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भारी उद्योग मंत्रालय ने भारत मंडपम, नई दिल्ली में पीएम ई-ड्राइव योजना शुरू की

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 11 सितंबर 2024 को देश में बिजली से चलने वाहनों को बढ़ावा देने के लिए पीएम इलेक्ट्रिक ड्राइव रिवोल्यूशन इन इनोवेटिव व्हीकल एन्हांसमेंट (पीएम ई-ड्राइव) योजना को मंजूरी दी। इस योजना के लिए दो वर्षों की अवधि को ध्यान में रखते हुए ₹10,900 करोड़ का वित्तीय परिव्यय तय किया गया है।

केंद्रीय भारी उद्योग एवं इस्पात मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने भारी उद्योग एवं इस्पात राज्य मंत्री भूपति राजू श्रीनिवास वर्मा के साथ मिलकर नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में पीएम ई-ड्राइव योजना का आधिकारिक रूप से शुभारंभ किया। इसकी शुरुआत भारत की बिजली आधारित परिवहन के क्षेत्र में क्रांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस कार्यक्रम में भारी उद्योग मंत्रालय में सचिव कामरान रिजवी, अतिरिक्‍त सचिव डॉ. हनीफ कुरैशी, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी और वाहन उद्योग के दिग्गज भी शामिल हुए।

पीएम ई-ड्राइव योजना का उद्देश्य ईवी अपनाने में तेजी लाना और पूरे देश में आवश्यक चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करना है, जिससे स्वच्छ और अधिक टिकाऊ परिवहन को बढ़ावा मिलेगा।

इस योजना के भाग के रूप में, भारी उद्योग मंत्रालय (एमएचआई) ने ईवी ग्राहकों के लिए मांग प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से ई-वाउचर पेश किए। ई-वाउचर प्रोत्साहन का लाभ उठाने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करते हैं, जिससे उपभोक्ताओं और विनिर्माताओं दोनों को एक सहज अनुभव मिलता है। कार्यक्रम के दौरान, डीलरों को ग्राहकों के लिए ई-वाउचर जारी करते हुए दिखाया गया।

कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय भारी उद्योग एवं इस्पात मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने कहा: “आज हमारे फेम (एफएएमई) योजना और इलेक्ट्रिक वाहन प्रोत्साहन योजना (ईएमपीएस) से पीएम ई-ड्राइव योजना की ओर बदलाव पर अमल करने के साथ ये एक ऐतिहासिक दिन है। महात्मा गांधी की 155वीं जयंती की पूर्व संध्या पर, हम माननीय प्रधानमंत्री के आह्वान के क्रम में न केवल ‘स्वच्छ भारत’ में योगदान दे रहे हैं, बल्कि ‘स्वच्छ वाहन’ में भी योगदान दे रहे हैं। इस पहल के माध्यम से, हम 100 दिनों के भीतर योजना शुरू करने के भारत सरकार के वादे को पूरा कर दिया है।”

उन्होंने कहा: “पीएम ई-ड्राइव योजना के शुभारंभ के साथ, भारी उद्योग मंत्रालय टिकाऊ और समावेशी गतिशीलता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है। यह पहल देश भर में ईवी अपनाने में तेजी लाने और घरेलू नवाचार एवं विनिर्माण को और बढ़ावा देने के लिए तैयार है।”

भारी उद्योग और इस्पात राज्य मंत्री, भूपति राजू श्रीनिवास वर्मा ने 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन हासिल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला। उन्होंने जोर देकर कहा कि पीएम ई-ड्राइव योजना ईवी अपनाने में तेजी लाने और देश भर में अहम चार्जिंग बुनियादी ढांचे के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, जिससे एक स्वच्छ और अधिक टिकाऊ भविष्य में योगदान दिया जा सकेगा।

भारी उद्योग मंत्रालय के सचिव कामरान रिज़वी ने भारत में बिजली आधारित परिवहन के विकास की दिशा में उनके अथक प्रयासों के लिए वाहन उद्योग से जुड़े उद्योगपतियों की सराहना की। उन्होंने सभी मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) से आग्रह किया कि वे आगे आएं और पीएम ई-ड्राइव योजना को सफल बनाने में सक्रिय रूप से योगदान दें।

योजना के प्रमुख घटक इस प्रकार हैं:

  • सब्सिडी/मांग प्रोत्साहन: ई-2डब्ल्यू, ई-3डब्ल्यू, ई-एम्बुलेंस, ई-ट्रक और उभरते ईवी वाहनों के लिए 3,679 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जिससे 24.79 लाख ई-2डब्ल्यू, 3.16 लाख ई-3डब्ल्यू और 14,028 ई-बसों को सहायता मिलेगी।
  • ई-वाउचर की पेशकश: ईवी खरीदारों के लिए आधार-प्रमाणित ई-वाउचर, खरीद के समय तैयार किए जाते हैं और पंजीकृत मोबाइल नंबरों पर भेजे जाते हैं। डीलर द्वारा प्रस्तुत करने और ओईएम प्रतिपूर्ति के लिए हस्ताक्षरित ई-वाउचर आवश्यक है।
  • ई-एम्बुलेंस: अमल में लाने के लिए ₹500 करोड़ आवंटित किए गए। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के परामर्श से मानक निर्धारित किए जाएंगे।
  • ई-बसें: 9 प्रमुख शहरों में सीईएसएल के माध्यम से 14,028 ई-बसों की खरीद के लिए ₹4,391 करोड़। स्क्रैप की गई एसटीयू बसों की जगह इन बसों को प्राथमिकता दी जाएगी।
  • ई-ट्रक: ई-ट्रकों को प्रोत्साहित करने के लिए ₹500 करोड़, प्रोत्साहन के लिए आरवीएसएफ से स्क्रैपिंग प्रमाण पत्र अनिवार्य।
  • सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन: 22,100 फास्ट चार्जर (ई-4डब्ल्यू), ई-बसों के लिए 1,800 और ई-2डब्ल्यू/3डब्ल्यू के लिए 48,400 ई-चार्जर स्थापित करने के लिए 2,000 करोड़ रुपये का परिव्यय।
  • परीक्षण एजेंसी का आधुनिकीकरण: नई ईवी प्रौद्योगिकियों के प्रबंधन के उद्देश्य से एमएचआई परीक्षण एजेंसियों को अपग्रेड करने के लिए 780 करोड़ रुपये।
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