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केंद्रीय राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने जलवायु परिवर्तन पर भारत की राष्ट्रीय अनुकूलन योजना (NAP) पर राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया

केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने आज जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय अनुकूलन योजना पर आयोजित राष्ट्रीय स्तरीय कार्यशाला में अपने उद्घाटन भाषण में कहा, “आज हम जो राष्ट्रीय अनुकूलन योजना (एनएपी) बना रहे हैं, वह विकसित भारत की ओर हमारे कदम की आधारशिला होगी।” कार्यशाला का आयोजन केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा नई दिल्ली के भारत मंडपम में चल रहे ग्रीन क्लाइमेट फंड रेडीनेस प्रोग्राम के तहत किया गया था।

कार्यशाला में हितधारकों के साथ मिलकर क्षेत्रीय अनुकूलन प्राथमिकताओं की पहचान करने और नौ प्रमुख क्षेत्रों में क्षेत्रीय कमज़ोरियों को समझने पर ध्यान केंद्रित किया गया। इनमें जल, कृषि, आपदा प्रबंधन और बुनियादी ढांचा लचीलापन, स्वास्थ्य, वन, पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता, गरीबी उन्मूलन और आजीविका, पारंपरिक ज्ञान और विरासत और भारत की आगामी पहली राष्ट्रीय अनुकूलन योजना (एनएपी) के तहत शामिल अनुकूलन संसाधन आदि शामिल हैं। परामर्श में लिंग, पारंपरिक ज्ञान और अनुकूलन रणनीतियों में प्रौद्योगिकी सहित क्रॉस-कटिंग विषयों की भी खोज की गई।

इस अवसर पर बोलते हुए कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गतिशील नेतृत्व में भारत ने जलवायु परिवर्तन से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि जलवायु कार्रवाई, पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास से संबंधित वैश्विक मुद्दों से निपटने के मामले में अब देश दुनिया भर के देशों के लिए प्रेरणास्रोत बनकर उभरा है। उन्होंने यह भी कहा कि 2047 तक विकसित राष्ट्र का दर्जा हासिल करने की भारत की महत्वाकांक्षा मूल रूप से समावेशी और सतत विकास के दृष्टिकोण पर आधारित है।

कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि भारत की राष्ट्रीय अनुकूलन योजना केवल एक दस्तावेज नहीं है, बल्कि एक गतिशील प्रक्रिया है, जो समय के साथ विकसित हो रही है, विज्ञान और नवाचार द्वारा संचालित है, तथा जमीनी हकीकतों द्वारा निर्देशित है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह इस बात का खाका होगा कि हम आर्थिक क्षेत्रों में राष्ट्रीय विकास योजनाओं और नीतियों में अनुकूलन को कैसे एकीकृत करते हैं, जिससे एक व्यवस्थित और दीर्घकालिक दृष्टिकोण सुनिश्चित होता है। मंत्री ने कहा कि यह कृषि, जल संसाधन, हिमालयी क्षेत्र, तटीय क्षेत्रों, स्वास्थ्य, आपदा प्रबंधन आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में जलवायु संबंधी जोखिमों के प्रति लचीलापन बनाने और भेद्यता को कम करने में योगदान देगा।

मंत्री महोदय ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत का लक्ष्य एक व्यापक और समावेशी अनुकूलन योजना विकसित करना है जो सतत विकास लक्ष्यों के साथ संरेखित हो और सभी क्षेत्रों और क्षेत्रों के लिए जलवायु लचीलापन सुनिश्चित करे। उन्होंने कहा कि भारत के लिए पहचानी गईं एनएपी प्राथमिकताएं त्रिस्तरीय हैं: ज्ञान प्रणालियों को मजबूत करना, जलवायु जोखिमों के जोखिम को कम करना और अनुकूलन क्षमता को बढ़ाना। कीर्ति वर्धन सिंह ने जोर देकर कहा कि अनुकूलन केवल एक विकल्प नहीं बल्कि एक परम आवश्यकता है। मंत्री महोदय ने कहा कि यह एक बार की कवायद नहीं है, बल्कि यह एक सतत चक्र है – योजना बनाना, कार्यान्वयन करना, सीखना और परिष्कृत करना।

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव तन्मय कुमार ने इस बात पर जोर दिया कि भारत की अनुकूलन योजना नवीनतम जलवायु डेटा, प्रमाणित शोध और जोखिम आकलन द्वारा निर्देशित होगी तथा मौजूदा नीतियों और कार्यक्रमों के साथ संरेखित होगी। उन्होंने यह भी बताया कि भारत की एनएपी आठ प्रमुख सिद्धांतों जैसे देश-संचालित, एकीकृत और बहु-क्षेत्रीय, लिंग-उत्तरदायी, भागीदारीपूर्ण और पारदर्शी, कमजोर समूहों, समुदायों और पारिस्थितिकी तंत्रों को शामिल करना, विज्ञान-संचालित और पारंपरिक ज्ञान से प्रेरित, पुनरावृत्तीय और अनुकूलन तथा समन्वित ‘संपूर्ण सरकार’ और ‘संपूर्ण समाज’ दृष्टिकोण के माध्यम पर आधारित होगी। उन्होंने जलवायु परिवर्तन से निपटने में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली को अपनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए ‘मिशन लाइफ’ पर भी जोर दिया। जलवायु परिवर्तन से निपटने में प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए गए ‘एक पेड़ मां के नाम’ की भूमिका पर भी जोर दिया गया।

कार्यशाला में बोलते हुए, भारत में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की रेजिडेंट प्रतिनिधि डॉ. एंजेला लुसिगी ने भारत में प्रमुख क्षेत्रों में जलवायु अनुकूलन को शामिल करने में एनएपी की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने यह भी बताया कि राष्ट्रीय अनुकूलन योजना (एनएपी) एक नीति दस्तावेज से कहीं अधिक है। यह जलवायु लचीलापन बनाने और सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए एक रणनीतिक रोडमैप के रूप में कार्य करती है।

अतिरिक्त सचिव (पर्यावरण एवं वन मंत्रालय) नरेश पाल गंगवार ने बताया कि भारत की एनएपी हमारी अनुकूलन एवं लचीलापन प्राथमिकताओं और आगे की कार्रवाइयों का मार्गदर्शन करेगी। आर्थिक सलाहकार (पर्यावरण एवं वन मंत्रालय) राजश्री रे ने भारत की चल रही एनएपी प्रक्रिया, भेद्यता और अनुकूलन आवश्यकताओं के बारे में जानकारी दी।

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