भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायिक दस्तावेजों के अनुवाद में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) भाषा प्रौद्योगिकी के उपयोग को अपनाया है। फरवरी 2023 से संविधान पीठ के मामलों में मौखिक दलीलों को लिखने के लिए भी एआई का इस्तेमाल किया जा रहा है। सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के महत्वपूर्ण निर्णयों के स्थानीय भाषाओं में अनुवाद की निगरानी के लिए भारत के सर्वोच्च न्यायालय के एक माननीय न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है। अनुवाद की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए समिति माननीय न्यायाधीशों वाली उच्च न्यायालयों की उप-समितियों के साथ नियमित बैठकें कर रही है।
उच्च न्यायालयों की एआई अनुवाद समितियाँ सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के निर्णयों का स्थानीय भाषा में अनुवाद करने से संबंधित संपूर्ण कार्य की निगरानी कर रही हैं। आज की तिथि तक, 17 उच्च न्यायालयों ने ई-हाईकोर्ट रिपोर्ट (ई-एचसीआर)/ई-भारतीय विधि रिपोर्ट (ई-आईएलआर) शुरू कर दी है।
उच्च न्यायालयों की एआई समितियों को सूचित किया गया है कि वे संबंधित राज्य सरकारों से अनुरोध करें कि वे सभी केंद्रीय और राज्य विधान, नियम, विनियम आदि का क्षेत्रीय भाषा में अनुवाद करें और इसे राज्य की वेबसाइट पर डालें ताकि आम आदमी को इसे क्षेत्रीय भाषा में पढ़ने में मदद मिल सके। सभी राज्य सरकारों पर यह भी जोर दिया गया है कि वे निर्णयों के अनुवाद के काम में संबंधित उच्च न्यायालयों को पूरा सहयोग दें, क्योंकि यह भारत के संविधान के तहत परिकल्पित ‘न्याय तक पहुंच’ का हिस्सा है।
25.11.2024 तक, 36,316 सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों का हिंदी भाषा में अनुवाद किया गया है और सर्वोच्च न्यायालय के 42,457 निर्णयों का अन्य 17 क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है और ये ई-एससीआर पोर्टल पर उपलब्ध हैं।
इस अनुवाद परियोजना के लिए सर्वोच्च न्यायालय को कोई अलग धनराशि स्वीकृत नहीं की गई है।
यह जानकारी विधि एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल ने आज राज्य सभा में एक लिखित उत्तर में दी है।
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