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Union Minister Sarbananda Sonowal dedicates IWT Terminal at Jogighopa to the nation
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केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने जोगीघोपा में आईडब्ल्यूटी टर्मिनल राष्ट्र को समर्पित किया

बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने आज जोगीघोपा में अंतर्देशीय जलमार्ग टर्मिनल (आईडब्ल्यूटी) का उद्घाटन किया और इसे देश के लोगों को समर्पित किया। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री ने दो माल लादने की नाव के साथ एक जहाज एमवी त्रिशूल को हरी झंडी दिखाई, साथ ही माल लादने की नाव अजय और दिक्षु को भी बांग्लादेश के लिए रवाना किया। इस जहाज पर 110 मीट्रिक टन कोयला और पत्थर के टुकड़े लदे हुए हैं। टर्मिनल की आधारशिला फरवरी, 2021 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रखी थी।

भूटान के गेलेफू से 91 किमी, बांग्लादेश सीमा से 108 किमी और गुवाहाटी से 147 किमी की दूरी पर स्थित यह टर्मिनल रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। बांग्लादेश और भूटान के साथ भारत के द्विपक्षीय व्यापार संबंधों के लिए भी यह महत्वपूर्ण है। जोगीघोपा टर्मिनल, भारत और बांग्लादेश के बीच पीआईडब्ल्यूटीएंडटी के तहत घोषित बंदरगाहों में से एक है। वर्ष 2027 तक, इस टर्मिनल से प्रति वर्ष 1.1 मिलियन टन कार्गो संचालन की उम्मीद है। एमवी पद्मा नेविगेशन II जहाज़ अजय और दिक्षु के साथ 110 मीट्रिक टन कोयला ले जा रहा है, जबकि एमवी त्रिशूल द्वार बांग्लादेश पत्थर के टुकड़े भेजे जा रहे हैं।

इस अवसर पर, केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, “ आज का दिन देश के जलमार्ग परिवहन क्षेत्र के लिए ऐतिहासिक है क्योंकि हम जोगीघोपा में आईडब्ल्यूटी टर्मिनल लोगों और राष्ट्र को समर्पित कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के गतिशील नेतृत्व में, जलमार्ग परिवहन के क्षेत्र में भारत के लॉजिस्टिक्स विकास को बढ़ावा देने के लिए जबरदस्त परिवर्तन आ रहा है , जो हमें मोदी जी के ‘विकसित भारत’ के दृष्टिकोण की ओर अग्रसर करता है। जोगीघोपा में आईडब्ल्यूटी टर्मिनल क्षेत्र में कनेक्टिविटी को बेहतर करने और भूटान और बांग्लादेश के साथ हमारे त्रिपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए तैयार है। इसकी रणनीतिक स्थिति इसे क्षेत्र के लिए एक आर्थिक गुणक की भूमिका निभाने की अनुमति देती है, जो पीएम नरेंद्र मोदी के ‘ पड़ोसी पहले’ के सिद्धांत का प्रमाण है।

बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, म्यांमार और अन्य पड़ोसी देशों के साथ रणनीतिक क्षेत्रीय परियोजनाओं और समझौतों के माध्यम से भारत स्वयं को उन्नत क्षेत्रीय व्यापार और निर्बाध परिवहन संपर्क की सुविधा के लिए प्रमुख जलमार्ग प्रवेश द्वार के रूप में स्थापित कर रहा है। इस प्रकार दक्षिण एशिया के समग्र विकास और एकीकरण में योगदान मिल रहा है और साथ ही क्षेत्र के आर्थिक परिदृश्य की स्थिरता और जीवन शक्ति सुनिश्चित हो रही है ।

82 करोड़ रुपये से ज़्यादा की लागत से निर्मित, जोगीघोपा टर्मिनल में कार्गो हैंडलिंग के लिए इलेक्ट्रिक लेवल लफ़िंग क्रेन के लिए डिज़ाइन की गई आरसीसी अप्रोच वाली जेटी है। टर्मिनल में प्रशासनिक भवन, सीमा शुल्क कार्यालय भवन, इमिग्रेशन कार्यालय, ट्रक पार्किंग क्षेत्र, पावर बैक अप के साथ 1100 वर्ग मीटर का कवर्ड स्टोरेज क्षेत्र और 11,000 वर्ग मीटर के खुले गोदाम जैसी बुनियादी सुविधाएं भी हैं।

अंतर्देशीय जलमार्गों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए, सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, ” अंतर्देशीय जलमार्गों का विकास भारत में लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में बदलाव लाने की बहुत बड़ी संभावना है। नदियों और जल निकायों के अपने व्यापक नेटवर्क का लाभ उठाकर, हम माल परिवहन का एक टिकाऊ, लागत प्रभावी और कुशल तरीका अपना सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के गतिशील नेतृत्व में, सरकार राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम, 2016, अंतर्देशीय पोत अधिनियम, 2021 जैसे कई अग्रणी कानून लाई है और कार्गो और यात्री यातायात दोनों के लिए अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन के इकोसिस्टम को सशक्त और सक्षम बनाने के लिए अन्य कानून लागू किए हैं।”

भूटान सरकार के उद्योग, वाणिज्य और रोजगार मंत्री ल्योनपो नामग्याल दोरजी, असम के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री रंजीत कुमार दास, उद्योग,वाणिज्य, और उद्यम मंत्री बिमल बोरा, परिवहन मंत्री जोगेन मोहन, सांसद (बारपेटा) फणी भूषण चौधरी, सांसद (धुबरी); रकीबुल हुसैन , विधायक(अभ्यपुरी दक्षिण) प्रदीप सरकार , आईडब्ल्यूएआई अध्यक्ष, आईएएस, विजय कुमार तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति इस कार्यक्रम में शामिल हुए।

पूर्वोत्तर में, एन डब्लयू-2 का व्यापक विकास, पांडु में जहाज मरम्मत सुविधा, बोगीबील टर्मिनल का विकास, पांडु तक अंतिम छोर तक पहुंच बनाने जैसी कुछ परियोजनाएं हैं जो वर्तमान में विकास के विभिन्न चरणों में चल रही हैं। पूर्वोत्तर जलमार्गों के विकास के लिए भारी निवेश की परिकल्पना की गई है, यह आर्थिक विकास और समृद्धि को बढ़ावा देने में इन जलमार्गों की महत्वपूर्ण भूमिका का एक शानदार प्रमाण है। जोगीघोपा में नए आईडब्लयूटी टर्मिनल का संचालन उसी दिशा में एक कदम होगा।

असम के साथ-साथ पूर्वोत्तर भारत के आर्थिक विकास में आईडब्लयूटी जोगीघोपा की भूमिका के बारे में बताते हुए , सोनोवाल ने कहा, “ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के गतिशील नेतृत्व में, पूर्वोत्तर एक विकास गुणक में बदल गया है और असम इस परिवर्तन में अग्रणी भुमिका निभा रहा है। जैसे-जैसे हम विकसित भारत के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में बढ़ रहे हैं, पूर्वोत्तर की अपार क्षमता को एक प्रमुख भूमिका निभानी है। ब्रह्मपुत्र (राष्ट्रीय जलमार्ग 2) के साथ हमारी नदी प्रणाली के समृद्ध और जटिल अंतर्जाल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के साथ, सरकार इस क्षेत्र में अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन के विकास का समर्थन करने के लिए बुनियादी ढांचे के विकास के साथ-साथ एक इकोसिस्टम तैयार कर रही है। हमें विश्वास है कि पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के हिस्से के रूप में अंतर्देशीय जलमार्ग 2047 तक एक आत्मनिर्भर भारत बनने की दिशा में हमारी अर्थव्यवस्था के आर्थिक और व्यापार साधनों को सक्षम बना देंगे।”

पिछले दशक में आईडब्लयूटी क्षेत्र में व्यापार और परिवहन के मामले में अभूतपूर्व उछाल देखा गया है। परिचालन राष्ट्रीय जलमार्गों की संख्या में 767 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, एन डब्लयू पर संचालित कार्गो की मात्रा में 727 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, मल्टीमॉडल टर्मिनलों में 62 प्रतिशत की अभूतपूर्व वृद्धि हुई है और अंतर्देशीय जलमार्गों के लिए बजट आवंटन में 860 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पिछले दस वर्षों में राष्ट्रीय जलमार्गों पर कार्गो यातायात में तेजी से वृद्धि देखी गई है- एक दशक पहले 18 मिलियन टन से लेकर वित्त वर्ष 2023-24 में 22 प्रतिशत से अधिक के साथ सीएजीआर में 133 मिलियन टन है।

अंतर्देशीय जलमार्ग पर्यटन क्षेत्र के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। एमवी गंगा विलास की ऐतिहासिक यात्रा ने क्रूज पर्यटन की संभावनाओं को दर्शाया है, क्योंकि यह ‘ दुनिया का सबसे लंबा नदी क्रूज’ है और 27 अलग-अलग नदी प्रणालियों, 5 राज्यों और दो देशों से होकर गुजरता है। नदी क्रूज पर्यटन क्षेत्र में पिछले एक दशक में काफी वृद्धि हुई है। नदी क्रूज जहाजों की संख्या 2013-14 में 3 से बढ़कर 2023-24 में 25 हो गई है।

आईडब्लयूटी क्षेत्र में औसत वार्षिक व्यय 1986 से 2014 तक 28 वर्षों के लिए मात्र 58 करोड़ रुपये प्रति वर्ष से बढ़कर 2014 से दिसंबर 2024 तक पिछले 11 वर्षों के दौरान 648 करोड़ रुपये प्रति वर्ष हो गया है।

गुवाहाटी में विश्व स्तरीय रिवर क्रूज़ टर्मिनल विकसित किया जा रहा है, जो नदियों के किनारे यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए वन-स्टॉप समाधान होगा। इसके अलावा, पर्याप्त अपतटीय और आधुनिक सुविधाओं वाले सिलघाट, बिश्वनाथ घाट, नेमाटी और गुइजान में 4 समर्पित रिवर क्रूज़ टर्मिनल विकसित किए जा रहे हैं।

नरेंद्र मोदी सरकार ने अगले पांच वर्षों में भारत में क्रूज पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ‘ क्रूज भारत मिशन’ भी शुरू किया है, जिसका लक्ष्य 10 समुद्री क्रूज टर्मिनल, 100 नदी क्रूज टर्मिनल और पांच बंदरगाह स्थापित करना है। मिशन का उद्देश्य क्रूज कॉल और यात्रियों की संख्या को दोगुना करना, क्षेत्रीय गठबंधनों को मजबूत करना और 2029 तक समुद्री और नदी क्रूज यात्रियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि करना है, जिससे पूरे देश में पर्यटन और कनेक्टिविटी को बढ़ावा मिलेगा। सरकार ने देश भर में जहाजों की सुरक्षित और सुचारू आवाजाही को कारगर बनाने के उद्देश्य से 111 राष्ट्रीय जलमार्गों की घोषणा करने वाले राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम 2016 और अंतर्देशीय पोत अधिनियम 2021 जैसे प्रमुख विधायी सुधार भी लागू किए हैं।

सर्बानंद सोनोवाल ने यह घोषणा की है कि ईडब्ल्यूएआई ने कोच्चि जल मेट्रो मॉडल की तरह 12 राज्यों के 18 शहरों में जल मेट्रो परियोजनाओं को विकसित करने के लिए शहरी जल परिवहन प्रणाली को मजबूत बनाने की परिकल्पना की गई है और इसमें गुवाहाटी में भी एक परियोजना शामिल है।

आईडब्ल्यूटी जोगीघोपा के बारे में:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 फरवरी, 2025 को जोगीघोपा में अंतर्देशीय जलमार्ग टर्मिनल की आधारशिला रखी। आईडब्ल्यूएआई, पीएसडब्ल्यू मंत्रालय ने टर्मिनल के निर्माण का काम एनएचआईडीसीएल को सौंपा है। परियोजना की कुल लागत 82.03 करोड़ रुपये है। 15 एकड़ क्षेत्र में फैला यह टर्मिनल 4 लेन वाली सड़क से जोगीघोपा में एमएमएलपी से जुड़ा हुआ है और एनएच 17 से सटा हुआ है। यह टर्मिनल भारत और बांग्लादेश के बीच भारत माला कार्यक्रम के तहत डलू-तुरा-गोलपारा-गेलेफू मल्टीमॉडल व्यापार मार्ग के साथ आर्थिक गलियारा विकसित करने के लिए हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन को देखते हुए महत्वपूर्ण है। जोगीघोपा व्यापार और पारगमन के लिए भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल मार्ग (आईबीपीआर) के साथ महत्वपूर्ण बंदरगाहों में से एक है।

यह टर्मिनल बांग्लादेश और भूटान के साथ व्यापार के लिए महत्वपूर्ण है। जोगीघोपा टर्मिनल की दूरी गेलेफू भूटान (गेलेफू माइंडफुलनेस सिटी) से सिर्फ 91 किमी है और यहां भूटान सरकार द्वारा एक आधुनिक शहर विकासित किया जा रहा है। टर्मिनल बी ‘ बॉर्डर से 108 किमी और आईडब्ल्यूटी द्वारा गुवाहाटी से 147 किमी की दूरी पर है। टर्मिनल बांग्लादेश, पूर्वोत्तर की बराक घाटी के साथ-साथ कोलकाता/हल्दिया से जुड़ने वाले आईबीपी मार्ग के माध्यम से भारत के अन्य हिस्सों से जुड़ा हुआ है। टर्मिनल की मुख्य विशेषताओं में से, आरसीसी जेटी का आकार 100mx21m है, जिसमें आरसीसी एप्रोच (136mx8m) है। परियोजना में प्रशासनिक भवन (जी+2), सीमा शुल्क भवन, आव्रजन भवन, 60 मीटर x18 मीटर आकार का पारगमन (कवर स्टोरेज), खुला भंडारण (6280 वर्गमीटर और 3700 वर्गमीटर), 412 केवीए कनेक्शन के साथ 24×7 बिजली के प्रावधान के साथ सुरक्षा, सुरक्षित चारदीवारी, 1500 वर्गमीटर की पर्याप्त ट्रक पार्किंग सुविधा, कैंटीन और विश्राम कक्ष की सुविधा शामिल है। टर्मिनल की प्रारंभिक क्षमता 1.1 एमटीपीए है। इस टर्मिनल से संचालित होने वाली प्राथमिक वस्तुओं में खाद्यान्न, उर्वरक, टार कोल/बिटुमेन, पीओएल और कच्चा तेल, खाद्य तेल, फ्लाई ऐश, आयातित कोयला, पत्थर के टुकड़े आदि शामिल हैं। जोगीघोपा टर्मिनल को एमएमएलपी जोगीघोपा से जोड़ने के लिए एक रेलवे बीजी साइडिंग की स्थापना का भी प्रस्ताव है।

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