कोयला मंत्रालय ने 21 जून, 2024 को वाणिज्यिक खनन के लिए कोयला खदानों की नीलामी के 10वें दौर शुरुआत की। अग्रिम नीलामी में कुल नौ कोयला खदानों की सफलतापूर्वक नीलामी की गई, जिनमें तीन पूरी तरह से खोजी गई खदानें और छह आंशिक रूप से खोजी गई कोयला खदानें शामिल हैं। इन नौ खदानों में लगभग 3,998.73 मिलियन टन का संयुक्त भूगर्भीय भंडार है। आंशिक रूप से खोजी गई कोयला खदानों को छोड़कर, इन खदानों की अधिकतम संचयी निर्धारित क्षमता (पीआरसी) 14.10 एमटीपीए है।
इस नीलामी में कड़ी प्रतिस्पर्धा रही, जिसमें 17.44 प्रतिशत का औसत राजस्व प्राप्त हुआ। यह कोयला क्षेत्र में उद्योगों की निरंतर रुचि और मंत्रालय द्वारा एक स्थायी और पारदर्शी नीति ढांचा प्रदान करने के प्रयासों को दर्शाता है। इन खदानों से लगभग 1,446 करोड़ रुपये (आंशिक रूप से खोजी गई खदानों को छोड़कर) का वार्षिक राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है, जिससे लगभग 2,115 करोड़ रुपये का पूंजी निवेश आकर्षित होने की संभावना है और रोजगार के लगभग 19,063 अवसर मिलेंगे।
वर्ष 2020 में वाणिज्यिक कोयला खनन की शुरुआत के बाद से, कुल 113 कोयला खदानों की सफलतापूर्वक नीलामी की गई है, जिनकी उत्पादन क्षमता 257.60 मिलियन टन प्रति वर्ष है। कार्यरत होने के बाद ये खदानें घरेलू कोयला उत्पादन को बढ़ाने और देश को कोयला क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में अभूतपूर्व योगदान देंगी। सामूहिक रूप से, इन खदानों से 35,437 करोड़ रुपये का वार्षिक राजस्व, 38,641 करोड़ रुपये का पूंजी निवेश और कोयला-उत्पादन वाले क्षेत्रों में 3,48,268 लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है।
कोयला मंत्रालय की ये रणनीतिक पहल कोयला क्षेत्र को आर्थिक विकास के प्रमुख चालक के रूप में बदलने के लिए मंत्रालय की प्रतिबद्धता की पुष्टि करती हैं। ये पहल न केवल देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करती हैं, बल्कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण में योगदान देते हुए आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देती हैं और रोजगार के अवसर भी पैदा करती हैं।