने मणिपुर का दौरा नहीं किया था।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि जातीय हिंसा और नक्सलवाद में फर्क है। उन्होंने कहा कि दो समुदायों के बीच जब नस्लीय हिंसा होती है और हथियार लेकर देश की सरकार और जनता के खिलाफ खड़े नक्सलवादियों, दोनों से निपटने का तरीका अलग-अलग है। उन्होंने कहा कि विपक्ष को इन दोनों हिंसा में कोई फर्क नहीं दिखता है। अमित शाह ने कहा कि यहबहुत संवेदनशील विषय है और इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बंगाल में सैकड़ों साल तक संदेशखली में महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार होता रहा लेकिन विपक्ष ने कुछ नहीं किया और आर जी कार मामले में भी कुछ नहीं किया। यह डबल स्टैंडर्ड ज़्यादा दिन नहीं चल सकता है। गृह मंत्री ने कहा किमणिपुर में जातीय हिंसा में 260 लोग मारे गए हैं, लेकिन बंगाल में तो चुनावी हिंसा में ही ढाई सौ लोग मार दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष दो सीटें जीतकर हमें सबक सिखाना चाहता है लेकिन देश की जनता ने तीन आम चुनावों में लगातार इन्हें सबक सिखाया है।

अमित शाह ने कहा कि 2004 से 2014 के बीच नॉर्थईस्ट में 11,327 हिंसकघटनाएं हुईं, लेकिन मोदी सरकार के दस साल में ये घटनाएं 70 प्रतिशत घटकर 3,428 रह गई हैं। सुरक्षाबलों की मृत्यु में 70 प्रतिशत और नागरिकों की मृत्यु में 85 प्रतिशत की कमी हुई है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने नॉर्थईस्ट में 20 शांति समझौते किए हैं और 10 हज़ार से अधिक युवाओं ने हथियार डालकर आत्मसमर्पण किया है।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि मणिपुर की जातीय हिंसा में अब तक 260 लोग मारे गए हैं जिनमें से 70 प्रतिशत पहले 15 दिन में ही मारे गए थे। उन्होंने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब मणिपुर में नस्लीय हिंसा हुई है। उन्होंने सदन को बताया कि मणिपुर में 1993 से 1998 तक 5 साल तक नागा-कुकी संघर्ष हुआ, जिसमें 750 मौतें हुईं और छिटपुट घटनाएं एक दशक तक चलती रहीं। उन्होंने कहा कि उस वक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री वहां नहीं गए। 1997-98 में कुकी-पाइते संघर्ष हुआ, जिसमें 50 से अधिक गांव नष्ट हुए, 13 हज़ार लोग विस्थापित हुए, 352 लोग मारे गए, सैकड़ों घायल हुए और 5 हज़ार घर जलाए गए। अमित शाह ने कहा कि 1993में 6 माह तक चले मैतेई-पंगल संघर्ष में 100 से अधिक मृत्यु हुईं थीं। इन हिंसाओं के दौरान भी तत्कालीन प्रधानमंत्री वहां नहीं गए। उन्होंने कहा कि उस वक्त उनकी पार्टी ने हिंसा का राजनीतिकरण नहीं किया था लेकिन आज विपक्ष राजनीतिक तंज कसकर मणिपुर के घावों पर नमक छिड़कने का काम कर रहा है।

अमित शाह ने कहा कि मणिपुर उच्च न्यायालय के आदेश से पहले, 7 साल के शासन में मणिपुर में एक भी दिन बंद और कर्फ्यू नहीं रहा और न ही हिंसा हुई। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के एक फैसले के कारण मणिपुर के जनजातीय और गैरजनजातीय समुदायों के बीच जातीय हिंसा शुरू हुई थी। उन्होंने कहा कि यह हिंसा न तो सरकारी विफलता है, न आतंकवाद और धार्मिक संघर्ष है, बल्कि हाई कोर्ट के एक फैसले की व्याख्या से दो समुदायों में फैली असुरक्षा की भावना के कारण हुई जातीय हिंसा है। उन्होंने कहा कि अगले ही दिन सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश को स्टे कर दिया था क्योंकि वहएक असंवैधानिक आदेश था।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि मणिपुर में राष्ट्रपति शासन किसी को बचाने या अविश्वास प्रस्ताव के कारण नहीं लगाया गया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति शासन लगने के बाद भारत सरकार के गृह सचिव रहे अजय कुमार भल्ला जी को वहां का राज्यपाल बनाया गया है और अब वहां शांति है। उन्होंने सदन को बताया कि दोनों पक्षों के बीच कई बैठकें हो चुकी हुई हैं, इस सदन के चलने के समय भी दो बैठकें हुई हैं और दोनों समुदायों की नई दिल्ली में जल्द ही एक और बैठक होने की संभावना है। गृह मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि दोनों समुदाय स्थिति को समझेंगे और संवाद का रास्ता अपनाएंगे। उन्होंने कहा कि मणिपुर में स्थिति सामान्य होते ही एक भी दिन राष्ट्रपति शासन नहीं रखा जाएगा क्योंकि राष्ट्रपति शासन उनकी पार्टी की नीति नहीं है।

LEAVE A RESPONSE

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *