भारत के पहले उपग्रह आर्यभट्ट ने आज 50 वर्ष पूरे कर लिए हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन – इसरो द्वारा निर्मित इस उपग्रह को सोवियत संघ की सहायता से कपुस्टिन यार से प्रक्षेपित किया गया था। उपग्रह का उद्देश्य सौर भौतिकी, एरोनॉमी और एक्स-रे खगोल विज्ञान सहित कई क्षेत्रों का पता लगाना था।
कक्षा में पांच दिन बिताने के बाद, आर्यभट्ट में बिजली की विफलता का अनुभव हुआ, जिसके कारण सभी प्रयोग रोक दिए गए। इसके बावजूद, मूल्यवान डेटा एकत्र किया गया और वैज्ञानिकों को उपग्रह विकास में महत्वपूर्ण अनुभव हासिल हुए।
विफलता के बाद भी उपग्रह ने कुछ और दिनों तक सूचना प्रसारित करना जारी रखा। आर्यभट्ट ने अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत के प्रवेश को चिह्नित किया और देश के भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों की नींव रखी। इसके सफल प्रक्षेपण के साथ, भारत कक्षा में उपग्रह भेजने वाला दुनिया का 11वां देश बना था।