देश के विभिन्न हिस्सों में बैसाखी, बोहाग बिहू, पोइला बोइशाख और मेशादी के रूप में पारंपरिक फसल उत्सव मनाए जा रहे हैं
पंजाब में लोग ‘वैसाखी’ मना रहे हैं, जबकि केरलवासी इसे ‘विशु’ कहते हैं, पश्चिम बंगाल में इसे ‘पोइला बोइशाख’ और असम में इसे ‘बोहाग बिहू’ के नाम से मनाया जाता है। तमिलनाडु में इसे ‘पुथंडू’ कहा जाता है। किसान, खास तौर पर पंजाब और हरियाणा में अच्छी फसल का उत्सव मना रहे हैं और आने वाले साल में समृद्धि की कामना कर रहे हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर लोगों को शुभकामनाएं दी हैं। राष्ट्रपति ने अपने संदेश में कहा कि ये जीवंत त्यौहार लोगों को राष्ट्र के विकास के लिए प्रतिबद्धता और समर्पण के साथ काम करने के लिए प्रेरित करते हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि ये जीवंत फसल उत्सव भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता और कृषि भावना को दर्शाते हैं। प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि ये त्योहार सभी के जीवन में नई उम्मीद, खुशी और समृद्धि लेकर आते हैं। समाचार कक्ष से वैष्णवी।
पंजाब में बैसाखी का त्योहार पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। “बैसाखी का जश्न चारों तरफ है रंग-बिरंगे परिधानों में श्रद्धालुओं का सैलाब श्री आनंदपुर साहिब में गुरुद्वारा तख्त श्री केसगढ़ साहिब में नतमस्तक हो रहा है। जहां 326 वर्ष पहले आज ही के दिन खालसा पंथ की स्थापना हुई थी। श्रद्धालुओं द्वारा राज्यभर में लंगर और छबीलों का भी आयोजन किया जा रहा है। किसानों द्वारा वाहेगुरु से शरबत का भला की प्रार्थना करने के बाद अपने खेतों में खड़ी सुनहरी गेहूं की फसल की औपचारिक कटाई शुरू कर दी गई है। राष्ट्र आज उन सैंकड़ों निर्दोष भारतीयों को भी याद कर रहा है जिन्हें ब्रिटिश फौजी अधिकारी डायर ने जलियांवाला बाग में उस वक्त मार डाला था जब वे वर्ष 1919 में बैसाखी के दिन एकत्रित हुए थे।