प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को प्रत्येक मौसम और जलवायु के लिए स्मार्ट राष्ट्र बनाने के लिए मिशन मौसम का आज शुभारंभ किया। यह कार्यक्रम नई दिल्ली के भारत मंडपम में भारतीय मौसम विभाग के 150वें स्थापना दिवस पर आयोजित किया गया।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि मिशन मौसम एक स्थायी और भविष्य के लिए तैयार राष्ट्र के निर्माण की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। प्रधानमंत्री मोदी ने विभाग की डेढ सौ वर्ष की यात्रा की प्रशंसा करते हुए इसे देश में आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी का एक गौरवशाली अध्याय बताया। उन्होंने कहा कि मौसम विभाग लाखों भारतीयों की सेवा करते हुए भारत की वैज्ञानिक प्रगति का प्रतीक बन गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘सभी के लिए पूर्व चेतावनी’ पहल देश की 90 प्रतिशत से अधिक आबादी को सूचना देती है। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति अगले दस दिनों की मौसम संबंधी जानकारी किसी भी समय प्राप्त कर सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वास्तविक समय की मौसम संबंधी नवीन जानकारी से कृषि तथा समुद्री अर्थव्यवस्था मजबूत होती है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं का प्रभाव कम करने के लिए मौसम विज्ञान की दक्षता में वृद्धि की जानी चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत की मौसम संबंधी प्रगति ने देश की आपदा प्रबंधन क्षमता को सुदृढ़ किया है और इसका लाभ पूरी दुनिया को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि भारत की फ्लैश फ्लड गाइडेंस प्रणाली से नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और श्रीलंका को लाभ मिलता है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि विश्व बंदुत्व के रूप में भारत हमेशा प्राकृतिक आपदाओं के दौरान अन्य देशों की सहायता करने के लिए आगे रहा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारत वैश्विक सेवा और सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि देश की मौसम पूर्वानुमान क्षमताओं में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में पूर्वानुमान की सटीकता में 50 प्रतिशत सुधार हुआ है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मौसम विभाग के डेढ सौ वर्ष पूरे होने पर एक स्मारक सिक्का भी जारी किया। उन्होंने आईएमडी विज़न-2047 दस्तावेज़ भी जारी किया। इसमें मौसम पूर्वानुमान, मौसम प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने की योजनाएँ शामिल हैं।
मिशन मौसम का उद्देश्य अत्याधुनिक मौसम निगरानी तकनीक और प्रणाली विकसित करना है। इस पहल में उच्च-रिज़ॉल्यूशन वायुमंडलीय अवलोकन शामिल है। इसमें अत्याधुनिक रडार और उपग्रह तथा उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटर की व्यवस्था है।
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