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उपराष्ट्रपति ने ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ शीर्षक प्रधानमंत्री मोदी के भाषणों वाले खंडों का लोकार्पण किया

उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चुनिंदा भाषणों वाले दो खंडों का विमोचन किया, जिसका शीर्षक है ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’। इनमें प्रधानमंत्री के दूसरे कार्यकाल के चौथे और पांचवें वर्ष को शामिल किया गया है।

नई दिल्ली में सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में बोलते हुए, उपराष्ट्रपति ने नवरात्रि के पावन अवसर पर नागरिकों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं और कहा कि पदभार ग्रहण करने के बाद यह उनका पहला सार्वजनिक समारोह है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि ये दोनों खंड प्रधानमंत्री के योगदानों, उनके दृष्टिकोण और राष्ट्र से संबंधित उनके सपनों को समझने की कुंजी हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को “देश और विदेश के लाखों लोगों के लिए एक ऐसा जीवंत प्रेरणास्रोत” बताया, जो अपने आचरण से लोगों को अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए प्रेरित करते हैं, जो आम आदमी के प्रतिनिधि से एक सच्चे जननेता के रूप में विकसित हुए हैं, जिनके दृढ़ संकल्प ने हमें दिखाया है कि असंभव को कैसे संभव बनाया जा सकता है, नामुमकिन को मुमकिन करना, असंभव को संभव करना।”

इन पुस्तकों, जिनमें 2022-23 के दौरान दिए गए 76 भाषण और 12 मन की बात संबोधन और 2023-24 के दौरान दिए गए 82 भाषण और 9 मन की बात संबोधन शामिल हैं और जिन्हें 11-11 विषयगत खंडों में संकलित किया गया है, की विषयवस्तु पर प्रकाश डालते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि ये पुस्तकें प्रधानमंत्री की विचारों की स्पष्टता, दूरदर्शी दृष्टिकोण और समावेशी शासन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं। उपराष्ट्रपति ने भाषणों के सावधानीपूर्वक चयन और सुंदर प्रस्तुति के लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय के प्रकाशन विभाग को बधाई भी दी।

स्वामी विवेकानंद के इस कथन को उद्धृत करते हुए कि, “उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए” उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रधानमंत्री का हर भाषण दृढ़ता, दृढ़ संकल्प और लोक कल्याण का ही संदेश देता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ये भाषण प्रधानमंत्री मोदी के उस दृष्टिकोण को दर्शाते हैं जिससे यह सुनिश्चित होता है कि सरकारी योजनाएं समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचें।

उन्होंने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’, काशी तमिल संगमम, जनजातीय गौरव दिवस और राजपथ का नाम बदलकर कर्त्तव्य पथ करने जैसी पहलों के जरिए भारत की सांस्कृतिक पहचान को पुनर्जीवित करने में प्रधानमंत्री की भूमिका को रेखांकित किया।

युवा सशक्तिकरण के बारे में बोलते हुए, उपराष्ट्रपति ने स्टार्टअप इंडिया, फिट इंडिया, खेलो इंडिया, स्किल इंडिया और रोजगार मेला जैसी पहलों की प्रशंसा की और इन्हें 2047 तक विकसित भारत के निर्माण का आधारभूत स्तंभ बताया। उन्होंने राष्ट्र के युवाओं में विश्वास पर आधारित पहल के रूप में मेरा युवा भारत (माई भारत) के शुभारंभ पर भी प्रकाश डाला।

जी-20 की भारत की अध्यक्षता का उल्लेख करते हुए, उपराष्ट्रपति ने अफ्रीकी संघ को स्थायी सदस्य के रूप में ऐतिहासिक रूप से शामिल किए जाने की सराहना की तथा प्रधानमंत्री मोदी के वसुधैव कुटुम्बकम- विश्व एक परिवार है- के दृष्टिकोण को रेखांकित किया।

उन्होंने आगे कहा कि ये भाषण प्रधानमंत्री मोदी की “360-डिग्री संलग्नता” को दर्शाते हैं, जिसमें वैश्विक एजेंडा को आकार देने से लेकर वोकल फॉर लोकल, आत्मनिर्भर भारत और ‘पीएम-सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना’ जैसी परिवर्तनकारी स्थानीय पहलों को आगे बढ़ाना शामिल है। उन्होंने बताया कि ये कार्यक्रम किस प्रकार सतत विकास लक्ष्यों को दर्शाते हैं और लोगों के जीवन में ठोस बदलाव लाते हैं।

उपराष्ट्रपति ने इस तथ्य पर भी प्रकाश डाला कि जन धन योजना, आधार-मोबाइल लिंकेज, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी), पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, लखपति दीदी, किसानों के लिए पीएम-किसान, मुद्रा योजना और पीएम स्वनिधि जैसी पहलों के जरिए पिछले एक दशक में 25 करोड़ से अधिक लोग अत्यधिक गरीबी के जाल से बाहर निकल आए हैं।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी धर्म, कर्तव्यबोध और सेवाभाव पर आधारित भारत के सभ्यतागत मूल्यों से प्रेरणा लेते हैं। उन्होंने हमें याद दिलाया कि एक मजबूत राष्ट्र केवल शक्ति से नहीं, बल्कि चरित्र और एकता से बनता है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रधानमंत्री के लिए कोई भी लक्ष्य कभी बहुत दूर या बहुत कठिन नहीं होता, क्योंकि वे निरंतर 1.40 अरब भारतीयों की शक्ति से ताकत प्राप्त करते रहते हैं। उन्होंने कहा कि जनता की सामूहिक क्षमता में प्रधानमंत्री के अटूट विश्वास ने स्वच्छ भारत अभियान को जनभागीदारी के एक जन आंदोलन में बदल दिया और नागरिकों में “स्वच्छता ही सेवा है” की भावना का संचार किया। उन्होंने आगे कहा कि इसी विश्वास ने प्रधानमंत्री को कोविड संकट के दौरान भारत को आत्मनिर्भरता के पथ पर दृढ़ता से आगे बढ़ाने का साहस दिया।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि एक दशक पहले, भारत को पांच नाजुक अर्थव्यवस्थाओं में गिना जाता था। आज, भारत गर्व से दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और यह जल्द ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह महज एक आर्थिक उपलब्धि भर नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय अनुशासन, आत्मनिर्भरता और राष्ट्र प्रथम की भावना का परिणाम है जो देश की विकास यात्रा का मार्गदर्शन करती है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह देखकर बहुत खुशी होती है कि विकसित भारत का सपना आंखों में चमक रहा है और राष्ट्र प्रथम का सिद्धांत हर नागरिक के दिल में गूंज रहा है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि विरासत, इतिहास, भाषा और संस्कृति के प्रति नए सिरे से प्रेम देश के अमृत काल का प्रतीक है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि ये पुस्तकें पाठकों को ‘नए भारत’ की शक्ति एवं आकांक्षाओं को समझने में मदद करेंगी और उन्हें 2047 तक विकसित भारत के निर्माण हेतु इस अमृत काल में अपने कर्तव्यों के प्रति समर्पित रहने के लिए प्रेरित करेंगी।

उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने इन खंडों को प्रकाशित करने के लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय तथा प्रकाशन विभाग की टीम को बधाई दी।

इस कार्यक्रम में माननीय सूचना और प्रसारण, रेलवे, तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, माननीय उपराष्ट्रपति के सचिव अमित खरे, सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव संजय जाजू, भारतीय प्रेस परिषद की अध्यक्ष न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई, सांसद निशिकांत दुबे एवं योगेश चंदोलिया, दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, इंदिरा गांधी दिल्ली महिला तकनीकी विश्वविद्यालय, नेताजी सुभाष प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति और प्रख्यात पत्रकार उपस्थित थे।

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