भारत

भारतीय नौसेना पारंपरिक रूप से जोड़ कर बनाए गए ‘प्राचीन पोतों को शामिल करेगी

भारतीय नौसेना ने इस परियोजना के पूरे विस्‍तारित कार्यान्वयन की देखरेख की। इसमें होदी इनोवेशन और पारंपरिक कारीगरों के सहयोग से अवधारणा विकासित करने, डिजाइन, तकनीकी सक्षमता और निर्माण इत्‍यादि शामिल हैं। इस जोड़युक्‍त स्टिच्‍ड शिप के डिजाइन और निर्माण में कई तकनीकी चुनौतियां सामने आईं क्‍योंकि पहले का कोई खाका या भौतिक अवशेष उपलब्‍ध नहीं था। डिजाइन को दो-आयामी कलात्मक आइकनोग्राफी से प्राप्‍त करना था। परियोजना में पुरातात्विक व्याख्या, नौसेना वास्तुकला, हाइड्रोडायनामिक परीक्षण (जलगत्यात्मकता तरल पदार्थों की गति और उनके द्वारा लगाए गए बलों का अध्ययन) और पारंपरिक शिल्प कौशल के संयोजन के साथ एक विशिष्‍ट अंतःविषय दृष्टिकोण की आवश्‍यकता थी। किसी आधुनिक पोत के विपरीत, जोड़युक्‍त जहाज चौकोर पाल और स्टीयरिंग ओर्स (प्राचीन काल में नावों को नियंत्रित करने का महत्‍वपूर्ण उपकरण जो नाव को दिशा देने और मोड़ने के लिए इस्‍तेमाल किया जाता था) से सुसज्जित है। पतवार की ज्यामिति, जहाज़ की रस्‍सी और पाल के पूर्वकालिक सिद्धांतों को दोबारा समझना और परीक्षण की भी जरूरत थी। भारतीय नौसेना ने पोत के समुद्र में हाइड्रोडायनामिक व्यवहार के परीक्षण के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्‍थान मद्रास के समुद्र अभियांत्रिकी विभाग से सहयोग लिया। इसके अलावा, उसने समकालीन सामग्रियों के उपयोग के बिना डिजाइन और निर्मित लकड़ी के मस्तूल प्रणाली के आकलन के लिए आंतरिक संरचनात्मक विश्लेषण भी किया।

जहाज़ के हर पहलू को ऐतिहासिक प्रामाणिकता और समुद्री परिचालन योग्यता संतुलन के आधार पर परखा गया जिसका अनूठा डिजाइन प्राचीन भारत की समुद्री परंपराओं की दृष्टि से सर्वथा योग्‍य था। सिले हुए पतवार, चौकोर पाल, लकड़ी के पुर्जे और पारंपरिक स्टीयरिंग तंत्र का संयोजन इस जहाज़ को दुनिया में किसी अन्य नौवहन जहाज़ से अलग और विशिष्‍ट बनाता है। प्राचीन जोड़युक्‍त जहाज़ को सफलतापूर्वक पुर्निनिर्मित करने का सबसे जटिल चरण का पूरा होना कलात्मक अभिरूपण और पूर्णरूपेण कार्यात्मकता को जीवंत बनाता है।

नौसेना में शामिल किए जाने के बाद, परियोजना के दूसरे महत्वपूर्ण चरण में भारतीय नौसेना इस पोत को पारंपरिक समुद्री व्यापार मार्गों पर चलाने की महत्वाकांक्षी लक्ष्‍य पूरा करेगी, जिससे प्राचीन भारतीय समुद्री यात्रा के अहसास को दोबारा पाया जा सके। इस पोत की गुजरात से ओमान तक की पहली महासागर पार यात्रा की तैयारियां पहले ही चल रही हैं।

जोड़युक्‍त जहाज़ (स्टिच्‍ड शिप) का निर्माण पूर्ण होना भारत की समृद्ध जहाज़ निर्माण विरासत की पुष्टि के साथ ही भारत की समुद्री विरासत की जीवंत परंपराओं को संरक्षित और उसे संचालित करने की भारतीय नौसेना की प्रतिबद्धता भी दर्शाता है।

Editor

Recent Posts

CCI ने विगो इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड को बिलियनब्रेन्स गैराज वेंचर्स लिमिटेड के शेयरों के अधिग्रहण की मंजूरी दी

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने विगो इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा बिलियनब्रेन्स गैराज वेंचर्स लिमिटेड के शेयरों…

11 घंटे ago

CCI ने रीन्यू फोटोवोल्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड में ब्रिटिश इंटरनेशनल इन्वेस्टमेंट पीएलसी द्वारा प्रस्तावित निवेश को मंजूरी दी

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने रीन्यू फोटोवोल्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड में ब्रिटिश इंटरनेशनल इन्वेस्टमेंट पीएलसी द्वारा प्रस्तावित…

11 घंटे ago

CCI ने कोरोमंडल इंटरनेशनल लिमिटेड द्वारा NACL इंडस्ट्रीज लिमिटेड में कुछ इक्विटी शेयरों के अधिग्रहण को स्वीकृति दी

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने कोरोमंडल इंटरनेशनल लिमिटेड द्वारा एनएसीएल इंडस्ट्रीज लिमिटेड में कुछ इक्विटी शेयरों…

11 घंटे ago

CCI ने फेडरेशन ऑफ पब्लिशर्स एंड बुकसेलर्स एसोसिएशन इन इंडिया (FPBAI) और इसके तीन पदाधिकारियों को प्रतिस्पर्धा-विरोधी गतिविधियों के लिए फिर से दंडित किया

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने फेडरेशन ऑफ पब्लिशर्स एंड बुकसेलर्स एसोसिएशन इन इंडिया (एफपीबीएआई) और…

11 घंटे ago

NHAI ने आगामी अमरनाथ यात्रा की तैयारियों की समीक्षा के लिए बैठक आयोजित की

आगामी 'अमरनाथ यात्रा' के लिए तीर्थयात्रियों की सुगम यात्रा सुनिश्चित करने और तैयारियों में तेजी…

12 घंटे ago

मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स में निर्मित प्रोजेक्ट 17ए का दूसरा स्टेल्थ फ्रिगेट यार्ड 12652 (उदयगिरि) को भारतीय नौसेना को सौंपा गया

मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएसएल) में निर्मित प्रोजेक्ट 17ए का दूसरा स्टेल्थ फ्रिगेट यार्ड 12652…

13 घंटे ago