केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने बुधवार को दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन में आयोजित जी-20 पर्यावरण मंत्रियों की बैठक में ‘एकजुटता, समानता और स्थिरता’ विषय पर अपना वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए दक्षिण अफ्रीकी गणराज्य का आभार जताया। मंत्री महोदय ने प्रतिनिधियों से एक ऐसे विश्व के निर्माण के मार्ग पर चलने का आह्वान किया जो उद्देश्य में एकजुट हो, अधिकारों और संसाधनों में समान हो और पूरी पृथ्वी के लिए मिलकर काम करने में विश्वास करते हों।
भूपेंद्र यादव ने अपने संबोधन में इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि पेरिस समझौते के 10 वर्ष पूरे होने पर सभी देश अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) निर्धारित करने, उनके लिए काम करने के लिए एक साथ आए और कई मामलों में भारत की तरह निर्धारित समय-सीमा से पहले ही अपने लक्ष्यों को प्राप्त करना शुरू कर दिया हो।
मंत्री ने इस बात पर जोर देते हुए कि भारत हमेशा समाधान का एक हिस्सा है। उन्होंने आग्रह किया कि जी-20 को महत्वाकांक्षा और कार्यान्वयन के बीच एक सेतु का काम करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रत्येक राष्ट्र के योगदान का सम्मान हो और प्रत्येक राष्ट्र की क्षमता में वृद्धि हो। उन्होंने कहा, “हमें ‘साझा लेकिन अलग-अलग जिम्मेदारियों और समान क्षमताओं’ के सिद्धांतों की पुष्टि करनी चाहिए। महत्वपूर्ण पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करने के लिए विकासशील देशों को वित्त प्रदान करना एक वादे के बजाय उसका एक कर्तव्य के रूप में पालन किया जाना चाहिए, क्योंकि समानता कोई विशेषाधिकार नहीं- बल्कि एक अधिकार है।”
भूपेंद्र यादव ने याद दिलाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले साल जी-20 शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन में ‘बुनियादी बातों की ओर लौटने’ की प्रासंगिकता और इसे ‘भविष्य की ओर हमारी यात्रा’ के साथ एकीकृत करने के महत्व पर जोर दिया था। उन्होंने कहा, “एक स्थायी भविष्य के निर्माण के लिए पारिस्थितिकी तंत्र-आधारित समाधानों और भविष्योन्मुखी तकनीकों का समन्वय ज़रूरी है। ज्ञान साझाकरण, क्षमता निर्माण, प्रौद्योगिकी का सह-विकास स्थिरता प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।”
भूपेंद्र यादव ने ‘समग्र समाज’ दृष्टिकोण की वकालत की और कहा कि सार्थक एवं ठोस परिणाम प्राप्त करने के लिए व्यक्तियों के ‘पृथ्वी-समर्थक जीवनशैली विकल्प’ सबसे अधिक प्रासंगिक होंगे। उन्होंने अंत में कहा, “हम दक्षिण अफ्रीकी प्रेसीडेंसी द्वारा प्रस्तावित जन-केंद्रित, समग्र, एकीकृत और सहयोगात्मक दृष्टिकोण की सराहना करते हैं और उसका पूर्ण समर्थन करते हैं।”
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