राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज झारखंड के रांची में बीआईटी मेसरा के प्लेटिनम जयंती समारोह में भाग लिया।इस अवसर पर अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा युग प्रौद्योगिकी का युग है। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नई प्रगति ने हमारे जीवन जीने के तरीके को बदल दिया है। कल तक जो अकल्पनीय था, वह आज वास्तविकता बन गया है। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्ष और भी परिवर्तनीय होने जा रहे हैं, क्योंकि विशेष रूप से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग में दूरगामी प्रगति की आशा है। उन्होंने कहा कि एआई तेजी से अर्थव्यवस्थाओं को बदल रहा है, इसलिए भारत सरकार उभरते परिदृश्य पर प्रतिक्रिया देने में तत्पर रही है। उच्च शिक्षा संस्थानों में एआई को एकीकृत करने के लिए कई पहल की जा रही हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि प्रौद्योगिकी समाज में व्यापक स्तर पर व्यवधान भी उत्पन्न करती है, इसलिए हमें वंचति समूहों पर इसके प्रभाव के बारे में चिंतित रहना चाहिए। जिन शानदार अवसरों का सृजन किया जा रहे है, वे सभी के लिए उपलब्ध होने चाहिए और वर्तमान में जारी इन महत्वपूर्ण परिवर्तनों से सभी को लाभ मिलना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि अक्सर हमारे आस-पास की समस्याओं के लिए किसी बड़े तकनीकी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होती। उन्होंने युवाओं को छोटे पैमाने के पारंपरिक समाधानों के महत्व को न भूलने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि नवोन्मेषकों और उद्यमियों को पारंपरिक समुदायों के ज्ञान के आधार को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि यह प्लेटिनम जुबली- इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी और संबद्ध क्षेत्रों में शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार में बीआईटी मेसरा के योगदान का उत्सव मनाने और उसे सम्मानित करने का एक उपयुक्त अवसर है। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि यह संस्थान कई क्षेत्रों में अग्रणी रहा है। देश में अंतरिक्ष इंजीनियरिंग और रॉकेट्री का पहला विभाग 1964 में यहीं स्थापित किया गया था। इंजीनियरिंग उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए सबसे पहले विज्ञान और प्रौद्योगिकी उद्यमिता पार्क (एसटीईपी) की स्थापना भी 1975 में यहीं की गई थी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि बीआईटी मेसरा भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के निरंतर विकास में समृद्ध योगदान देना जारी रखेगा।
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