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भूटान में थिम्पू के ताशिछोद्ज़ोंग के ग्रैंड कुएंरे में हजारों श्रद्धालुओं ने भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों को श्रद्धांजलि अर्पित की

भूटान के सबसे प्रतिष्ठित तिब्बती बौद्ध केंद्रों में से एक थिम्पू के ताशिछोद्ज़ोंग के ग्रैंड कुएंरे में स्थित भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों के प्रति हजारों श्रद्धालुओं ने अपनी श्रद्धा अर्पित की।

भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों को भारत से एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल द्वारा लाया गया, जिसमें वरिष्ठ भारतीय भिक्षु शामिल थे, जो स्थानीय श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दे रहे थे तथा भूटान की बौद्ध बहुल आबादी के लिए विशेष धार्मिक सेवाएं आयोजित कर रहे थे।

सुबह से ही, मठ में—जहां भारत की राष्ट्रीय धरोहर माने जाने वाले ये अवशेष विराजमान हैं—भक्तों का तांता लगा रहा। शुक्रवार को परिसर के बाहर लगी लंबी कतार भूटानी लोगों के गहरे आध्यात्मिक जुड़ाव और भक्ति को स्पष्ट रूप से दर्शा रही थी।

एक ऐतिहासिक और गहन आध्यात्मिक भाव के अंतर्गत, नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय में रखे भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष, वैश्विक शांति प्रार्थना महोत्सव (जीपीपीएफ) के लिए भारत की ओर से भूटान को “सद्भावना उपहार” के रूप में 8 नवंबर 2025 को थिम्पू पहुंचे। ये अवशेष 18 नवंबर 2025 तक ताशिछोद्ज़ोंग के ग्रैंड कुएनरे में प्रतिष्ठित रहेंगे, जिसके बाद इन्हें औपचारिक रूप से भारत लौटा दिया जाएगा।

भूटान के चौथे राजा जिग्मे सिंग्ये वांगचुक की 70वीं जयंती के उपलक्ष्य में अवशेषों को स्थापित करने का कार्य किया गया है, जिनके दूरदर्शी नेतृत्व ने भूटान में लोकतंत्र की शुरुआत की और विश्व के सबसे बड़े वज्रयान बौद्ध साम्राज्य के रूप में राष्ट्र की पहचान को मजबूत किया।

यह प्रदर्शनी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 11-12 नवम्बर, 2025 को भूटान यात्रा के समय आयोजित की गई, जो दोनों देशों के बीच गहरे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संबंधों को रेखांकित करती है।

यह पवित्र अवशेष प्रदर्शनी—जो भूटान में आयोजित होने वाली दूसरी प्रदर्शनी है—भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के बीटीआई अनुभाग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी) और राष्ट्रीय संग्रहालय के सहयोग से आयोजित की जा रही है। यह प्रदर्शनी 8 से 18 नवंबर 2025 तक थिम्पू में आयोजित की जा रही है।

अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी) द्वारा तैयार की गई तीन विषयगत प्रदर्शनियां ताशिछोद्ज़ोंग और काजा थ्रोम के ग्रैंड कुएंरे में प्रदर्शित की जा रही हैं जिससे श्रद्धालुओं के आध्यात्मिक अनुभव को और समृद्ध किया जा सके:

  • गुरु पद्मसंभव: भारत में ‘अनमोल गुरु’ के जीवन और पवित्र स्थलों का पता लगाना।
  • शाक्यों की पवित्र विरासत: बुद्ध अवशेषों का उत्खनन और महत्व।
  • बुद्ध का जीवन और शिक्षाएं।

इस ऐतिहासिक प्रदर्शनी में भारत की भागीदारी स्थायी सभ्यतागत बंधनों और साझा बौद्ध विरासत को दर्शाती है जो भारत और भूटान के बीच मैत्री को मजबूत बनाती है।

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