प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज उत्तर प्रदेश के वाराणसी से क्षेत्रीय संपर्क योजना (आरसीएस) – उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक) के तहत विकसित तीन हवाई अड्डों का उद्घाटन किया। ये हवाई अड्डे हैं: मध्य प्रदेश में रीवा, छत्तीसगढ़ में अंबिकापुर और उत्तर प्रदेश में सहारनपुर। इन हवाई अड्डों से जल्द ही आरसीएस-उड़ान के तहत उड़ानें शुरू होंगी।
भारत में बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए सरकार समर्थित पहल आरसीएस-उड़ान, खासकर दूरदराज और कम सेवा वाले क्षेत्रों में, सात साल पूरे कर चुकी है। यह पहल भारत की राष्ट्रीय नागर विमानन नीति (एनसीएपी) 2016 का एक महत्वपूर्ण घटक है, जिसका केन्द्रीय नागर विमानन मंत्रालय (एमओसीए) ने 21 अक्टूबर, 2016 को 10 वर्ष के विजन के साथ शुभारंभ किया था।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 27 अप्रैल, 2017 को शिमला को दिल्ली से जोड़ने वाली पहली आरसीएस-उड़ान उड़ान का उद्घाटन किया था। यह योजना देश के कम सेवा वाले क्षेत्रों में कम सेवा वाले हवाई मार्गों को बेहतर बनाने और आम नागरिकों की आकांक्षाओं को पूरा करने पर केंद्रित है।
अब तक, आरसीएस-उड़ान ने 144 लाख से अधिक यात्रियों की यात्रा को और आसान बनाया है, जो हवाई यात्रा सुगमता बढ़ाने में इसकी सफलता को दर्शाता है।
7 वर्षों की अवधि में, उड़ान योजना के विभिन्न संस्करणों का शुभारंभ किया गया, जो इस प्रकार हैं:
बोली के चार सफल राउंडज़ के बाद, नागर विमानन मंत्रालय ने हितधारकों की प्रतिक्रिया के आधार पर कई सुधारों के साथ आरसीएस-उड़ान के 5वें संस्करण का शुभारंभ किया।
उड़ान 5.0 में श्रेणी-2 (20-80 सीटें) और श्रेणी-3 (80 से ज़्यादा सीटें) विमानों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इसी प्रकार, 600 किलोमीटर की अधिकतम सीमा हटा दी गई है तथा उड़ान कहां से शुरू हुई और उसके गंतव्य तक के बीच की दूरी पर कोई प्रतिबंध नहीं है। इस राउंड में उन मार्गों को प्राथमिकता दी गई है, जो परिचालन के लिए तैयार है या जल्द ही तैयार होने वाले हवाई अड्डों को जोड़ेंगे, जिससे दिए गए मार्गों पर आवाजाही तेजी से होगी। परिणामस्वरूप, एयरलाइनों को अब मार्ग के आवंटन के 4 महीने के भीतर परिचालन शुरू करना होगा और वे इस बदलाव का स्वागत कर रहे हैं, क्योंकि इससे उन्हें अपने परिचालन की बेहतर योजना बनाने में मदद मिलेगी।
इसके तुरंत बाद उड़ान 5.1 आया, आरसीएस-उड़ान का यह राउंड हेलीकॉप्टर ऑपरेटरों के लिए परिचालन के दायरे को बढ़ाकर, वीजीएफ को बढ़ाकर और हवाई किराए की अधिकतम सीमा को कम करके, विशेष रूप से हेलीकॉप्टर मार्गों के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह योजना अब उन मार्गों पर परिचालन की सुविधा प्रदान करेगा, बशर्ते कि कम से कम एक मूल या गंतव्य प्राथमिकता वाले क्षेत्र में हो और कम से कम एक मूल या गंतव्य एक हेलीपोर्ट हो, जिससे कनेक्टिविटी की संभावित सीमा बढ़ जाती है। ऑपरेटरों के लिए व्यवहार्यता में सुधार करने के लिए वीजीएफ कैप को बढ़ाया गया है और यात्रियों के लिए उड़ान को और अधिक किफायती बनाने के लिए हवाई किराए की अधिकतम सीमा को कम किया गया है।
बाद में, देश के दूरदराज और क्षेत्रीय क्षेत्रों में कनेक्टिविटी को और बढ़ाने, लास्ट-माइल कनेक्टिविटी हासिल करने और छोटे विमानों (<20 सीटों) के जरिए पर्यटन क्षेत्र को गति प्रदान करने के लिए उड़ान 5.2 के लिए बोली लगाई गई। यह योजना छोटे विमान ऑपरेटरों को अधिक परिचालन संबंधी लचीलापन प्रदान करेगी, जिससे उन्हें किसी भी तिमाही में सालाना उद्धृत आरसीएस सीटों के अधिकतम 40 प्रतिशत और सालाना उद्धृत आरसीएस सीटों के न्यूनतम 10 प्रतिशत संचालन करने की अनुमति मिलेगी।
नागर विमानन मंत्रालय ने उन मार्गों को चालू करने के लिए विशेष बोली राउंड शुरू किया है, जो कई कारणों से कार्यकाल पूरा होने से पहले बंद हो गए हैं, या रद्द/समाप्त हो गए हैं। ऐसे पहले से पहचाने गए मार्गों पर पॉइंट-टू-पॉइंट हवाई संपर्क को और बढ़ाने के लिए, सभी श्रेणी के एयरलाइन ऑपरेटरों से उड़ान 5.3 और उड़ान 5.4 के तहत बोलियां आमंत्रित की गई थीं। परिणामस्वरूप, उड़ान 5.3 को जनवरी 2024 में शुरू किया गया, जबकि उड़ान 5.4 पर अभी काम चल रहा है।
विमानन उद्योग में वृद्धि को बढ़ावा देना
आरसीएस-उड़ान नागर विमानन उद्योग के विकास में योगदान दे रहा है, क्योंकि पिछले सात वर्षों में कई नई और सफल एयरलाइनें सामने आई हैं। इस योजना ने एयरलाइन ऑपरेटरों को एक स्थायी व्यवसाय मॉडल शुरू करने और विकसित करने में मदद की है। इसके अलावा, यह छोटी क्षेत्रीय एयरलाइनों फ्लाईबिग, स्टार एयर, इंडियावन एयर और फ्लाई91 को अपने व्यवसाय को बढ़ाने के अवसर प्रदान कर रहा है और उनका सफल संचालन इस बात का प्रमाण है कि यह योजना एयरलाइन व्यवसाय के लिए अनुकूल इकोसिस्टम बना रही है।
सभी आकारों के नए विमानों की मांग
इस योजना के क्रमिक विस्तार ने नए विमानों की बढ़ती मांग को जन्म दिया है, साथ ही साथ तैनात विमानों के स्पेक्ट्रम को भी व्यापक बनाया है। इस वृद्धि में विमानों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है और इसमें हेलीकॉप्टर, सीप्लेन, 3-सीट प्रोपेलर विमान और जेट विमान शामिल हैं। वर्तमान में, एयरबस 320/321, बोइंग 737, एटीआर 42 और 72, डीएचसी क्यू400, ट्विन ओटर, एम्ब्रेयर 145 और 175, टेकनम पी2006टी, सेसना 208बी ग्रैंड कारवां ईएक्स, डोर्नियर 228, एयरबस एच130 और बेल 407 सहित एक विविध बेड़ा आरसीएस मार्गों पर सक्रिय रूप से सेवा दे रहा है। विमानों की बढ़ती मांग भारतीय एयरलाइन कंपनियों के ऑर्डर से पुष्ट होती है, जो अगले 10-15 वर्षों में डिलीवरी के लिए निर्धारित 1,000 से अधिक विमानों को पार कर गया है, जो भारत के मौजूदा बेड़े में महत्वपूर्ण वृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें वर्तमान में विभिन्न एयरलाइन कंपनियों द्वारा संचालित लगभग 800 विमान शामिल हैं।
पर्यटन को बढ़ावा देना
आरसीएस-उड़ान केवल टियर-2 और टियर-3 शहरों को लास्ट-माइल कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए समर्पित नहीं है; यह तेजी से बढ़ रहे पर्यटन क्षेत्र में एक प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में भी खड़ा है। उड़ान 3.0 ने उत्तर-पूर्व क्षेत्र में कई गंतव्यों को जोड़ने वाले पर्यटन मार्गों की शुरुआत की, जबकि उड़ान 5.1 पर्यटन, आतिथ्य और स्थानीय आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए पहाड़ी क्षेत्रों में हेलीकॉप्टर सेवाओं का विस्तार करने के लिए समर्पित है।
इस पहल ने खजुराहो, देवघर, अमृतसर और किशनगढ़ (अजमेर) जैसे गंतव्यों को सफलतापूर्वक जोड़ा है, जो धार्मिक पर्यटन के लिहाज से काफी प्रासंगिक हैं। पासीघाट, जीरो, होलोंगी और तेजू हवाई अड्डों की शुरुआत के कारण पूरे उत्तर-पूर्व क्षेत्र के पर्यटन उद्योग में काफी उछाल आया है, जिससे अधिक पहुंच को बढ़ावा मिला है। इस योजना ने अगत्ती द्वीप को भारतीय विमानन मानचित्र पर लाकर एक और उपलब्धि हासिल की, जिससे लक्षद्वीप में पर्यटन को और बढ़ावा मिला।
हवाई संपर्क को बढ़ावा देना
मुंद्रा (गुजरात) से अरुणाचल प्रदेश के तेजू तथा हिमाचल प्रदेश के कुल्लू से तमिलनाडु के सलेम तक, आरसीएस-उड़ान ने देश भर में 34 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को जोड़ा है। उड़ान के तहत, कुल 86 एयरोड्रोम्स को चालू किए जा चुके हैं। उत्तर-पूर्व क्षेत्र में दो हेलीपोर्ट के अलावा, दस हवाई अड्डे चालू किए जा चुके हैं। उड़ान के तहत, कई हवाई अड्डे चालू किए गए थे, जैसे दरभंगा, प्रयागराज, हुबली, बेलगाम, कन्नूर हवाई अड्डे आदि जो इन हवाई अड्डों से कई गैर-आरसीएस वाणिज्यिक उड़ानों के संचालित होने के साथ ही स्थायी बन गए हैं या जल्दी ही स्थायी बन सकते हैं।
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