वित्त मंत्रालय ने प्रतिभूति अनुबंध विनियमन नियम-1956 में किया संशोधन, भारतीय कंपनियों की प्रतिभूतियों को सीधे GIFT IFSC के अंतर्राष्ट्रीय एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध कराया जा सकेगा
वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग ने इंटरनेशनल फाइनैंशियल सर्विस सेंटर्स (आईएफएससी) के तहत अंतर्राष्ट्रीय एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध होने की इच्छुक भारतीय कंपनियों के लिए सूचीबद्धता जरूरतों को आसान और वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने के लिए प्रतिभूति अनुबंध विनियमन नियम (एससीआरआर), 1956 में संशोधन किया है।
विदेशी मुद्रा प्रबंधन (गैर-ऋण पत्र), 2019 और कंपनी (अनुमति वाले देशों में इक्विटी शेयरों की सूचीबद्धता) नियम, 2024 के तहत भारत में निगमित कंपनियों के इक्विटी शेयरों को सीधे अंतर्राष्ट्रीय एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध कराने की योजना एक व्यापक नियामकीय ढांचा प्रदान करती है। इससे भारत की सार्वजनिक कंपनियां गिफ्ट-आईएफएससी के जरिये अनुमति वाले अंतर्राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंजों पर अपने शेयर सूचीबद्ध और जारी कर सकती हैं।
इसे अधिक सुविधाजनक बनाने के लिए नए नियमों के तहत निर्धारित किया गया है कि:
- न्यूनतम सार्वजनिक पेशकश: पेशकश दस्तावेज के अनुसार आईएफएससी के तहत अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंजों पर पूरी तरह सूचीबद्ध होने की इच्छा रखने वाली भारत की सार्वजनिक कंपनियों के लिए न्यूनतम सार्वजनिक पेशकश एवं आवंटन निर्गम के बाद की पूंजी का कम से कम 10 प्रतिशत होगा।
- निरंतर सूचीबद्धता जरूरतें: ऐसी कंपनियों के लिए सूचीबद्ता को बरकरार रखने के लिए भी 10 प्रतिशत न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता निर्धारित की गई है, जैसा एससीआरआर के नियम 19 (2) (बी) और 19 ए के तहत वर्णित है।
एससीआरआर में संशोधन इन सीमाओं को कम करते हुए भारतीय स्टार्टअप और उभरते एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कंपनियों के लिए वैश्विक पूंजी तक आसान पहुंच की सुविधा प्रदान करता है। इससे खास तौर पर वैश्विक होने और अपनी मौजूदगी का विस्तार अन्य बाजारों तक करने की चाहत रखने वाली भारतीय कंपनियों को फायदा होगा।
यह पहल आईएफएससी में एक कुशल एवं विश्वस्तरीय नियामकीय एवं कारोबारी माहौल प्रदान करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है, जिससे वैश्विक वित्तीय प्रणाली में भारत की स्थिति मजबूत होगी।