सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि बाल विवाह निषेध अधिनियम को व्यक्तिगत कानूनों द्वारा बाधित नहीं किया जा सकता है। न्यायालय ने कहा है कि बाल विवाह जीवन साथी स्वंय चुनने की इच्छा का उल्लंघन करते हैं। मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने देश में बाल विवाह की रोकथाम कानून के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए दिशानिर्देश भी जारी किए।
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने देश में बाल विवाह की रोकथाम कानून के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए दिशानिर्देश भी जारी किए। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि व्यक्तिगत कानूनों को बाल विवाह रोकने के उद्देश्य से बनाए गये राष्ट्रीय कानून के कार्यान्वयन में बाधा नहीं बनना चाहिए। सम्बद्ध अधिकारियों को बाल विवाह की रोकथाम और नाबालिगों की सुरक्षा करते हुए अंतिम उपाय के रूप में अपराधियों को दंडित करना चाहिए। पीठ ने यह भी कहा कि बाल विवाह निषेध कानून में कुछ खामियां हैं। बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 बाल विवाह रोकने और उसके उन्मूलन के लिए बनाया गया था। इस अधिनियम ने 1929 के बाल विवाह निरोधक अधिनियम का स्थान लिया था।
अहमदाबाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद के खोडलधाम मैदान में 5,400 करोड़ रुपये की लागत…
भारत और जापान, जापान-भारत स्वच्छ ऊर्जा साझेदारी के अंतर्गत ऊर्जा क्षेत्र में अपनी साझेदारी को…
फिजी गणराज्य के प्रधानमंत्री सिटिवेनी लिगाममादा राबुका ने आज राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु…
भारत और फिजी ने स्वास्थ्य एवं मानकीकरण, क्षमता निर्माण तथा कई बड़ी परियोजनाओं के संबंध…
मौसम विभाग ने आज जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और पंजाब में मूसलाधार वर्षा का रेड अलर्ट…
गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) ने 2016 में अपनी स्थापना के बाद से संचयी सकल व्यापारिक मूल्य…