केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज पश्चिम बंगाल में Central Forensic Science Laboratory (CFSL), कोलकाता के नए भवन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर केन्द्रीय गृह सचिव सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
अपने संबोधन में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में एक विज़न के साथ भारत सरकार सुरक्षित, पारदर्शी और एविडेंस-बेस्ड क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम के निर्माण में लगी है। उन्होंने कहा कि इस प्रयास में आज एक और कड़ी जुड़ने जा रही है। उन्होंने कहा कि 88 करोड़ रूपए की लागत से कोलकाता में बनी Forensic Science Laboratory (FSL) के माध्यम से पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, ओडिशा, असम, सिक्किम और नॉर्थईस्ट के सभी राज्यों को एविडेंस-बेस्ड क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम डेवलप करने और एक हॉलिस्टिक अप्रोच की भूमिका का निर्वहन करने में मदद मिलेगी। अमित शाह ने कहा कि हमारे तीन नए आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन में एविडेंस, फॉरेंसिक साइंस और दोषियों को सज़ा कराने में इनके महत्व को समझाने, अपनाने और इन्हें हर पुलिस स्टेशन तक पहुंचाने में इस FSL की बहुत बड़ी भूमिका रहेगी।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार पूरे देश में FSL का नेटवर्क तैयार कर 3-4 राज्यों के क्लस्टर बनाकर वहां के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को एविडेंस-बेस्ड बनाने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि इस क्लस्टर अप्रोच से फॉरेंसिक साइंस को थाने तक पहंचाने तक की अप्रोच, फॉरेंसिक साइंस को एविडेंस में महत्व देने के लिए हर कोर्ट तक पहुंचाने की प्रक्रिया और हर थाने में जांच अधिकारी को इसका महत्व समझाने का अभियान जनवरी, 2026 से शुरू किया जाएगा। इसके माध्यम से पूरे देश के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को तर्क की जगह एविडेंस-बेस्ड बनाया जाएगा जिससे दोषियों को संदेह का लाभ नहीं मिल सकेगा और पीड़ित को न्याय मिलेगा। अमित शाह ने कहा कि यह पूरी प्रक्रिया तभी संभव है जब पुलिस थाने, पब्लिक प्रॉसीक्यूटर और कोर्ट इस पूरी प्रक्रिया का महत्व समझकर उसे अपनाएं और कामकाज में महत्व दें। उन्होंने कहा कि FSL का नेटवर्क तैयार कर क्लस्टर अप्रोच से जटिल मामलों में विशेषज्ञों की मदद से निर्णय पर पहुंचने के साथ पूरी क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में आमूलचूल परिवर्तन होगा। उन्होंने कहा कि आज यहां नारकोटिक्स संस्करण 2.0 औऱ एक्सप्लोसिव संस्करण 2.0 का भी विधिवत विमोचन हुआ है जो देशभर की फॉरेंसिक साइंस लैब्स को कई प्रकार के काम करने में सरलता प्रदान करेंगे।
अमित शाह ने कहा कि आज जब 21वीं सदी में हम हमारे ट्रांसेक्शन्स, कम्युनिकेशन, आइडेंटिटी और बेसिक डिटेल्स एक ही जगह पर स्टोर हो रहे हैं तो अपराध का स्वरूप भी तेज़ी से बदल रहा है। उन्होंने कहा कि ये बहुत जरूरी है कि अपराध रोकने वाले, अपराधियों से दो कदम आगे रहें और इसमें अगर हम विज्ञान और स्पष्ट कानूनों का उपयोग नहीं करते हैं, तो हम अपराधियों से दो कदम आगे नहीं रह सकते। उन्होंने कहा कि फॉरेंसिक ऑडिट से अब बड़े-बड़े आर्थिक घोटाले भी बाहर आ रहे हैं और हमारा क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम एक नए युग में प्रवेश कर रहा है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, भारत के लोगों द्वारा चुनी गई संसद द्वारा भारत के लोगों के संविधान प्रदत्त अधिकारों की रक्षा के लिए बनाए गए कानून हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने 160 साल पुराने अंग्रेज़ों द्वारा बनाए गए कानूनों को खत्म किया और नए भारत के नए कानून लाई है। उन्होंने कहा कि लोगों को न्याय दिलाने की दिशा में ये एक क्रांतिकारी बदलाव है क्योंकि अब प्रमाण के अभाव में दोषी नहीं छूट सकेंगे। उन्होंने कहा कि इन कानूनों में आने वाले 100 वर्षों तक तकनीक में आने वाले संभावित सभी बदलावों को समाहित कर अभी से परिभाषित कर दिया गया है।
अमित शाह ने कहा कि नए आपराधिक कानूनों में क्राइम सीन इन्वेस्टिगेशन और ट्रायल में तकनीक के उपयोग को कानूनी आधार दिया गया है। अमित शाह ने कहा कि 7 वर्ष से अधिक सज़ा वाले अपराधों में फॉरिंसिक साइंस टीम की विज़िट अनिवार्य की गई है। उन्होंने कहा कि इन कानूनों में समय पर न्याय मिलने की चिंता की गई है और 60 दिन में आरोपपत्र दाखिल करने का प्रावधान रखा गया है। उन्होंने कहा कि अब लगभग 60 प्रतिशत मामलों में 60 दिन में आरोपपत्र दाखिल होने लगे हैं, जो एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि ट्रायल इन एब्सेंशिया के माध्यम से कानून की पकड़ से बाहर रहने वालों का उनकी अनुपस्थिति में हम ट्रायल करेंगे, उन्हें सज़ा सुनाएंगे और अंतर्राष्ट्रीय समझौतों का उपयोग कर उन्हें वापिस लाएंगे। उन्होंने कहा कि देश के 17,184 थाने CCTNS से जुड़े हैं, ऑनलाइन हैं औऱ उन सभी का डेटा एकसाथ जेनेरेट हो रहा है।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भारत सरकार की ओर से हर ज़िले में एक फॉरेंसिक मोबाइल वैन के लिए सहायता ऑफर की गई है और कई राज्यों ने अपने यहां FIR की संख्या देखकर अपने आप वैन की संख्या बढ़ा ली है। उन्होंने कहा कि National Forensic Science University (NFSU) के 16 परिसर स्वीकृत हो चुके हैं, 7 स्थापित हैं और बाकी प्रोसेस में हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा हर बड़े राज्य में एक NFSU कॉलेज बनाएंगे जिससे ट्रेंड मैनपावर मिल सके। उन्होंने कहा कि देशभर के 26 परिसरों से 36 हज़ार विद्यार्थी डिग्री, डिप्लोमा और पीएचडी के साथ बाहर निकलेंगे जबकि हमारी आवश्यकता 30 हज़ार प्रतिवर्ष है। इस प्रकार आवश्यकता के अनुसार ह्यूमन रिसोर्स बनाने का काम हम एडवांस में पूरा कर चुके हैं। अमित शाह ने कहा कि 1300 करोड़ रूपए की लागत से NFSU के 9 और कैंपस बनेंगे औऱ 860 करोड़ रूपए की लागत से 7 नई CFSL बनाई जाएंगी, जो उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, केरल और बिहार में होंगी। उन्होंने कहा कि राज्यों की फॉरेंसिक साइंस सुविधाओं को सपोर्ट देने का काम केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने किया है। उन्होंने कहा कि हम 2080 करोड़ रूपए की फॉरेंसिक क्षमताओं के आधुनिकीकरण की योजना भी ला रहे हैं और 200 करोड़ रूपए की लागत से नेश्नल फॉरेंसिक डेटा सेंटर की स्थापना भी करने की योजना है।
अमित शाह ने कहा कि हमारे संविधान निर्माताओं ने आज़ादी की स्पिरिट को संविधान में भरने का काम किया लेकिन उसे ज़मीन पर उतारने का काम हम बहुत देर से शुरू कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारा दायित्व है कि गरीब से गरीब व्यक्ति सर ऊंचा कर सिस्टम पर भरोसे के साथ थाने में जा सके औऱ न्याय प्रक्रिया से उसे कम से कम समय में न्याय मिल सके।
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