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India reiterates its commitment to a strong and forward-looking intellectual property rights regime in UK trade talks
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भारत ने ब्रिटेन व्यापार वार्ता में एक मजबूत और दूरदर्शी बौद्धिक संपदा अधिकार व्यवस्था के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई

उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के वाणिज्य विभाग ने व्यापार एवं निवेश विधि केंद्र (सीटीआईएल) के सहयोग से वाणिज्य भवन, नई दिल्ली में “भारत-ब्रिटेन सीईटीए में बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) प्रावधानों से जुड़े अवसरों और चिंताओं’’ पर एक सेमिनार का आयोजन किया। इस सेमिनार में नीति निर्माताओं, क्षेत्र विशेषज्ञों, शिक्षाविदों और उद्योग प्रतिनिधियों ने भारत-ब्रिटेन व्यापक आर्थिक एवं व्यापार समझौते (सीईटीए) के बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) प्रावधानों से संबंधित अवसरों और चिंताओं पर विचार-विमर्श किया।

सेमिनार में विशेषज्ञों ने इस बात पर ज़ोर दिया कि बौद्धिक संपदा अधिकार अध्याय नवाचार को बढ़ावा देने और पहुंच सुनिश्चित करने के बीच संतुलन बनाता है। इस बात पर ज़ोर दिया गया कि ये प्रावधान भारत के आईपी ढांचे का आधुनिकीकरण करते हुए जन स्वास्थ्य के लिए सुरक्षा उपायों को मज़बूत करते हैं। प्रतिभागियों ने दोहराया कि स्वैच्छिक लाइसेंसिंग उद्योग जगत में पसंदीदा प्रथा बनी हुई है, जबकि अनिवार्य लाइसेंसिंग और जन स्वास्थ्य से संबंधित लचीलेपन, जैसा कि दोहा घोषणापत्र में निहित है, पूरी तरह से संरक्षित हैं।

पेटेंट प्रक्रियाओं के सामंजस्य पर चिंताओं का समाधान किया गया, और विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया कि ये प्रक्रियात्मक सुधार हैं जो किसी भी तरह से भारत की नियामक स्वायत्तता को प्रभावित नहीं करते। भौगोलिक संकेत (जीआई) अवसर के एक महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में उभरे, समझौते के प्रावधानों से ब्रिटिश बाज़ार में भारतीय भौगोलिक संकेतों की मज़बूत सुरक्षा संभव हुई – जो निर्यात को बढ़ावा देने और वैश्विक स्तर पर भारत की सांस्कृतिक ब्रांडिंग को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उद्योग प्रतिनिधियों ने इस बात पर ज़ोर दिया कि इससे स्टार्ट-अप्स, एमएसएमई और पारंपरिक उत्पादकों, सभी को समान रूप से लाभ होगा।

पैनल ने समझौते से जुड़ी कई भ्रांतियों को दूर किया और स्पष्ट किया कि आईपीआर चैप्‍टर भारत की नीतिगत संभावनाओं को सीमित नहीं करता। बल्कि, यह भारत की अपनी विकासात्मक प्राथमिकताओं के अनुरूप नियम बनाने की क्षमता को मज़बूत करता है। यह भी रेखांकित किया गया कि यह अध्याय भारत के मौजूदा कानूनी ढांचे को दर्शाता है और वैश्विक साझेदारों तथा निवेशकों को एक मज़बूत और दूरदर्शी बौद्धिक संपदा व्यवस्था के प्रति देश की प्रतिबद्धता का सकारात्मक संकेत देता है।

सेमिनार का समापन इस संदेश के साथ हुआ कि भारत-ब्रिटेन सीईटीए का आईपीआर चैप्‍टर भावी व्यापार वार्ताओं के लिए एक प्रारूप प्रदान करता है – जिसमें लचीलेपन के साथ विनियामक कठोरता का संयोजन, पहुंच की सुरक्षा करते हुए नवाचार का समर्थन तथा उभरते वैश्विक व्यापार परिदृश्य में भारत की स्थिति को मजबूत करना शामिल है।

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