राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) ने मीडिया रिपोर्ट पर स्वतः संज्ञान लिया है। रिपोर्ट के अनुसार ग्रेटर नोएडा, गौतमबुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश में एक बहुराष्ट्रीय आईटी कंपनी के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में तीन कर्मचारी डूब गए। कथित तौर पर, वे ओवरफ्लो हो रहे सीवर को ठीक करने के लिए सबमर्सिबल पंप की मरम्मत करते समय सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के टैंक में गिर गए और डूब गए।
आयोग ने पाया है कि समाचार रिपोर्ट की सामग्री, यदि सत्य है, तो यह पीड़ितों के अधिकारों के उल्लंघन का गंभीर मुद्दा है। रिपोर्ट से ऐसा प्रतीत होता है, कि अधिकारी ऐसे जोखिमभरे कार्यों, जिनमें श्रमिकों को ऐसे जोखिमभरे कार्य करने के लिए तैनात किया गया था, के बचावों हेतु सतर्क रहने और उचित पर्यवेक्षण करने में विफल रहे हैं।
इसके अनुसार, आयोग ने मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश को नोटिस जारी कर एक सप्ताह के भीतर मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट में मामले में दर्ज की गई एफआईआर की स्थिति, दोषी व्यक्तियों के खिलाफ की गई कार्रवाई के साथ-साथ नियोक्ता और संबंधित अधिकारियों द्वारा मृतक श्रमिकों के निकटतम सबंधी को प्रदान की गई राहत और पुनर्वास की स्थिति शामिल होना चाहिए।
आयोग लगातार पर्याप्त और उचित सुरक्षात्मक/सुरक्षा गियर या उपकरणों के बिना जोखिमभरे सफाई कार्यों की गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का समर्थन करता रहा है और साथ ही काम के अनुकूल और प्रौद्योगिकी आधारित रोबोटिक मशीनों के उपयुक्त उपयोग करने पर भी जोर देता रहा है, साथ ही इसने जोखिमभरे सफाई कार्य को करते समय किसी सफाई कर्मचारी की मृत्यु होने की स्थिति में संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी और जवाबदेही तय करने का भी समर्थन किया है। आयोग ने 24 सितंबर, 2021 को केंद्र, राज्य सरकारों और स्थानीय अधिकारियों के संदर्भ हेतु ‘जोखिमभरे सफाई कार्य में लगे व्यक्तियों के मानव अधिकारों के संरक्षण’ से सबंधित परामर्शी जारी की ताकि इस तरह की प्रथा का पूर्ण उन्मूलन सुनिश्चित किया जा सके।
परामर्शी में, विशेष रूप से उल्लेख किया गया है कि किसी भी स्वच्छता कार्य या जोखिमभरे सफाई कार्य करते समय किसी भी सफाई कर्मचारी की मृत्यु के मामले में, स्थानीय प्राधिकारी और ठेकेदार/नियोक्ता को संयुक्त रूप से और अलग-अलग जिम्मेदार और जवाबदेह ठहराया जाएगा, भले ही सफाई कर्मचारी की नियुक्ति/ कार्य पर रखना किसी भी प्रकार से किया गया हो ।
इसके अलावा, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा डॉ. बलराम सिंह बनाम भारत संघ (डब्ल्यूपी (सी) संख्या 324/2020) दिनांक 20.10.2023 को दिए गए निर्णय में स्पष्ट आदेश दिया गया है कि सीवर आदि की सफाई के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग करना स्थानीय अधिकारियों और अन्य एजेंसियों का कर्तव्य है।
25 जून, 2024 की मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कर्मचारी बीस वर्ष के थे। वे पिछले दो वर्षों से कंपनी के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में रखरखाव टीम के सदस्य के रूप में तैनात थे।
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