केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने आज रोज वैली पोंजी घोटाले में वैध निवेशकों को उनकी संपत्तियां लौटाने के उद्देश्य से गठित परिसंपत्ति निपटान समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति डी.के. सेठ (सेवानिवृत्त) को 515.31 करोड़ रुपये का डिमांड ड्राफ्ट सौंपा।
इस अवसर पर निदेशक, ईडी राहुल नवीन और सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
अनुमान है कि इस राशि का उपयोग एसेट डिस्पोजल कमेटी के पास अब तक दर्ज किए गए 31 लाख दावों में से लगभग 7.5 लाख पीड़ितों को पैसा वापस दिलाने के लिए किया जाएगा। इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एडीसी को 22 करोड़ रुपये की राशि सौंपी थी, जिसका इस्तेमाल 32,319 वैध निवेशकों को पैसा वापस दिलाने के लिए किया गया था।
ईडी ने वर्ष 2015-17 में मनी ट्रेल की जांच करके और 2,987 अलग-अलग बैंक खातों का पता लगाकर 515.31 करोड़ रुपये की राशि जब्त की, जिसमें निर्दोष पीड़ितों से जुटाई गई धनराशि को भेजा गया था। इसके बाद, कानून की उचित प्रक्रिया के बाद उक्त बैंक खातों को जब्त/ अटैच कर दिया गया और न्यायाधिकरण द्वारा कुर्की की पुष्टि के बाद उन्हें 700 से अधिक सावधि जमा (एफडी) में बदल दिया गया। उल्लेखनीय है कि ईडी ने 1,172 करोड़ रुपये की अन्य चल और अचल संपत्तियां भी जब्त की हैं (संपत्तियों का वर्तमान बाजार मूल्य 2,000 करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान है), जिसे भी परिसमापन और पीड़ितों को वापस करने की प्रक्रिया में है।
ईडी पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम और त्रिपुरा राज्यों में रोज वैली ग्रुप के खिलाफ पांच (5) धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के मामलों की जांच कर रहा है। ईडी ने इन सभी मामलों में पीएमएलए के अंतर्गत विशेष अदालतों के समक्ष अभियोजन शिकायतें दायर की हैं।
पीएमएलए के अंतर्गत जांच से पता चला कि रोज वैली ग्रुप की कंपनियों ने समाज के सबसे निचले तबके के लोगों को जमीन के टुकड़े या होटलों में टाइम शेयरिंग का वादा करके 17,520 करोड़ रुपये की रकम जुटाई थी और जमीन/ टाइम शेयरिंग देने में असमर्थता की स्थिति में निवेश की परिपक्वता पर उच्च ब्याज दर के साथ धन वापसी का वादा किया था। जांच से पता चला है कि उपरोक्त में से 6,666 करोड़ रुपये की राशि, जो अपराध की आय है, निवेशकों को भुगतान नहीं की गई।
यह ईडी की ओर से की गई इस प्रकार की सबसे बड़ी जांच में से एक है, और 29.03.2025 को भुवनेश्वर के खुर्दा में विशेष अदालत (पीएमएलए) की ओर से पारित आदेश ने संपत्ति निपटान समिति (एडीसी) के माध्यम से पूरे देश में निवेशकों के पैसे की वापसी का मार्ग प्रशस्त किया है।
यह उल्लेख करना उचित है कि माननीय कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देश पर, रोज वैली ग्रुप पोंजी घोटाले के वैध निवेशकों को संपत्तियों की वापसी के लिए ईडी और अन्य सदस्यों के साथ कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति दिलीप कुमार सेठ (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता में एक संपत्ति निपटान समिति (एडीसी) का गठन किया गया था।
ईडी ने रोज वैली ग्रुप की संपत्तियों की कुर्की, कब्जे और वितरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम, त्रिपुरा आदि राज्यों के लाखों पीड़ितों को संपत्तियों की वापसी में आसानी और तेजी आई है। अब तक रोज वैली ग्रुप के लगभग 31 लाख निवेशकों ने www.rosevalleyadc.com वेबसाइट पर अपना दावा दर्ज किया है। ईडी एडीसी को पुष्टि की गई कुर्क संपत्तियों का सर्वेक्षण और मूल्यांकन करने और रोज वैली ग्रुप ऑफ कंपनीज के निवेशकों/ पीड़ितों को समय पर संवितरण के लिए संपत्तियों के शीघ्र मुद्रीकरण की सुविधा प्रदान करने में भी मदद कर रहा है।
इसके अतिरिक्त, आने वाले महीनों में पुनर्भुगतान प्रक्रिया पूरी गति से जारी रहने की उम्मीद है क्योंकि एडीसी की ओर से अधिक दावों की जांच और सत्यापन किया जा रहा है।
तत्काल पुनर्भुगतान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गरीब लोगों से लूटे गए धन को वापस करने की प्रतिबद्धता के अनुरूप है। भारत के प्रधानमंत्री ने लगातार देश के गरीब और निर्दोष नागरिकों से गलत तरीके से हड़पे गए धन को वापस करने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया है और बार-बार इस बिंदु पर जोर दिया है कि धोखाधड़ी के माध्यम से हड़पे गए धन को पोंजी योजनाओं में ठगे गए लोगों को सही तरीके से वापस किया जाना चाहिए।
केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री ने भी दोहराया है कि सरकार ईडी की ओर से जब्त की गई संपत्तियों को पीड़ितों/ सही मालिकों को लौटाने के लिए प्रतिबद्ध है और इस संबंध में संसद में बयान दिया है।
ईडी वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों में सक्रिय रूप से जांच कर रहा है, इस दृढ़ प्रतिबद्धता के साथ कि अपराध की आय का न केवल पता लगाया जाए और उसे जब्त किया जाए, बल्कि वित्तीय नुकसान झेलने वाले पीड़ितों को वापस करके अर्थव्यवस्था के लिए तुरंत उत्पादक उपयोग में लाया जाए। ईडी ऐसे मामलों में निर्णायक रूप से कार्य करना जारी रखता है, जिससे जनता का विश्वास मजबूत होता है और भ्रष्टाचार मुक्त और पारदर्शी वित्तीय प्रणाली के बड़े लक्ष्य में योगदान मिलता है।
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