केन्द्रीय बजट 2024-25 में 9 प्राथमिक क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा हैः निर्मला सीतारमण
केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में ‘केन्द्रीय बजट 2024-25’ पेश करते हुए कहा कि हालांकि वैश्विक अर्थव्यवस्था उम्मीद से बेहतर निष्पादन कर रही है, तथापि यह अभी भी नीतिगत अनिश्चितताओं से प्रभावित है। उच्च आस्ति मूल्य, राजनीतिक अनिश्चितताएं और पोत परिवहन में अव्यवस्थाएं विकास को विपरित रूप से प्रभावित कर रही हैं और मुद्रास्फीति के जोखिम बढ़ा रही हैं। इस संदर्भ में, भारत का आर्थिक विकास एक उत्कृष्ट उदाहरण बना हुआ है और आने वाले वर्षों में भारत इसी प्रकार प्रगति की राह पर अग्रसर रहेगा।
बजट 2024-25 की विशेषताओं के बारे में बताते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि अंतरिम बजट में, हमने ‘विकसित भारत’ के हमारे लक्ष्य के लिए एक विस्तृत रोडमैप प्रस्तुत करने का वादा किया था। अंतरिम बजट में निर्धारित कार्यनीति के अनुरूप, इस बजट में सभी के लिए भरपूर अवसर का सृजन करने के लिए निम्नलिखित 9 प्राथमिकताओं के संबंध में सतत प्रयासों की परिकल्पना की गई है। इन 9 प्राथमिकताओं में शामिल हैः
- कृषि में उत्पादकता और अनुकूलनीयता
- रोजगार और कौशल प्रशिक्षण
- समावेशी मानव संसाधन विकास और सामाजिक न्याय
- विनिर्माण और सेवाएं
- शहरी विकास
- ऊर्जा सुरक्षा
- अवसंरचना
- नवाचार, अनुसंधान और विकास, और
- अगली पीढ़ी के सुधार
वित्त मंत्री ने कहा कि आगामी बजटों को इनके आधार पर तैयार किया जाएगा और नई प्राथमिकताओँ एवं कार्यों को शामिल किया जाएगा। ‘आर्थिक नीति फ्रेमवर्क’ के भाग के रूप में एक अधिक विस्तृत व्यवस्था बनाई जाएगी।
बजट 2024-25 के अनुमानों के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि उधारी और कुल खर्च की तुलना में कुल प्राप्तियां क्रमशः 32.07 लाख करोड़ और 48.21 लाख करोड़ रहने का अनुमान है। कुल कर प्राप्तियां 25.83 लाख करोड़ रहने का अनुमान है। राजकोषीय घाटा जीडीपी का 4.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है। 2024-25 के दौरान सकल और कुल बाजार उधारी क्रमशः 14.01 लाख करोड़ और 11.63 लाख करोड़ रहने का अनुमान है। यह दोनों 2023-24 में कम था।
वित्त मंत्री ने उम्मीद जताई कि 2021 में वित्तीय सशक्तिकरण के लिए घोषित उपाय हमारी अर्थव्यवस्था में अच्छी तरह से योगदान दे रहे हैं, और अगले साल तक सरकार का लक्ष्य रोजकोषीय घाटे को 4.5 प्रतिशत से नीचे ले जाने का है। सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है। 2026-27 के बाद राजकोषीय घाटे को कम करने के प्रयास इस तरह किए जा रहे हैं कि केंद्र सरकार का ऋण जीडीपी के प्रतिशत तक कम हो जाए।