भारत

बुद्ध की शिक्षाओं को प्रतिबिंबित करते हुए सहयोग और स्थायी शांति को गहरा करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर

संयुक्त राष्ट्र (यूएन) वेसाक दिवस 2025 के अवसर पर वियतनाम में भारत से लाए गए पवित्र बौद्ध अवशेष की प्रदर्शनी के दौरान, केन्द्रीय अल्पसंख्यक कार्य और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू की अध्यक्षता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल की उपस्थिति में, अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी) के महासचिव, महामहिम शारत्से खेंसुर रिनपोछे जंगचुप चोएडेन और राष्ट्रीय वियतनाम बौद्ध संघ (वीबीए) के अध्यक्ष और आईबीसी की धम्म परिषद के सदस्य महामहिम डॉ. थिच थीएन न्हान ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

दोनों संस्थानों के बीच 29 मई, 2022 को हुए समझौते के अनुपालन में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए, जिसका उद्देश्य सहयोग को गहरा करना और भगवान बुद्ध की शिक्षाओं में निहित करुणा, ज्ञान और शांति के साझा आदर्शों को आगे बढ़ाना है।

अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ की वियतनाम शाखा के आधिकारिक शुभारंभ के अवसर पर की गई इस घोषणा पर संघ के उपाध्यक्ष परम आदरणीय थिच थीएन फाप और भारत की ओर से आईबीसी के महानिदेशक अभिजीत हलदर ने भी हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर वियतनाम में भारत के राजदूत संदीप आर्य और वियतनाम बौद्ध विश्वविद्यालय के स्थायी कुलपति एवं आईबीसी के उपाध्यक्ष डॉ. थिच नहत थू भी उपस्थित थे। इस अवसर पर वियतनामी एसोसिएशन के कई वरिष्ठ सदस्य उपस्थित थे, जिनमें वीबीएस के वे सदस्य भी शामिल थे जो वीबीएस में भारत से संबंधित गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं।

यह व्यापक रूप से वियतनाम और उसके बाहर बौद्ध धर्म के मूल मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करेगा, जो वैश्विक शांति, सद्भाव और सतत विकास में योगदान देगा।  इससे बौद्ध परम्पराओं, विद्यालयों और सभी देशों के अनुयायियों के बीच भाईचारे के बंधन भी मजबूत होंगे।

यह सांस्कृतिक, शैक्षिक और मानवीय आदान-प्रदान कार्यक्रमों को भी सुगम बनाएगा तथा बौद्ध शिक्षाओं की समझ और प्रसार को बढ़ाने वाले अनुसंधान, प्रकाशन और आयोजनों को भी समर्थन देगा।

यह समझौता वियतनामी बौद्ध समुदाय को आईबीसी द्वारा समन्वित क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर प्रतिनिधित्व करने में सक्षम बनाता है।

आईबीसी की स्थापना के बाद से ही आईबीसी और वीबीएस पारंपरिक साझेदार रहे हैं। वीबीएस के वरिष्ठ सदस्य आईबीसी शासी निकाय के सदस्य हैं। इस समझौते से दोनों देशों के बौद्ध संस्थानों के बीच संबंध और मजबूत होंगे।

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