उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि इंडिया, यानी भारत, अब एक पसंदीदा वैश्विक पर्यटन स्थल है। उन्होंने कहा, “आध्यात्मिकता, भव्यता और 5,000 वर्षों के सभ्यतागत लोकाचार की भूमि से, पर्यटक पूरे वर्ष सभी मौसमों का अनुभव कर सकते हैं।” उपराष्ट्रपति धनखड़ ने पिछले दशक में भारत की तेजी से प्रगति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पर्यटन, देश के आर्थिक विकास का एक इंजन है। उन्होंने कहा कि यह वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में ले जाने की महत्वपूर्ण क्षमता रखता है।
नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आज विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर उद्घाटन भाषण देते हुए उपराष्ट्रपति महोदय ने वैश्विक शांति, आर्थिक विकास और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहन देने में पर्यटन की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि पर्यटन मानवता के बंधन को जोड़ता है, जिसकी आज के युग में बहुत आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “पर्यटन शांति के लिए बड़े पैमाने पर योगदान देता है। पूरी दुनिया शांति के लिए तरस रही है और कहीं भी किसी भी तरह की अशांति सभी के लिए दुखदायी है, यह अशांति आपूर्ति श्रृंखलाओं और अर्थव्यवस्थाओं को बाधित कर रही है।”
उपराष्ट्रपति महोदय ने पर्यटन को भारत की डिजिटलीकरण क्रांति की सफलता की कहानी का अनुसरण करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “यदि हम वैश्विक मानकों के अनुसार चलते हैं, यदि हम अपने पर्यटक संसाधनों का अनुचित दोहन को रोकने का प्रबंध करते हैं, तो हम तीन समस्याओं का समाधान करेंगे जो पूरी दुनिया के लिए बिल्कुल हमारे डिजिटलीकरण मॉडल की तरह एक मॉडल का उदाहरण बनेंगे।” उन्होंने तीन प्रमुख क्षेत्रों पर प्रकाश डाला जिनका पर्यटन पर प्रभाव पड़ेगा: अर्थव्यवस्था में बड़े पैमाने पर योगदान, कार्यबल को उन्नत करना और रोजगार पैदा करना। उन्होंने कहा, “प्रत्येक पर्यटक एक सपना लेकर आता है। वह एक निर्बाध अनुभव चाहता है और हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे मानव संसाधन इसे प्रदान करने के लिए कुशल हों।”
उपराष्ट्रपति महोदय ने पिछले दशक में भारत की परिवर्तनकारी यात्रा के बारे में बात करते हुए इस बात पर बल दिया कि कैसे देश की वैश्विक छवि में नाटकीय रूप से सुधार हुआ है। उन्होंने कहा, “दुनिया में भारत की छवि एक दशक पहले की छवि से बहुत अलग है। भारत के नेतृत्व को विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त है। इस आकार की दुनिया में कौन सी अन्य अर्थव्यवस्था वार्षिक 8 प्रतिशत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) बढ़ने का दावा कर सकती है? और आने वाले कई वर्षों तक जारी रहने की इसके बारे में भविष्यवाणी की गई है।”
उन्होंने आगे बताया कि कैसे भारत का आर्थिक विकास अपने 1.4 अरब नागरिकों को शौचालय, बिजली, इंटरनेट, शिक्षा और नल के पानी जैसी आवश्यक सेवाएं प्रदान करके देश के प्रत्येक व्यक्ति तक आपूर्ति द्वारा संचालित किया गया है। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने बल देकर कहा, “शौचालय, बिजली, इंटरनेट, शिक्षा और नल के पानी के संबंध में 1.4 अरब लोगों को अंतिम छोर तक सेवा प्रदान की जा रही है।” उन्होंने जीवन स्तर में सुधार और विकास को गति देने में देश के नेतृत्व की प्रशंसा की।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व की भी प्रशंसा करते हुए उन्हें पर्यटन का सबसे बड़ा दूत बताया। पर्यटन, बुनियादी ढांचे और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भारत की उपलब्धियों की वैश्विक प्रगति पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लक्षद्वीप में कुछ ही पल बिताए और पूरी दुनिया को इसके बारे में पता चल गया।”
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल और पूर्वी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के अध्यक्ष के रूप में अपने अनुभव पर विचार करते हुए उन्होंने कहा, “यदि आप मेघालय जैसी जगह पर जाएं, तो आप पानी की शुद्धता से आश्चर्यचकित हो जाएंगे; आप एक गांव को देखकर आश्चर्यचकित हो जाएंगे।” यह बहुत पर्यावरण-अनुकूल है।” उन्होंने कहा, यह उस चमत्कार का उदाहरण है जो भारत ने केवल दस वर्षों में पर्यटन के लिए बनाया है।
उपराष्ट्रपति महोदय ने जम्मू-कश्मीर के पर्यटन परिदृश्य में उल्लेखनीय परिवर्तन पर व्यक्तिगत विचार भी साझा किए। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कह, “जब मैंने मंत्रिपरिषद के सदस्य के रूप में श्रीनगर का दौरा किया, तो मैंने सड़कों पर मुश्किल से एक दर्जन लोगों को देखा। पिछले वर्ष दो करोड़ से अधिक लोग पर्यटकों के रूप में कश्मीर गए थे।” उन्होंने कहा, यह तेजी से वृद्धि वैश्विक पर्यटन केंद्र के रूप में भारत की बढ़ती स्थिति का प्रमाण है।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और इसकी वैश्विक उपस्थिति का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “यूनेस्को ने 45 विरासत स्थलों को सूचीबद्ध किया है, लेकिन वास्तविक संख्या कई गुना है। हमारे त्योहार जैसे दुर्गा पूजा, गणेश चतुर्थी और दीपावली में चुंबकीय आकर्षण है जो दुनिया भर से पर्यटकों को भारत की ओर खींचते हैं।” उन्होंने आगे कहा कि जी-20 शिखर सम्मेलन में 200 से अधिक विदेशी प्रतिनिधिमंडल भारत आए थे। इस दौरान भारत के व्यंजनों, सांस्कृतिक संपदा और पर्यटन स्थलों का प्रदर्शन किया गया और इन विदेशी प्रतिनिधियों से व्यापक प्रशंसा अर्जित की।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने अपने संबोधन का समापन करते हुए वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर भारत की स्थिति को ऊंचा उठाने के लिए सामूहिक प्रतिबद्धता का आह्वान किया। उन्होंने जमीनी हकीकतों का मूल्यांकन करने और विभिन्न पर्यटन क्षेत्रों में परिणाम उत्पन्न करने के लिए टास्क फोर्स के गठन को प्रोत्साहित करते हुए कहा, “यात्रा से बड़ी कोई शिक्षा नहीं है, और पर्यटन से बड़ा कोई सहज कनेक्शन नहीं है।”
उपराष्ट्रपति महोदय ने विश्वास व्यक्त किया कि भारत का पर्यटन क्षेत्र, रणनीतिक पहल और कुशल संसाधनों द्वारा समर्थित, वर्ष 2047 में अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी से बहुत पहले, देश को एक विकसित देश बनने के लक्ष्य की ओर प्रेरित करेगा।
केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री किंजरापु राममोहन नायडू, केंद्रीय पर्यटन और पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री सुरेश गोपी, पर्यटन मंत्रालय की सचिव वी. विद्यावती और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
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