केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया भारत सरकार और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के बीच ‘अंतर्राष्ट्रीय व्यावसायिक वर्गीकरण’ को बढ़ावा देने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर में वर्चुअल रूप से शामिल हुए। इस समझौता ज्ञापन पर जिनेवा, स्विट्जरलैंड में भारत के राजदूत और स्थायी मिशन अरिंदम बागची और आईएलओ के महानिदेशक गिल्बर्ट एफ. हौंगबो ने हस्ताक्षर किया। यह समझौता ज्ञापन युवाओं को वैश्विक रोजगार के अवसरों का लाभ प्राप्त करने में मदद करेगा।
बहुत देशों में जनसांख्यिकीय कमी एवं डिजिटलीकरण के कारण महत्वपूर्ण कौशल की कमी होती है। इन कौशल अंतरालों को पूरा करने के लिए 2023 में भारत की अध्यक्षता में जी20 नेताओं ने कुशल प्रबंधन, नियमित एवं कौशल-आधारित प्रवासन मार्ग सुनिश्चित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। इसके लिए उन्होंने कौशल और योग्यता की आवश्यकताओं के आधार पर अंतरराष्ट्रीय व्यावसायिक वर्गीकरण के विकास का समर्थन किया।
इस अवसर पर अपने संबोधन में डॉ. मंडविया ने कहा कि भारत सरकार और आईएलओ के बीच साझेदारी तीव्र परिवर्तन के दौर में काम के भविष्य को आकार देने के लिए साझा प्रतिबद्धता दर्शाती है। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ वर्गीकरण डेटा की तुलना को बढ़ावा देगा और कौशल की आपसी पहचान को बढ़ावा देगा।
डॉ. मंडाविया ने अर्थव्यवस्था के औपचारिकीकरण की दिशा में भारत की निरंतर प्रगति पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उनके 12वें स्वतंत्रता दिवस संबोधन में घोषित प्रधानमंत्री विकासशील भारत रोजगार योजना का उल्लेख किया और कहा कि इसका उद्देश्य अगले दो वर्षों में औपचारिक क्षेत्र में 3.5 करोड़ से अधिक रोजगार सृजित करना है। डॉ. मंडाविया ने कहा कि इससे युवाओं के रोजगार में उल्लेखनीय वृद्धि होगी और सामाजिक सुरक्षा आंकड़ों का दायरा और विस्तृत होगा।
डॉ. मंडाविया ने श्रम बाजार की दक्षता एवं श्रमिक कल्याण को बढ़ाने के लिए डिजिटल नवाचार का लाभ उठाने की भारत की प्रतिबद्धता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यह प्रतिबद्धता हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन में दिखाई दिया जहां भारत ने दो प्रमुख डिजिटल सार्वजनिक वस्तुओं, राष्ट्रीय करियर सेवा (एनसीएस) पोर्टल और ई-श्रम पोर्टल को प्रस्तुत किया।
डॉ. मंडाविया ने कहा कि इन डिजिटल पहलों में अन्य सदस्य देशों द्वारा पारस्परिक शिक्षा एवं अनुकूलन की अपार संभावनाएं उपलब्ध हैं। मंत्री ने इन डिजिटल सार्वजनिक वस्तुओं से संबंधित अंतर्दृष्टि एवं अनुभव को साझा करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के सहयोग से एक समर्पित सत्र आयोजित करने की वकालत की।
अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के महानिदेशक ने कहा कि इस समझौता ज्ञापन का विश्व के देशों पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने श्रम गतिशीलता एवं सामाजिक सुरक्षा से जुड़े मामलों में भारत के अच्छे कार्यों पर प्रकाश डाला।
इस कार्यक्रम के दौरान, केंद्रीय श्रम एवं रोजगार सचिव वंदना गुरनानी ने कहा कि यह एमओयू हरित, डिजिटल एवं स्वास्थ्य सेवा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में व्यवहार्यता अध्ययन एवं प्रायोगिक अभ्यास के लिए एक रूपरेखा प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि यह समझौता ज्ञापन भविष्य में व्यापक सहयोग के लिए अवसर प्रदान करता है जिससे वैश्विक कार्यबल को लाभ मिलेगा।
यह एमओयू देश के युवाओं के लिए वैश्विक नौकरी के अवसरों को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह समझौता भारतीय श्रमिकों को वैश्विक श्रम बाजारों में सुगमता से एकीकृत होने में मदद करेगा। यह कदम भारत के विश्व की कौशल राजधानी बनने के दृष्टिकोण को बल देता है साथ ही कार्यबल की कमी से जूझ रहे देशों के लिए प्रतिभा का एक विश्वसनीय स्रोत भी बनने में सहायता प्रदान करता है।
इस पहल में भारतीय स्नातकों की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देने की क्षमता है साथ ही देश को उच्च गुणवत्ता, भविष्य के लिए तैयार शिक्षा एवं कौशल के लिए एक अंतरराष्ट्रीय केंद्र के रूप में स्थापित करने की भी क्षमता है।
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