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Standard & Poor's (S&P)
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S&P ग्लोबल रेटिंग्स ने भारत की दीर्घकालिक सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को ‘BBB-‘ से ‘BBB’ और अल्पकालिक रेटिंग को ‘A-3’ से ‘A-2’ किया

वित्त मंत्रालय ने स्टैंडर्ड एंड पूअर्स (एसएंडपी) ग्लोबल रेटिंग्स द्वारा, भारत की दीर्घकालिक सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को ‘बीबीबी-‘ से ‘बीबीबी’ और अल्पकालिक रेटिंग को ‘ए-3’ से ‘ए-2’ करके स्थिर दृष्टिकोण के साथ अपग्रेड करने के फैसले का स्वागत किया है। यह रेटिंग अपग्रेड भारत की आगामी आर्थिक यात्रा और विवेकपूर्ण राजकोषीय प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण पुष्टि करती है। यह एसएंडपी द्वारा 18 सालों में देश का पहला सॉवरेन अपग्रेड है। इससे पहले 2007 में भारत को निवेश ग्रेड बीबीबी- में अपग्रेड किया गया था। मई 2024 में, एजेंसी ने भारत के लिए अपने दृष्टिकोण को ‘स्थिर’ से ‘सकारात्मक’ किया था।

आज प्रकाशित एसएंडपी की भारत सॉवरेन रेटिंग समीक्षा के अनुसार, यह अपग्रेड कई प्रमुख कारकों को दर्शाता है, जिनमें भारत की तेज और गतिशील आर्थिक वृद्धि, राजकोषीय समेकन के लिए सरकार की निरंतर प्रतिबद्धता, सार्वजनिक व्यय की बेहतर गुणवत्ता, खासकर पूंजीगत व्यय और बुनियादी ढांचे पर, और मजबूत कॉर्पोरेट, वित्तीय और बाह्य बैलेंस शीट शामिल हैं। भरोसेमंद मुद्रास्फीति प्रबंधन और बढ़ती नीतिगत पूर्वानुमानशीलता ने भी इसमें अहम भूमिका निभाई है।

एसएंडपी ने अपनी रिपोर्ट में भारतीय अर्थव्यवस्था की उन प्रमुख खूबियों का ब्यौरा दिया है, जिनके चलते भारत को वैश्विक स्तर पर सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनने का अवसर मिला है, जिसमें वित्त वर्ष 22 से वित्त वर्ष 24 तक वास्तविक जीडीपी वृद्धि औसतन 8.8 प्रतिशत रही है, जो एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सबसे अधिक है। एजेंसी ने कहा है कि मौद्रिक नीति सुधारों, खासकर मुद्रास्फीति को लक्षित करने वाली व्यवस्था को अपनाने से, मुद्रास्फीति की उम्मीदों को ज्यादा असरदार तरीके से नियंत्रित किया गया है। एसएंडपी ने यह भी माना है कि वैश्विक प्रतिकूलताओं और मूल्यों के झटकों के बावजूद, भारत ने समग्र मूल्य स्थिरता बनाए रखकर अपनी मज़बूती का प्रदर्शन किया है। इसके अलावा मौद्रिक सुधारों ने, गहन घरेलू पूंजी बाजारों के चल रहे विकास के साथ मिलकर, समग्र आर्थिक परिदृश्य के लिए अधिक स्थिर और मददगार माहौल तैयार किया है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि भारत की बाहरी और वित्तीय स्थिति मजबूत बनी हुई है और लोकतांत्रिक संस्थाएं भी नीतिगत निरंतरता और दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित कर रही हैं।

भविष्य का बात करें तो, एसएंडपी ने वित्त वर्ष 26 में 6.5 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि और अगले तीन सालों तक लगातार इसमें गति बने रहने का अनुमान लगाया है। एजेंसी ने सुझाव दिया है, कि राजकोषीय घाटे के कम होने और निरंतर सार्वजनिक निवेश से, आगे की सकारात्मक रेटिंग कार्रवाई को बल मिल सकता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत के बड़े और मज़बूत घरेलू उपभोग आधार के कारण, हाल ही में लगाए गए अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव सीमित रहने की उम्मीद है।

हाल ही में, एक अन्य रेटिंग एजेंसी, मॉर्निंग स्टार डीबीआरएस ने भी भारत की रेटिंग को अपग्रेड कर “बीबीबी” दर्जा दिया है।

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