केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज एनसीईआरटी और एमज़ॉन सेलर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के बीच अनुबंध पत्र (एलओई) पर हस्ताक्षर समारोह की अध्यक्षता की। यह पहला ऐसा समझौता है, जो प्रमुख ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर मुद्रित मूल्य पर एनसीईआरटी की मूल पाठ्यपुस्तकों तक पहुंच सुनिश्चित करेगा। इस अवसर पर स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग (डीओएसईएल) के सचिव संजय कुमार, संयुक्त सचिव (डीओएसईएल) प्राची पांडे, एनसीईआरटी के निदेशक प्रो. दिनेश प्रसाद सकलानी, एमज़ॉन के उपाध्यक्ष सौरभ श्रीवास्तव, एमज़ॉन के सार्वजनिक नीति निदेशक अमन जैन और अन्य गणमान्य व्यक्ति तथा अधिकारी भी उपस्थित थे।
धर्मेंद्र प्रधान ने समारोह में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आज की पहल शिक्षा को समावेशी, सुलभ और किफायती बनाने के राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 के दृष्टिकोण को मजबूत करेगी। उन्होंने कहा कि देश भर में बढ़ते डिजिटल उपयोग के साथ, यह पहल सरकार के ‘जीवन यापन में सुगमता’ के दृष्टिकोण का भी समर्थन करेगी। श्री प्रधान ने कहा कि एनसीईआरटी वर्ष 1963 से लगभग 220 करोड़ पुस्तकें और पत्रिकाएँ प्रकाशित करके भारत के शिक्षा परिदृश्य को आकार दे रहा है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि एनसीईआरटी देश के लिए एक प्रमुख थिंक टैंक है। इसके अलावा, उन्होंने घोषणा की कि ये पुस्तकें देशभर में लगभग 20,000 पिन कोड पर उपलब्ध कराई जाएंगी। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि ये किताबें अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) पर उपलब्ध होनी चाहिए।
धर्मेंद्र प्रधान ने एमज़ॉन के साथ एनसीईआरटी की साझेदारी की प्रशंसा करते हुए इसे जीवन में सुगमता और शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि एनसीईआरटी किताबों का प्रकाशन तीन गुना तक बढ़ाएगा और अगले शैक्षणिक सत्र (2025-26) के लिए 15 करोड़ किताबें प्रकाशित करेगा।
उन्होंने दर्शकों को यह भी बताया कि एनसीईआरटी को 21वीं सदी की पाठ्यपुस्तकें विकसित करने का दायित्व सौंपा गया है।
उन्होंने अमृत काल के 300 मिलियन विद्यार्थियों के लिए सीखने को आनंदमय बनाने के महत्व पर बल देते हुए ई-पुस्तकों के विकास का आग्रह किया जो इंटरैक्टिव और एआई-संचालित हों और जिनमें टॉकिंग बुक्स जैसे नवाचार शामिल हों। शिक्षा मंत्री महोदय ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए सभी 23 भाषाओं में पुस्तकों के महत्व को रेखांकित किया और घोषणा की कि किताबें भारत की वास्तविक सॉफ्ट पावर होंगी।
संजय कुमार ने शिक्षा में पाठ्यपुस्तकों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए इन आवश्यक संसाधनों के लिए आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि पाठ्यपुस्तकें, जो देश में कुल पुस्तक बिक्री का लगभग 96 प्रतिशत हिस्सा हैं, विद्यार्थियों के लिए पहुंच बढ़ाने के लिए एमज़ॉन जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफार्म के माध्यम से उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
सभी वर्गों की एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकें एमज़ॉन एनसीईआरटी स्टोरफ्रंट (http://amazon.in/ncert) पर उपलब्ध कराई जाएंगी, जिसे आज ही शुरू किया गया था। पाठ्यपुस्तकों की खुदरा बिक्री पाठ्यपुस्तकों पर मुद्रित दर से अधिक कीमत पर नहीं की जाएगी। इस प्लेटफ़ॉर्म पर केवल एनसीईआरटी की मूल पाठ्यपुस्तकों की खुदरा बिक्री की जाएगी, जिससे एनसीईआरटी की नकली पाठ्यपुस्तकों की बिक्री पर अंकुश लगाने में सहायता मिलेगी। एमज़ॉन एनसीईआरटी को नकली या अधिक कीमत वाली किताबें वितरित करने वाले अनधिकृत विक्रेताओं की निगरानी करने और उन्हें हटाने में सहायता करेगा।
एमज़ॉन के विशाल डिलीवरी नेटवर्क के माध्यम से, विद्यार्थी और स्कूल, यहां तक कि सबसे दूरदराज के क्षेत्रों में भी, निर्धारित कीमतों पर पाठ्यपुस्तकें खरीद सकेंगे। यह आपूर्ति अंतराल, विलंबित उपलब्धता और पाठ्यपुस्तकों की क्षेत्रीय कमी की चुनौतियों का समाधान करेगा, जिससे शिक्षा तक समान पहुंच सुनिश्चित होगी।
यह गठजोड़ एनसीईआरटी को अपनी पाठ्यपुस्तकों और अन्य शैक्षिक सामग्री की गुणवत्ता में सुधार के लिए ग्राहकों की समीक्षाओं और प्रतिक्रिया का लाभ उठाने में भी सक्षम बनाएगा। इसके अलावा, उन राज्यों/जिलों में जहां एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकों की मांग अधिक है, भविष्य के प्रिंट ऑर्डर, वितरण रणनीतियों और नए वितरकों के चयन के संबंध में सूचित निर्णय लेने की सुविधा के लिए अज्ञात बिक्री और उपयोग डेटा को एनसीईआरटी के साथ साझा किया जाएगा।
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