छठ पूजा समारोह का आज तीसरा दिन है। श्रद्धालु नदी के किनारे स्थित विभिन्न छठ घाटों पर आज शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगे। चार दिन के इस पर्व का समापन कल सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होगा। नदियों के तट पर श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए पूरे बिहार में व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की गई है। किसी भी स्थिति से निपटने के लिए गोताखोरों के साथ राष्ट्रीय आपदा मोचन बल और राज्य आपदा मोचन बल के जवानों को तैनात किया गया है।
बिहार में पारपंरिक छठ गीतों से पूरा माहौल भक्तिमय बना हुआ है। इधर, हर गली चौक चौराहे पर छठ को लेकर सफाई की जा रही है। छठ घाटों को अंतिम रुप दिया जा रहा और उन्हें आकर्षक रौशनी से सजाया गया है। छठ पूजा प्रकृति और मनुष्य के प्रगाढ़ संबंधों को व्यक्त करती है। यह न सिर्फ पर्यावरण को संरक्षित करने की प्रेरणा देता है बल्कि आसपास के क्षेत्र के बारे में चेतना और स्थानीय बाजारों को भी मजबूत बनाता है। बांस से बने सूप, दउरे और मिट्टी के दीये, मिट्टी के चूल्हे तथा अन्य छोटी छोटी वस्तुओं की बिक्री से स्थानीय शिल्पकारों, कारीगरों तथा रेहड़ी पटरी पर व्यवसाय करने वालों को भी मजबूती मिलती है।