राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी) द्वारा अरुणाचल प्रदेश राज्य मानव अधिकार आयोग (एपीएसएचआरसी) के लिए आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम नई दिल्ली में संपन्न हुआ। एपीएसएचआरसी के कार्यवाहक अध्यक्ष बामंग तागो और सचिव इबोम ताओ सहित कुल बारह अधिकारियों ने इसमें भाग लिया। समापन सत्र को संबोधित करते हुए एनएचआरसी कार्यवाहक अध्यक्ष विजया भारती सयानी ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश की जीवंत सांस्कृतिक विविधता और अनूठी चुनौतियों के साथ हमारे देश के मानव अधिकार ढांचे में अहम भूमिका है। यह बहुत खुशी की बात है कि वर्ष 2023 में स्थापित अरुणाचल प्रदेश एसएचआरसी अपनी क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
कार्यवाहक अध्यक्ष ने कहा कि एनएचआरसी द्वारा आयोजित इस व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम ने सामूहिक रूप से उन सिद्धांतों और मूल्यों पर विचार करने का अवसर दिया है जो देश में मानवाधिकारों की रक्षा और प्रोत्साहन के हमारे साझा मिशन का मार्गदर्शन करते हैं। हमारे संविधान की प्रस्तावना न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व को हमारे राष्ट्र के मूलभूत सिद्धांतों के रूप में पुष्टि करती है। ये मूल्य वे नींव हैं जिन पर हमारी शासन व्यवस्था और कानूनी व्यवस्थाएँ बनी हैं। संविधान हम में से प्रत्येक को हर व्यक्ति की गरिमा और अधिकारों को बनाए रखने की जिम्मेदारी देता है।
उन्होंने इस कार्यक्रम में सक्रिय भागीदारी के लिए अरुणाचल प्रदेश राज्य मानव अधिकार आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष बामंग तागो और अधिकारियों की सराहना की, जिसका उद्देश्य उन्हें अरुणाचल प्रदेश के लोगों के अधिकारों, सम्मान और वैध आकांक्षाओं को बनाए रखने में मदद करने के लिए अंतर्दृष्टि और साधन प्रदान करना है।
इस अवसर पर एनएचआरसी के महासचिव भरत लाल ने कहा कि किसी भी संगठन के कार्यों और कर्तव्यों के बारे में जानकारी होने से वहां काम करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को अधिक सार्थक योगदान देने में सहायता मिलती है। उन्होंने दोहराया कि अधिकारों के उल्लंघन के मुद्दों का समाधान करने में मानव अधिकार संस्था के सफल कार्यप्रणाली के लिए संवेदनशीलता, उत्तरदायी और तत्परता महत्वपूर्ण है।
भरत लाल ने उम्मीद जताई कि एनएचआरसी के अनुभव से सीखने की पहल करते हुए, एक अनुकूलित व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से, एपीएसएचआरसी अरुणाचल प्रदेश के लोगों की मानव अधिकार चिंताओं को संबोधित करने के लिए इस ज्ञान को आगे बढ़ाने का प्रयास करेगा और अन्य एसएचआरसी के लिए एक उदाहरण स्थापित करेगा। उन्होंने कहा कि जिस तरह भारत में, देश के अन्य हिस्सों में प्रकाश फैलाने से पहले अरुणाचल प्रदेश में सूरज उगता है, उसी तरह एपीएसएचआरसी भी अपने काम से अन्य एसएचआरसी को रास्ता दिखाने का प्रयास करेगा।
भरत लाल ने कहा कि इस कार्यक्रम के बारे में प्रतिभागियों से प्राप्त फीडबैक, भविष्य में इस तरह के प्रशिक्षणों के लिए अन्य राज्य मानव अधिकार आयोगों के साथ सहयोग करने के लिए प्रोत्साहन के रूप में आया है, ताकि साझा जिम्मेदारी के रूप में देश में मानव अधिकार ढांचे को सशक्त किया जा सके।
एपीएसएचआरसी के कार्यवाहक अध्यक्ष बामंग तागो ने इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए एनएचआरसी की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह प्रशिक्षण राज्य आयोग को मानव तस्करी और नशीली दवाओं की लत जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार करने में बहुत उपयोगी रहा है, क्योंकि राज्य में भौगोलिक परिस्थितियों से जुड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि अधिकारीगण एपीएसएचआरसी के कामकाज में इन्हें लागू करने के लिए व्यावहारिक शिक्षा के विभिन्न पहलुओं पर आगे विचार-विमर्श करेंगे तथा राज्य सरकार के साथ इस पर चर्चा करेंगे, ताकि राज्य में लोगों के बीच मानवाधिकारों के बारे में जागरूकता जागृत की जा सके तथा सामूहिक प्रयासों के माध्यम से उनकी चिंताओं का समाधान किया जा सके।
इससे पहले, संयुक्त सचिव देवेन्द्र कुमार निम ने उद्घाटन भाषण देते हुए कहा कि एनएचआरसी का प्रयास है कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से एपीएसएचआरसी के अधिकारियों को शिकायतों के स्वरूप, मौके पर पूछताछ, अंतर्राष्ट्रीय गठजोड़, प्रशिक्षण और आउटरीच, अनुसंधान, मीडिया और संचार तथा शिकायत प्रबंधन सहित मानव अधिकार संस्था की कार्य प्रणाली की प्रमुख विशेषताओं से अवगत कराया जाए।
उन्होंने आशा व्यक्त की कि ये सत्र उन्हें अरुणाचल प्रदेश में वंचित समुदायों सहित सभी व्यक्तियों के अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने में सामूहिक जिम्मेदारी की भावना को प्रोत्साहन देने के लिए सशक्त बनाएंगे।