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Union Minister Dr. Jitendra Singh addresses the Convocation of the 50th “Advanced Professional Programme” in Public Administration (APPPA) at IIPA
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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने IIPA में लोक प्रशासन में 50वें “उच्‍च स्‍तरीय व्यावसायिक कार्यक्रम” (APPPA) के दीक्षांत समारोह को संबोधित किया

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने शासन के बदलते परिदृश्य के मद्देनजर बुधवार को गतिशील पाठ्यक्रम साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों द्वारा संचालित तेजी से बदलती आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए लोक प्रशासन प्रशिक्षण मॉड्यूल में निरंतर विकास का आह्वान किया।

भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए) में लोक प्रशासन में 50वें “उच्‍च स्‍तरीय व्यावसायिक कार्यक्रम” (एपीपीपीए) के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “जो आज प्रासंगिक है, हो सकता है कि कल वह प्रासंगिक न रहे। प्रासंगिक बने रहने के लिए हमें हर दिन सीखने की जरूरत है।” डॉ. जितेंद्र सिंह आईआईपीए कार्यकारी परिषद के अध्यक्ष भी हैं।

मिशन कर्मयोगी और विकसित भारत पर सरकार के फोकस पर प्रकाश डालते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि एपीपीपीए कार्यक्रम ने अपने पारंपरिक पाठ्यक्रम से आगे बढ़कर इसमें आकांक्षी जिलों, रक्षा संस्थानों, ग्रामीण और शहरी विकास योजनाओं और भारत की समृद्ध पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों को शामिल किया है। उन्होंने कहा, “मुझे खुशी है कि पाठ्यक्रम आत्मनिर्भर भारत और शासन में सुधार जैसे विषयों को एकीकृत करते हुए समय के साथ विकसित हुआ है।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने अपने स्पष्ट और व्यापक संबोधन में तेज गति से हो रही तकनीकी प्रगति के मद्देनजर निरंतर सीखने और अनुकूल नीति निर्माण की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने प्रशासनिक ज्ञान को अद्यतन रखने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा, “हम 50वें एपीपीपीए के प्रतिभागियों को 55वें वर्ष तक रिफ्रेशर कोर्स के लिए वापस आता देख सकते हैं।”

एपीपीपीए के स्वर्ण जयंती कार्यक्रम के आयोजन के लिए आईआईपीए की पहल की सराहना करते हुए डॉ. जितेन्द्र सिंह ने नागरिक-सैन्य तालमेल के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने पाठ्यक्रम के भावी संस्करणों में संचार कौशल पर ज़्यादा ध्यान देने का आह्वान करते हुए कहा, “मौजूदा दौर के सैन्य अधिकारी अलग-थलग नहीं रहते; उनसे मीडिया को जानकारी देने, नागरिकों से बातचीत करने और आपदा प्रभावित क्षेत्रों में मिलकर काम करने की अपेक्षा की जाती है।”

डॉ. सिंह ने प्रतिभागियों से प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग द्वारा तैयार किए जा रहे विज़न दस्तावेज़ में अपने क्षेत्र-विशिष्ट ज्ञान का योगदान देकर “भारत@2047” की परिकल्‍पना में सहायता करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “हमें 2047 को 2025 के प्रिज्‍म से नहीं देखना चाहिए। बदलाव बहुत तेज़ी से हो रहा है। हमें भविष्यवादी सोच के साथ आगे बढ़ना चाहिए।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने आईआईपीए द्वारा निर्वाचित सरपंचों और पंचायती राज प्रतिनिधियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आरंभ कर हाल ही में की गई जमीनी स्तर की पहल की भी सराहना करते हुए इसे सभी के क्षमता निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम करार दिया। उन्होंने कहा, “आईआईपीए ने अब वरिष्ठ सिविल सेवकों को प्रशिक्षण देने से लेकर जमीनी स्तर के प्रतिनिधियों को सशक्त बनाने तक अपनी गतिविधियों का विस्‍तार किया है।”

पाठ्यक्रम निदेशक प्रो. नीतू जैन और डॉ. साकेत बिहारी के योगदान की सराहना करते हुए उन्होंने चुनौतीपूर्ण समय के दौरान पाठ्यक्रम पूरा करने के लिए 50वें एपीपीपीए बैच के प्रतिभागियों की भी सराहना की।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने घोषणा की कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने 51वें एपीपीपीए बैच से शुल्क वृद्धि को मंजूरी दे दी है, जिससे आईआईपीए को अतिरिक्त अनुभव दौरों और नए मॉड्यूल के माध्यम से कार्यक्रम को मजबूत करने के लिए अधिक अवसर मिलेगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने अपने संबोधन का समापन आशावादिता के साथ करते हुए प्रतिभागियों को जुड़े रहने और राष्ट्र निर्माण में योगदान जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा, “हालांकि पाठ्यक्रम का आज समापन हो रहा है, लेकिन इन दस महीनों में बना बंधन हमेशा के लिए है।”

आईआईपीए के महानिदेशक एस.एन. त्रिपाठी ने अपने आरंभिक भाषण में आईआईपीए द्वारा शुरू किए गए विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों की मुख्य विशेषताओं को रेखांकित किया।

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