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Union Minister of State for Health Anupriya Patel inaugurates Quad Workshop on Pandemic Preparedness for Indo-Pacific Region
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केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए महामारी की तैयारियों पर क्वाड कार्यशाला का उद्घाटन किया

केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया सिंह पटेल ने सोमवार को हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए महामारी संबंधी तैयारियों पर क्वाड कार्यशाला का उद्घाटन किया।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा विदेश मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला का उद्देश्य वैश्विक स्वास्थ्य आपातकालीन ढांचे को मजबूत करना, स्वास्थ्य खतरों के प्रति तैयारी को और बढ़ाना, उभरती महामारियों के प्रति समन्वित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करना तथा बहुक्षेत्रीय दृष्टिकोण से मानव, पशु और पर्यावरणीय स्वास्थ्य का ध्‍यान रखते हुए वन हेल्थ दृष्टिकोण का कार्यान्वयन करना है।

उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए अनुप्रिया पटेल ने कहा, “हाल के दिनों में बार-बार उभरते स्वास्थ्य खतरों के कारण वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए मजबूत तैयारी, बढ़ी हुई निगरानी और अच्छी तरह से समन्वित अंतरराष्‍ट्रीय तंत्र की महत्वपूर्ण आवश्यकता रेखांकित होती है।”

वैश्विक महामारी से निपटने की तैयारियों और प्रयासों को मजबूत करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालते हुए अनुप्रिया पटेल ने बताया, “भारत ने महामारी कोष की स्थापना के लिए 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान दिया है, जिसे विशेष रूप से महामारियों से लड़ने के लिए संकल्पित किया गया था।” उन्होंने कहा, “भारत ने इसके सतत कामकाज का समर्थन करने के लिए अतिरिक्त 12 मिलियन अमेरिकी डॉलर देने का संकल्प लिया है।”

अनुप्रिया पटेल ने कहा कि भारत ने डिजिटल स्वास्थ्य पहलों का नेतृत्व किया है। स्वास्थ्य पहुंच, परिणामों में सुधार करने और टिकाऊ, डेटा-संचालित प्रणाली बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाया है। ये प्रयास वर्तमान और भविष्य की स्वास्थ्य और जलवायु चुनौतियों से निपटने में सक्षम स्वास्थ्य प्रणाली के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि एक लचीली और महामारी के दृष्टिकोण से तैयार स्वास्थ्य सेवा प्रणाली बनाने और उसे स्थिर करने के लिए भारत ने एक व्यापक स्वास्थ्य आपातकालीन समन्वय ढांचा स्थापित किया है। यह ढांचा स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के भीतर कई प्रमुख पहलों जैसे एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी), जूनोसिस की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय एक स्वास्थ्य कार्यक्रम और राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण और रोकथाम (एनवीबीडीसीपी) की स्थापना के माध्यम से रणनीतिक रूप से तैयारी, रेस्‍पॉंस और लचीलापन-निर्माण पर केंद्रित है।

केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) जैसी पहलों और कोविन प्लेटफॉर्म, ई-संजीवनी, राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा, मानसिक स्वास्थ्य रोगों के प्रबंधन के लिए टेली-मानस और टीबी रोगियों की निगरानी और प्रबंधन के लिए नि-क्षय पोर्टल जैसे उपकरणों के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा में डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहा है। अनुप्रिया पटेल ने कहा, “हमारी मजबूत डिजिटल रोग निगरानी प्रणाली अन्य देशों के लिए एक मूल्यवान मॉडल पेश करती है जो अपने सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करना चाहते हैं।”

अनुप्रिया पटेल ने कहा कि डिजिटल स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियों में एक प्रकाशस्तंभ रूप में भारत विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर विचार-विमर्श में सबसे आगे रहा है। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्‍होंने कहा, “भारत अपने डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) को वैश्विक समुदाय के साथ विशेष रूप से ग्‍लोबल साउथ में अपने मित्रों के साथ साझा करने को इच्छुक है, ताकि आधुनिक स्वास्थ्य सेवा दृष्टिकोण को सक्षम बनाया जा सके। हम स्वास्थ्य क्षेत्र में रुचि के चिन्हित क्षेत्रों में अपने विदेश मंत्रालय के साथ साझेदारी में पाठ्यक्रम और क्षमता निर्माण प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए भी इच्छुक हैं।”

उन्होंने अपने संबोधन का समापन “सभी के लिए सुरक्षित और स्वस्थ भविष्य” सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य पहलों में एकता और सहयोग के महत्व पर जोर देते हुए किया।

भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद ने भारत में स्वास्थ्य सेवाओं के एकीकरण के लिए किए जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला समान विचारधारा वाले साझेदार देशों के साथ मिलकर स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक अनूठा दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है।

उन्होंने क्षेत्रीय स्वास्थ्य नेटवर्क को मजबूत करने और जूनोटिक बीमारियों के लिए तैयारी करने की आवश्यकता पर जोर दिया, खासकर उन देशों के लिए जहां पशुधन महत्वपूर्ण है। उन्होंने बेहतर निगरानी, ​​हेल्‍थ मॉडल और बेहतर तैयारी के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों में सुधार के लिए प्रौद्योगिकियों को साझा करने पर जोर दिया। उन्होंने नवाचार को बढ़ावा देने के लिए छात्रों और वैज्ञानिक समुदाय के बीच अधिक जुड़ाव की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने कहा, “यह कार्यशाला ज्ञान, सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान करने और सबसे महत्वपूर्ण रूप से लोगों को तैयारियों के केंद्र में रखकर और उन्हें भविष्य के स्वास्थ्य संकटों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए भारत-प्रशांत क्षेत्र में स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करने का एक मूल्यवान अवसर है।” उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत की विशाल वैक्सीन उत्पादन क्षमता, संयुक्त राज्य अमेरिका के अत्याधुनिक अनुसंधान, जापान की तकनीकी विशेषज्ञता और ऑस्ट्रेलिया की मजबूत क्षेत्रीय भागीदारी का लाभ उठाकर, क्वाड भारत-प्रशांत और उससे आगे स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए एक ताकत के रूप में उभरा है।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि महामारी से निपटने के लिए त्वरित, तत्काल और निरंतर प्रबंधन, वैश्विक एकजुटता और बहुपक्षीय सहयोग की आवश्यकता होती है। इसके साथ ही उन्होंने सभी स्तरों पर महामारी की तैयारी क्षमता को मजबूत करने की वकालत की और ऐसी किसी भी पहल के लिए भारत का दृढ़ समर्थन व्यक्त किया।

कार्यशाला में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की अपर सचिव हेकाली झिमोमी, विदेश मंत्रालय में अपर सचिव (अमेरिका) के नागराज नायडू, भारत में विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि डॉ. रोडेरिको एच. ओफ्रिन, क्वाड राष्ट्रों-भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी और तकनीकी विशेषज्ञों के साथ-साथ हिंद-प्रशांत क्षेत्र के 15 देशों और अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठनों के 36 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

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