अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में सेवा के दौरान शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल पर गोली चलाई गई
पंजाब के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल की अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के प्रवेश द्वार पर हत्या की कोशिश की गई लेकिन वे बाल-बाल बच गए। उन पर हमला उस समय किया गया जब वे व्हील चेयर पर स्वर्ण मंदिर के प्रवेश द्वार पर श्रीअकाल तख्त द्वारा दिये आदेश का पालन करने के लिए गुरूद्वारे में सेवा के लिए जा रहे थे। एक रिपोर्ट –
अमृतसर पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत सिंह गुद्दा ने कहा कि सुखबीर सिंह बादल पर आतंकवादी नारायण सिंह ने जानलेवा हमला किया है और उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि नारायण सिंह अपने साथ हथियार लेकर आया था।
वहीं श्री अकाल तख्त साहेब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने सुखबीर सिंह बादल को हुए इस हमले को अकाल तख्त पर हमला करार दिया है क्योकि वे अकाल तख्त द्वारा दी गयी सजा निभा रहे थे।
शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने भी सुखबीर सिंह बादल पर हुए हमले की निंदा करते हुए कहा कि ये हमला पंजाब सरकार और पंजाब पुलिस के खराब प्रदर्शन के कारण राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठाता है।
केंद्रीय मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने पंजाब के स्वर्ण मंदिर में शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल पर हमले की निंदा की है। संसद के बाहर संवाददाताओं से बातचीत में रवनीत सिंह बिट्टू ने घटना की जांच की मांग करते हुए कहा कि एक बार फिर पंजाब में शांति भंग करने की कोशिश की जा रही है।
आज बहुत पंजाब का माहौल खराब करने की कोशिश की गई है। तो इसके ऊपर सख्त इन्वेस्टिगेशन होनी चाहिए, पर मैं फिर कहूंगा कोई भी पार्टी हो पंजाब की और बाहर की इन लोगों को बचाना, इनकी मदद करना बंद करो।
कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी ने कहा कि स्वर्ण मंदिर जैसे स्थान पर यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण है।
इस बीच, पंजाब के पूर्व उप-मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल पर गोली चलाने की कोशिश करने वाले नारायण सिंह के रूप में पहचाने गए व्यक्ति को एसजीपीसी सेवादारों और सुरक्षाकर्मियों ने गोली मारने के लिए अपनी पिस्तौल निकालने के तुरंत बाद काबू कर लिया। इस दौरान उसकी ओर से चलाई गई गोली गेट की दीवार पर लगी। सूत्रों के अनुसार, नारायण सिंह को खालिस्तानी समर्थक बताया जाता है, जो 2003-2004 के दौरान चंडीगढ़ के बुड़ैल जेल से कैदियों को भगाने के मामले में शामिल था, जहां पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारों को रखा गया था। बाद में उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया था।