केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने “विकसित कृषि संकल्प अभियान” के तहत आज विभिन्न राज्यों के विधायकों से वचुर्अल संवाद किया। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हमारा यह अभियान “विकसित कृषि संकल्प अभियान” (VKSA 2025), एक सरकारी योजना नहीं बल्कि एक जन आंदोलन है। इसका उद्देश्य 29 मई से 12 जून 2025 तक 1 करोड़ से अधिक किसानों से सीधा संवाद करना है। इसका शुभारंभ पुरी, ओडिशा से हुआ और अब यह पूरे देश में किसान जागरूकता की लहर बन चुका है।
शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि 2170 टीमों ने अभी तक 7368 गांवों में 4416 दौरे कर 795000 किसानों को इस अभियान से जोड़ दिया है। इस अभियान के तहत गठित की गई टीमें देश के सभी राज्यों में किसानों के साथ कृषि ज्ञान एवं विज्ञान को साझा करेंगी तथा विकसित कृषि के लक्ष्य को वास्तविकता में बदलने के लिए उन्हें प्रेरित करेंगी। ये टीमें गाँवों मे जाकर किसानों को जलवायु अनुकूल किस्मों का उपयोग, उर्वरकों का संतुलित उपयोग, मृदा में पोषक तत्वों की जानकारी एवं उनका संरक्षण तथा फसलों में लगने वाले रोग एवं उनके उपचार, कृषि में विविधिकरण को बढ़ावा देने वाली तकनीकों के बारे में विस्तृत जानकारी देंगी।
उन्होंने कहा कि वर्तमान चुनौतियों को देखते हुए कृषि में विविधिकरण को बढ़ावा देने वाली तकनीकों प्राकृतिक खेती, कृषि में ड्रोन का उपयोग, पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन इत्यादि, प्रमुख विषयों पर कृषकों को जानकारी देने के लिए यह अभियान बहुत उपयोगी साबित होगा। इस अभियान के तहत इन सभी विषयों पर किसानों के साथ चर्चा होगी और उनकी जिज्ञासाओं का उपयुक्त समाधान भी संबंधित विषय विशेषज्ञों द्वारा किया जायेगा। इस अभियान का त्वरित लाभ किसानों को आगामी खरीफ की फसलों पर होगा। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सभी संबंधित हितधारकों के साथ मिलकर क्रियान्वित किया जाने वाला यह अभियान विकसित भारत के लिए चलाए जा रहे “प्रयोगशाला से खेत तक (Lab to Land)” कार्यक्रम में सार्थक योगदान देगा तथा उसको सशक्त बनाएगा। हमारा मूल मंत्र है — “एक देश – एक कृषि – एक टीम”। जहाँ कृषि वैज्ञानिक, अधिकारी और किसान भाई-बहन एक साथ मिलकर भारत को “विकसित भारत – 2047” की ओर ले जाएंगे।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विधायकों से आग्रह करते हुए कहा है कि वे किसानों को प्रोत्साहित करें कि वे वैज्ञानिकों से संवाद करें व प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लें। हमारा उद्देश्य है — कम लागत, अधिक उत्पादन, टिकाऊ खेती, और लाभकारी कृषि।
उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का एक उद्देश्य यह भी रखा गया है कि कृषि विज्ञान केंद्र के विषय विशेषज्ञ एवं कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिक, किसानों के द्वार एवं खेतों में जाकर उनके नवाचारों से भी कुछ सीखेंगे। यह एक नवीनतम पहल है जो भारतीय कृषि विज्ञान एवं किसानों की विकास गाथा में मील का पत्थर साबित होगी।
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