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TDB provides financial assistance to Ms Clearsynth Labs Ltd. for setting up of Bulk Manufacturing Facility for Deuterated Reagents and Building Blocks
भारत

टीडीबी ने ड्यूटेरेटेड रिएजेंट्स और बिल्डिंग ब्लॉक्स के थोक विनिर्माण सुविधा केन्द्र की स्थापना के लिए मेसर्स क्लियरसिंथ लैब्स लिमिटेड को वित्तीय सहायता प्रदान की

उन्नत विशिष्ट रसायनों में भारत की क्षमताओं के निर्माण की दिशा में एक निर्णायक कदम के रूप में, भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) ने ड्यूटेरेटेड रिएजेंट्स और बिल्डिंग ब्लॉकों के वाणिज्यिक पैमाने पर उत्पादन हेतु एक समर्पित विनिर्माण सुविधा केन्द्र स्थापित करने के लिए मेसर्स क्लियरसिंथ लैब्स लिमिटेड को वित्तीय सहायता प्रदान की है।

ड्यूटेरियम के गैर-परमाणु अनुप्रयोगों को उद्योगों में तेजी से बढ़ावा मिल रहा है। ड्यूटेरेटेड रिएजेंट्स और बिल्डिंग ब्लॉकों का थोक विनिर्माण वैश्विक स्तर पर तेजी से महत्वपूर्ण होता जा रहा है, क्योंकि क्लिनिकल रिसर्च अनुप्रयोगों और फार्मा अनुसंधान के लिए ड्यूटेरियम लेबल वाले कम्पाउंड के उपयोग के अलावा, इसका औषधीय रसायन विज्ञान और बाजार के गैर-औषधीय औद्योगिक क्षेत्रों में भी संभावित अनुप्रयोग है।

वर्तमान में, भारत अधिकांश ड्यूटेरेटेड सॉल्वैंट्स का आयात करता है। यह पहल ऐसे समय में की गई है जब ड्यूटेरेटेड कम्पाउंड की फार्मास्यूटिकल्स, ओएलईडी, सेमीकंडक्टर और फाइबर ऑप्टिक्स जैसे क्षेत्रों में वैश्विक मांग बढ़ रही है। भारत के मजबूत फार्मास्यूटिकल विनिर्माण आधार के बावजूद, अधिकांश भारतीय विनिर्माता आइसोटोप-लेबल वाले कम्पाउंड के लिए नहीं बल्कि मानक एपीआई के लिए तैयार हैं। घरेलू इको-सिस्टम के भीतर परिमाण योग्य, उच्च शुद्धता उत्पादन प्रौद्योगिकी की कमी के कारण देश इस रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण लेकिन उत्कृष्ट क्षेत्र में आयात पर निर्भर रहा है। यह परियोजना फार्मा, ओएलईडी सेमीकंडक्टर और फाइबर ऑप्टिक्स के लिए उच्च मूल्य वाले रसायनों में घरेलू क्षमताओं को सुदृढ़ करने के लिए एक रूपांतरकारी कदम है।

टीडीबी के सहयोग से ड्यूटेरेटेड रिएजेंट्स और बिल्डिंग ब्लॉकों के स्वदेशी रूप से थोक विनिर्माण के लिए एक समर्पित सुविधा केन्द्र की स्थापना संभव होगी, जो न केवल इस कमी को पूरा करेगी बल्कि उच्च मूल्य वाले ड्यूटेरेटेड कम्पाउंड के वैश्विक आपूर्तिकर्ता के रूप में भारत के उभरने की नींव भी रखेगी। यह परियोजना मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत मिशन के साथ जुड़ी हुई है, जिसका उद्देश्य उच्च-स्तरीय रासायनिक प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता को बढ़ाना है।

टीडीबी द्वारा समर्थित इस परियोजना को भारी जल बोर्ड (एचडब्ल्यूबी), परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई), भारत सरकार के साथ क्लियरसिंथ के समझौते का लाभ प्राप्त है, जो भारी जल तक दीर्घकालिक पहुंच सुनिश्चित करता है। यह सहयोग इस सुविधा केन्द्र को एक विशिष्ट प्रतिस्पर्धी बढ़त और मापनीयता प्रदान करता है, जो वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए आवश्यक है। भारत इस अवसर का लाभ उठाने के लिए अच्छी स्थिति में है।

टीडीबी द्वारा समर्थित यह नवीन सुविधा केन्द्र फार्मास्यूटिकल अनुसंधान, जटिल रासायनिक संश्लेषण और उन्नत औद्योगिक अनुप्रयोगों में लगे उच्च-स्तरीय वैश्विक और घरेलू ग्राहकों को सेवा प्रदान करेगा। यह भारत की विशेष आइसोटोपिक रसायनों के लिए पसंदीदा सोर्सिंग गंतव्य बनने की महत्वाकांक्षाओं में भी सहायता करती है।

टीडीबी के समर्थन से, इस परियोजना से निम्नलिखित में महत्वपूर्ण योगदान मिलने की उम्मीद है:

  • आइसोटोप-लेबल कम्पाउंड में स्वदेशी क्षमताओं का निर्माण
  • आयात को प्रतिस्थापित करके विदेशी मुद्रा की बचत
  • आईपी सृजन के माध्यम से नवोन्मेषण को बढ़ावा देना
  • रासायनिक विनिर्माण और अनुसंधान एवं विकास में उच्च-कुशल नौकरियों का सृजन
  • उच्च मूल्य वाले विशिष्ट क्षेत्र में भारत को एक विश्वसनीय वैश्विक आपूर्तिकर्ता के रूप में स्थापित करना

समझौते पर हस्ताक्षर के अवसर पर टीडीबी के सचिव राजेश कुमार पाठक ने कहा, “यह परियोजना भारत को व्यापक औद्योगिक अनुप्रयोगों के साथ ड्यूटेरेटेड कम्पाउंड के लिए तेजी से बढ़ते वैश्विक बाजार का लाभ उठाने में सक्ष्म बनाती है। ऐसी सामग्रियों का थोक विनिर्माण रणनीतिक रूप से मूल्यवान और उच्च विकास का अवसर है।

इस परियोजना के लिए टीडीबी की सहायता इस उच्च विकास वाले क्षेत्र में स्वदेशी, विश्व स्तरीय विनिर्माण आधार का निर्माण करने में सक्षम बनाती है। बढ़ती वैश्विक मांग, एक सहायक घरेलू इको-सिस्टम और नवीन तथा अलग-अलग दवाओं में बढ़ती रुचि के साथ, भारत इस उत्‍कृष्‍ट और बहुमूल्‍य क्षेत्र में एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता के रूप में उभर सकता है।

ऐसी ही भावना व्‍यक्‍त करते हुए क्लियरसिंथ लैब्स के एमडी और सीईओ विजय अंबाती ने कहा: “विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए प्रतिस्पर्धी मूल्य पर कड़े विनिर्देशों को पूरा करने वाले ड्यूटेरेटेड सॉल्वैंट्स और बिल्डिंग ब्लॉक्स का विनिर्माण करना चुनौतीपूर्ण है। टीडीबी के समर्थन के साथ, हम इस क्षेत्र में भारत की परिणाम योग्‍य क्षमता का निर्माण करने के प्रति आश्वस्त हैं, जो विशिष्‍ट रसायनों में आत्मनिर्भरता और निर्यात में अग्रणी स्थिति प्राप्‍त करने हेतु राष्ट्र के विज़न के अनुरूप है।”

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