राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) ने 9 जून, 2024 को खबरों में आई एक मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया है कि दिनांक 8 जून, 2024 को उत्तर प्रदेश के वृन्दावन में एक फूड आउटलेट के निजी सेप्टिक टैंक के भीतर तीन श्रमिकों की मौत हो गई। कथित तौर पर, बिना किसी सुरक्षा उपकरणों के सेप्टिक टैंक के भीतर मोटर की मरम्मत करते समय वे बिजली के कंरट की चपेट में आ गए। उन्हें एक निजी ठेकेदार द्वारा काम पर रखा गया था।
आयोग ने पाया है कि मीडिया रिपोर्ट की सामग्री, यदि सत्यक है, तो यह पीड़ितों के मानव अधिकारों का उल्लंघन है। ठेकेदार और स्थानीय अधिकारियों की लापरवाही से तीन लोगों की जान चली गई। यह वास्तव में गंभीर चिंता का विषय है कि आवश्यक सुरक्षा उपकरणों के बिना भी लोक अधिकारियों के आदेश पर श्रमिकों को जीवन-घातक कृत्यों का सामना करना पड़ रहा है।
तदनुसार, आयोग ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट में मामले में दर्ज एफआईआर की स्थिति, जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ की गई कार्रवाई के साथ-साथ अधिकारियों द्वारा मृत श्रमिकों के परिजनों को प्रदान की गई राहत और पुनर्वास की स्थिति भी अपेक्षित है।
आयोग लगातार पर्याप्त और उचित सुरक्षात्मक/सुरक्षा गियर या उपकरण के बिना खतरनाक सफाई की गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध का समर्थन करता रहा है तथा खतरनाक सफाई कार्य करते समय किसी सफाई कर्मचारी की मृत्यु होने की स्थिति में संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी और जवाबदेही तय करने के अलावा, काम के अनुकूल और प्रौद्योगिकी आधारित रोबोटिक मशीनों के उपयुक्त उपयोग का भी समर्थन किया है। उस संदर्भ में, आयोग ने इस तरह की प्रथा का पूर्ण उन्मूलन सुनिश्चित करने हेतु लिए केन्द्रा, राज्य सरकारों और स्थानीय अधिकारियों को ‘खतरनाक सफाई में लगे व्यक्तियों के मानव अधिकारों की सुरक्षा’ हेतु दिनांक 24 सितंबर, 2021 को परामर्शी जारी की।
परामर्शी में, इस बात पर विशेष रूप से ध्यापन दिया गया है कि किसी भी सैनिटरी कार्य या खतरनाक सफाई कार्य के मामले में, स्थानीय प्राधिकारी और ठेकेदार/नियोक्ताओं को संयुक्त रूप से तथा व्य क्तिगत रूप से जिम्मेदार और जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए, भले ही सफाई कर्मियों की नियुक्ति किसी भी प्रकार से की गई हो।
इसके अलावा, सफाई कर्मचारी आंदोलन एवं अन्य बनाम भारत संघ एवं अन्य (डब्ल्यूपी(सी) संख्या 583/2003) में उच्चअतम न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय में विशिष्ट रूप से उल्लेबख किया गया कि सीवर आदि की सफाई के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग करना स्थानीय अधिकारियों और अन्य एजेंसियों की जिम्मेदारी और कर्तव्य है।
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