रेलवे बोर्ड ने सभी क्षेत्रीय रेलों को यात्रा के दौरान ट्रेनों से निकलने वाले कचरे के व्यवस्थित प्रबंधन और निपटान के संबंध में विस्तृत निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों का उद्देश्य स्वच्छता को बढ़ावा देना और यात्रियों के लिए एक यात्रा का सुखद अनुभव सुनिश्चित करना है।
इन निर्देशों में एक ऐसी व्यवस्था को सुदृढ़ करने पर जोर दिया गया है जिसके तहत ऑन-बोर्ड हाउसकीपिंग सेवा (ओबीएचएस) और पेंट्री कार के कर्मचारियों को यात्री डिब्बों से कचरा एकत्र करने और मार्ग में निर्दिष्ट स्टेशनों पर सीलबंद थैलों में उसका निपटान करने का निर्देश दिया गया है। यह प्रणाली ट्रेन के अंदरूनी हिस्सों और रेलवे के बुनियादी ढांचे, दोनों की स्वच्छता बनाए रखने के लिए तैयार की गई है।
नए आदेश का मुख्य उद्देश्य यात्रियों को आरामदायक और सुविधाओं से भरपूर यात्रा प्रदान करने में ऑन-बोर्ड कर्मचारियों की भूमिका सुनिश्चित करना है। डिब्बों और शौचालयों में स्वच्छ और कचरा-मुक्त वातावरण सुनिश्चित करके, ये कर्मचारी यात्रियों के आराम और सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। बोर्ड ने निर्देश दिया है कि इन अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों, जो अधिकतर संविदा पर हैं, को क्षेत्रीय रेलवे द्वारा पर्याप्त प्रशिक्षण और उपकरण प्रदान किए जाने चाहिए ताकि वे सेवा भावना को दर्शाते हुए इन जिम्मेदारियों को प्रभावी ढंग से निभा सकें।
इन प्रोटोकॉल का जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए, रेलवे बोर्ड ने संबंधित ऑन-बोर्ड कर्मचारियों के साथ तत्काल और व्यापक ‘संवाद’ कार्यक्रम शुरू करने का निर्देश दिया है। यह जागरूकता कार्यक्रम सभी क्षेत्रीय रेलों के वरिष्ठ पर्यवेक्षकों और वाणिज्यिक एवं यांत्रिक विभागों के अधिकारियों द्वारा संयुक्त रूप से संचालित किया जाएगा। इसका उद्देश्य कर्मचारियों से सीधे जुड़ना, स्वच्छ भारत मिशन में उनकी भूमिका के महत्व को समझाना और उनके सामने आने वाली किसी भी परिचालन संबंधी बाधाओं को समझना है।
‘संवाद’ सत्रों में निर्देशात्मक वीडियो दिखाए जाएंगे ताकि ट्रेन में सवार कर्मचारियों को कचरा प्रबंधन की प्रक्रियाओं को स्पष्ट रूप से समझने में मदद मिल सके और साथ ही स्वच्छ भारत मिशन के तहत ट्रेनों और स्टेशनों को साफ-सुथरा रखने की उनकी जिम्मेदारी पर जोर दिया जा सके। कर्मचारियों को कचरा और खानपान संबंधी कचरे के प्रबंधन के लिए जारी निर्देशों के साथ-साथ प्रत्येक ट्रेन के लिए निर्धारित स्टेशनों पर निपटान की प्रक्रियाओं की जानकारी दी जाएगी।
इन सत्रों में ओबीएचएस और पेंट्री कर्मचारियों के सक्रिय और जिम्मेदाराना व्यवहार की जरूरत पर जोर दिया जाएगा, साथ ही अपशिष्ट निपटान के दौरान उनके सामने आने वाली व्यावहारिक बाधाओं को भी स्वीकार किया जाएगा। मंडलों को क्षेत्रीय स्तर पर प्रधान मुख्य वाणिज्यिक प्रबंधक (पीसीसीएम) और प्रधान मुख्य यांत्रिक इंजीनियर (पीसीएमई) के साथ अपनी प्रतिक्रिया साझा करनी होगी। इसके बाद पीसीसीएम इस अभ्यास के पूरा होने के 10 दिनों के भीतर रेलवे बोर्ड के कार्यकारी निदेशक, पर्यटन एवं खानपान कार्यालय को एक समेकित रिपोर्ट संकलित करके प्रस्तुत करेंगे।
व्यापक स्तर के इस अभ्यास को एक महीने के भीतर पूरा करना है, जिससे सभी ट्रेनों को कवर किया जा सके। इसके बाद, मंडलों से प्राप्त फीडबैक को क्षेत्रीय स्तर पर संकलित किया जाएगा और समीक्षा के लिए रेलवे बोर्ड को प्रस्तुत किया जाएगा।
बोर्ड के पत्र में एक सख्त अनुपालन व्यवस्था पर भी प्रकाश डाला गया है। ओबीएचएस और पेंट्री कार सेवाओं के लाइसेंसधारियों को इन दिशानिर्देशों के बारे में औपचारिक रूप से परामर्श दिया जाएगा। किसी भी उल्लंघन को अनुबंध का एक बड़ा उल्लंघन माना जाएगा और दोषी पक्षों के खिलाफ अनुबंध समाप्ति की कार्यवाही शुरू की जाएगी।
यह पहल जुलाई 2024 में जारी पूर्व निर्देशों पर आधारित है, जिसमें अनिवार्य मार्ग-निर्धारण प्रणाली की रूपरेखा तैयार की गई थी। इस प्रणाली में कचरा उत्पादन का आकलन करने के लिए अध्ययन करना, निर्दिष्ट स्टेशनों पर निपटाने के लिए कचरे के थैलों की न्यूनतम संख्या निर्धारित करना और प्रभावी निगरानी के लिए इस डेटा को एक केंद्रीकृत प्रबंधन प्रणाली (सीआरआईएस की सीएमएम प्रणाली) में दर्ज करना शामिल था।
‘संवाद’ के माध्यम से सख्त प्रक्रियात्मक अनुपालन को मानवीय दृष्टिकोण के साथ जोड़कर, भारतीय रेलवे ऑन-बोर्ड आतिथ्य, स्वच्छता और समग्र यात्री यात्रा अनुभव को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है।
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