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Strengthening of skill development ties between Centre and Uttar Pradesh, focus on Rs 60,000 crore ITI upgradation scheme
भारत

केंद्र और उत्तर प्रदेश के बीच कौशल विकास सम्बंधों में मजबूती, 60,000 करोड़ रुपये की आईटीआई उन्नयन योजना पर फोकस

कौशल विकास पहलों में तेजी लाने के लिए एक बड़े कदम के रूप में, केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा शिक्षा मंत्रालय के राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने आज नई दिल्ली के कौशल भवन में उत्तर प्रदेश सरकार के व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कपिल देव अग्रवाल से मुलाकात की। इस उच्च स्तरीय बैठक में कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) तथा उत्तर प्रदेश सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। बैठक में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई), राष्ट्रीय प्रशिक्षुता संवर्धन योजना (एनएपीएस), पीएम विश्वकर्मा तथा स्वावलंबिनी महिला उद्यमिता कार्यक्रम सहित प्रमुख कौशल कार्यक्रमों के निर्बाध क्रियान्वयन के लिए केंद्र-राज्य सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।

उत्तर प्रदेश सरकार के कौशल विकास विभाग के प्रधान सचिव ने राज्य की कौशल विकास उपलब्धियों की लेखा-जोखा प्रस्तुत किया और उन क्षेत्रों के बारे में बताया जिनमें केंद्र से अतिरिक्त सहायता अधिक प्रभावी हो सकती है। उत्तर प्रदेश ने आज तक पीएमकेवीवाई के तहत 24.73 लाख से अधिक उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया है। नवीनतम पीएमकेवीवाई 4.0 पहल के तहत, 93,000 से अधिक व्यक्तियों ने ड्रोन सेवा तकनीशियन, एआई – मशीन लर्निंग इंजीनियर, इलेक्ट्रिक वाहन सेवा तकनीशियन और सोलर पीवी इंस्टॉलर (इलेक्ट्रिकल) जैसी भविष्य की नौकरियों के लिए नामांकन किया है।

पारंपरिक कारीगरों को सशक्त बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाते हुए, पीएम विश्वकर्मा के तहत 405 प्रशिक्षण केंद्रों ने पूरे उत्तर प्रदेश में लगभग 1.08 लाख कारीगरों को सफलतापूर्वक प्रशिक्षित किया है। उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए, राज्य ने 450 से अधिक उद्यमिता जागरूकता कार्यक्रम और 145 उद्यमिता विकास कार्यक्रम भी आयोजित किए हैं, जो इच्छुक उद्यमियों को आवश्यक व्यावसायिक कौशल और वित्तीय साक्षरता से लैस करते हैं।

बैठक का मुख्य आकर्षण राष्ट्रीय आईटीआई उन्नयन योजना पर चर्चा थी, जो एक परिवर्तनकारी पहल है जिसका उद्देश्य हब-एंड-स्पोक मॉडल के तहत भारत भर में 1,000 आईटीआई का आधुनिकीकरण करना है। पांच वर्षों में 60,000 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय वाली इस योजना को केंद्र सरकार से 30,000 करोड़ रुपए, राज्य सरकारों से 20,000 करोड़ रुपए और उद्योग भागीदारी से 10,000 करोड़ रुपए के माध्यम से वित्तपोषित किया जाएगा। यह पहल आईटीआई को विश्व स्तरीय कौशल विकास केंद्रों में बदल देगी, जिससे युवाओं के लिए उच्च रोजगार क्षमता और उद्योगों के लिए कुशल प्रतिभाओं की एक स्थिर पाइपलाइन सुनिश्चित होगी। 75 जिलों में फैले 3,258 आईटीआई के साथ, उत्तर प्रदेश इस महत्वाकांक्षी परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है।

उद्योग सहयोग के महत्व पर जोर देते हुए, जयंत चौधरी ने उद्योग-संचालित पाठ्यक्रम विकास, व्यावहारिक प्रशिक्षण पद्धतियों और बाजार की मांगों के अनुरूप वास्तविक समय कौशल विकास की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 में परिकल्पित मुख्यधारा की शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा के एकीकरण पर प्रकाश डाला और युवाओं को विकसित डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए तैयार करने के लिए अधिक से अधिक एआई-संचालित पाठ्यक्रम पेश करने का आह्वान किया।

दोनों मंत्रियों ने कौशल विकास में केंद्र-राज्य तालमेल को मजबूत करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की, साथ ही उत्तर प्रदेश को कुशल कार्यबल विकास के लिए एक अग्रणी केंद्र बनाने के साझा दृष्टिकोण पर भी जोर दिया। चर्चा सकारात्मक रूप से संपन्न हुई, जिसमें राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और वैश्विक उद्योग की मांगों के अनुरूप भारत के कौशल एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर समन्वय के लिए एक रोडमैप तैयार किया गया।

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