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Union Health Secretary addresses the BRICS Health Ministers Meeting on the sidelines of the 77th World Health Assembly in Geneva
अंतर्राष्ट्रीय भारत हेल्थ

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने जिनेवा में 77वीं विश्व स्वास्थ्य सभा के अवसर पर ब्रिक्स स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक को संबोधित किया

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने आज जिनेवा में डब्ल्यूएचओ की 77वीं विश्व स्वास्थ्य सभा के अवसर पर ब्रिक्स (बीआरआईसीएस) स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक को संबोधित किया।

सभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि “भारत ने ब्रिक्स स्वास्थ्य ट्रैक पहल में सक्रिय भागीदारी का प्रदर्शन करने के साथ ही ब्रिक्स देशों में स्वास्थ्य प्रणालियों को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से संयुक्त स्वास्थ्य एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए सहयोगी प्रयासों को बढ़ावा दिया है ताकि महत्वपूर्ण वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान किया जा सके।” उन्होंने कहा कि अपनी अध्यक्षता के दौरान, भारत ने अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियमन के अनुसार बड़े पैमाने पर संक्रामक जोखिमों की रोकथाम के लिए ब्रिक्स एकीकृत प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली की आवश्यकता को स्वीकार किया और रोग निगरानी के लिए एकल स्वास्थ्य दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित किया।

अपूर्व चंद्रा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि ब्रिक्स वैक्सीन अनुसंधान और विकास केंद्र वस्तुतः भारत की अध्यक्षता के दौरान लॉन्‍च किया गया था, और ब्रिक्स वैक्सीन और अनुसंधान एवं विकास केंद्र गतिविधियों के लिए समन्वय एजेंसी के रूप में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) को नामित किया गया था। उन्होंने कहा कि “भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्थान (आईसीएमआर), राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) और अन्य साझेदार संस्थानों के नेटवर्क के साथ पुनः संयोजक (रिकोम्बिनेंट) डेंगू वैक्सीन के चरण-3 नैदानिक ​​​​परीक्षण शुरू कर रहा है। इसके अतिरिक्त, क्यासानूर वन रोग (केएफडी), निपाह वायरस, ह्यूमन पैपिलोमावायरस, एमटीबीवीएसी (माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस वैक्सीन) और इन्फ्लुएंजा जैसी स्थानिक बीमारियों के लिए अनुसंधान और परीक्षण को आईसीएमआर और अन्य भागीदारों तक भी बढ़ाया गया है।”

यह देखते हुए कि भारत ब्रिक्स राष्ट्रीय स्वास्थ्य और कल्याण के लिए एक वैश्विक चुनौती के रूप में रोगाणुरोधी प्रतिरोध पर आगामी ब्रिक्स सम्मेलन के एजेंडे के साथ संरेखित है, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि “2017 में शुरू किए गए रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस-एएमआर) पर भारत की राष्ट्रीय कार्य योजना, विभिन्न प्रकार (क्रॉस-सेक्टोरल) के सहयोग और एकल स्वास्थ्य दृष्टिकोण (वन हेल्थ एप्रोच) पर केंद्रित है, और विश्व स्वस्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की वैश्विक कार्य योजना में उल्लिखित उद्देश्यों के अनुरूप है।” भारत एएमआर को एक वैश्विक चिंता के रूप में स्वीकार करता है और डेटा विश्लेषण, प्रयोगशाला गुणवत्ता नियंत्रण, महामारी विज्ञान मूल्यांकन और प्रशिक्षण पहल जैसे व्यापक उपायों के माध्यम से रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस-एएमआर) का समाधान करने के उद्देश्य से नवाचार (प्रोटोकॉल), परियोजनाओं और प्लेटफार्मों को तैयार करने और उन्हें निष्पादित करने के लिए ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने का पक्षधर है।

अपूर्व चंद्रा ने यह भी कहा कि “भारत परमाणु चिकित्सा और रेडियो-फार्मास्युटिकल विज्ञान में ब्रिक्स देशों के भीतर ऐसे सहयोग को आगे बढ़ाने के महत्व को स्वीकार करता है, जिसमें “उन्नत डिजिटल समाधान” के साथ-साथ विकास और व्यावसायीकरण को बढ़ावा देने के साथ-साथ रेडियो-फार्मास्युटिकल आपूर्ति श्रृंखला को सुदृढ़ करने और समस्थानिकों (आइसोटॉप्स) के उत्पादन को बढ़ाने पर विशेष बल दिया गया है।”

उन्होंने सदस्य देशों से आपसी सहयोग बढ़ाने और विभिन्न स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान खोजने के लिए मिलकर काम करने का आग्रह करते हुए अपने संबोधन का समापन किया।

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव हेकाली झिमोमी, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव और प्रबंध निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) आराधना पटनायक और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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