भारत

यूनेस्को तथा MEITy ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की नैतिकता पर राष्ट्रीय हितधारक कार्यशाला का आयोजन किया

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय कार्यालय ने भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के सहयोग से, नई दिल्ली के ताज पैलेस होटल में सुरक्षित, विश्वसनीय और नैतिक आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (एआई) विषय पर राष्ट्रीय हितधारक कार्यशाला आयोजित की।

भारत सरकार द्वारा हाल ही में इंडिया एआई मिशन को स्वीकृति प्रदान किए जाने के बाद यह कार्यक्रम एक महत्वपूर्ण समय पर आयोजित किया गया। इस मिशन के लिए 10,000 करोड़ रुपये से अधिक आवंटित किए गए हैं, जो भारत के आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (एआई) इकोसिस्टम को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस कार्यशाला ने राष्ट्रीय और राज्य-स्तरीय आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (एआई) रणनीतियों और कार्यक्रमों में सुरक्षित, विश्वसनीय और नैतिक आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (एआई) विचारों को एकीकृत करने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण चर्चाओं के लिए, यह सुनिश्चित करते हुए कि आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस प्रौद्योगिकियों का उपयोग सार्वजनिक कल्याण के साथ सम्मिलित होता है और अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों और मानकों का पालन करती है, एक मंच प्रदान किया।

इस कार्यशाला में विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों, नीति आयोग और नैसकॉम जैसे उद्योग भागीदारों के वरिष्ठ स्तर के अधिकारियों ने भाग लिया, जिससे दृष्टिकोणों का व्यापक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हुआ। सुरक्षित और विश्वसनीय आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस की अवधारणा, इसके नैतिक निहितार्थ और आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस प्रौद्योगिकियों के सामाजिक प्रभाव पर व्यापक बातचीत पैनल चर्चाओं के माध्यम से की गई, जिसमें भारत द्वारा आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के नैतिक कार्यान्वयन पर विस्तृत समूह सत्रों के साथ चर्चा की गई।

इस उद्घाटन सत्र में भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर अजय कुमार सूद, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव अभिषेक सिंह, यूनेस्को के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय कार्यालय के निदेशक टिम कर्टिस तथा सामाजिक और मानव विज्ञान के लिए यूनेस्को की सहायक महानिदेशक गैब्रिएला रामोस जैसे प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

इस कार्यशाला में नैसकॉम की अध्यक्ष देबजानी घोष, वाधवानी सेंटर फॉर गवर्नमेंट डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रकाश कुमार, यूनेस्को मुख्यालय में जैव नैतिकता और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के नैतिकता अनुभाग के कार्यक्रम विशेषज्ञ जेम्स राइट, बैंकॉक में यूनेस्को क्षेत्रीय कार्यालय में संचार और सूचना के क्षेत्रीय सलाहकार जो हिरोनका, यूनेस्को दक्षिण एशिया क्षेत्रीय कार्यालय में शिक्षा के कार्यक्रम विशेषज्ञ जियान शी टेंग और यूनेस्को दक्षिण एशिया क्षेत्रीय कार्यालय की कार्यक्रम विशेषज्ञ यूनसॉन्ग किम भी शामिल हुए।

अपने उद्घाटन भाषण में, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर अजय कुमार सूद ने कहा, “चूंकि आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस को लेकर नैतिकता और इसके सामाजिक निहितार्थों संबंधी चिंताएं है, इसलिए भारत का लक्ष्य आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस पर एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाना है। भारत ने आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के विकास और उपयोग को प्रोत्साहन देने के लिए भारत आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस मिशन सहित कई पहल शुरू की हैं। वैश्विक स्तर पर, यूनेस्को ने दुनिया भर में आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस की नैतिकता को बढ़ावा देने में एक सराहनीय भूमिका निभाई है और यूनेस्को के सदस्य देशों से आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस की नैतिकता पर यूनेस्को की सिफारिश का समर्थन प्राप्त करना एक उत्कृष्ट उदाहरण है।”

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव अभिषेक सिंह ने स्पष्ट करते हुए कहा, “जब नैतिकता शब्द के उपयोग की बात आती है, तो हम इसे एक सुरक्षित और विश्वसनीय आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के निर्माण के संदर्भ में परिभाषित करना पसंद करते हैं, जिससे उपयोगकर्ता को कोई नुकसान नहीं होगा; जिसके परिणामस्वरूप एक ऐसा ढांचा सुनिश्चित होगा जो नवाचार को प्रोत्साहन देगा और जो आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस से संबंधित खतरों को सीमित करेगा।”

स्वास्थ्य सेवा, वित्तीय सेवाओं और दूरसंचार जैसे विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति से प्रेरित होकर, वर्ष 2025 तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद में आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के लगभग 500 बिलियन डॉलर जुड़ने की संभावना है। इस दृष्टिकोण का समर्थन करने के लिए, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को इंडियाएआई मिशन का नेतृत्व करने का दायित्व सौंपा गया है। यह मिशन अपने प्रमुख घटकों, जैसे इंडियाएआई कंप्यूट क्षमता, इंडियाएआई इनोवेशन सेंटर (आईएआईसी), इंडियाएआई डेटासेट प्लेटफॉर्म, इंडियाएआई एप्लीकेशन डेवलपमेंट इनिशिएटिव, इंडियाएआई फ्यूचरस्किल्स, इंडियाएआई स्टार्टअप फाइनेंसिंग और सुरक्षित व विश्वसनीय आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से पूरे देश में तकनीकी आत्मनिर्भरता को और प्रोत्साहन देने के लिए तैयार है।

इस कार्यशाला के व्यापक एजेंडे में आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस की बुनियादी बातों, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के नैतिक आयाम, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस नैतिकता में यूनेस्को की भूमिका और भारत में वर्तमान आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस नीति परिदृश्य, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस द्वारा प्रस्तुत चुनौतियों और अवसरों के लिए सामूहिक रूप से समझ को बढ़ाना और तैयारी करने से जुड़े सत्र शामिल थे। इस कार्यशाला का उद्देश्य सूचित नीति विकास के लिए एक आधार स्थापित करना था जो देश भर में न्यायसंगत और टिकाऊ आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस अपनाने को प्रोत्साहन देता है।

भारत में यूनेस्को के प्रतिनिधि और यूनेस्को दक्षिण एशिया क्षेत्रीय कार्यालय के निदेशक टिम कर्टिस ने अपनी टिप्पणी में कहा, “आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस में सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने में योगदान प्रदान करने की अपार क्षमता है; इससे नैतिक विकास और उपयोग सुनिश्चित करने वाले उचित ढांचे के बिना उपयोग होने पर महत्वपूर्ण नैतिक और व्यावहारिक खतरा भी पैदा हो सकता है। यूनेस्को का उद्देश्य राष्ट्रीय और राज्य-स्तरीय आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस रणनीतियों व कार्यक्रमों में नैतिक विचारों को एकीकृत करने में भारत सरकार का समर्थन करना है, यह सुनिश्चित करना कि आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस की नैतिकता पर यूनेस्को की सिफारिश में उल्लिखित अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों और मानकों के अनुरूप हो और उनका पालन करे।”

भारत में आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस: नीति और व्यवहार पर चर्चा में एक पैनलिस्ट के रूप में, नैसकॉम की अध्यक्ष, देबजानी घोष ने कहा, “सबसे पहले, मनुष्यों को नैतिक मानकों का पालन करने की आवश्यकता है, और फिर उन सिद्धांतों को आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस तक विस्तारित करना होगा। नैतिकता समानता और समावेश के बारे में है; हम एक सीमित प्रणाली को बर्दाश्त नहीं कर सकते, जहां केवल कुछ कंपनियां ही आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस को नियंत्रित करती हैं।”

‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की नैतिकता पर सिफारिश’ को नवंबर 2021 में सभी 193 यूनेस्को सदस्य देशों द्वारा सर्वसम्मति से अपनाया गया था, यह मुख्य रूप से पारदर्शिता और निष्पक्षता जैसे बुनियादी सिद्धांतों पर आधारित है और साथ ही आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस प्रणाली की निगरानी बनाए रखने में मानवीय देखरेख की महत्वपूर्ण भूमिका सुनिश्चित करता है।

यूनेस्को भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ मिलकर काम कर रहा है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वैश्विक अनुशंसा के प्रमुख मूल्यों और सिद्धांतों को डेटा प्रशासन, पर्यावरण और इकोसिस्टम, लैंगिक, शिक्षा और अनुसंधान, स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण तथा कई अन्य क्षेत्रों के संबंध में ठोस नीतिगत कार्रवाई में परिवर्तित किया जा सके।

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