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केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया सिंह पटेल ने आज सऊदी अरब के जेद्दा में एएमआर पर चौथे उच्च स्तरीय मंत्रिस्तरीय सम्मेलन को संबोधित किया

केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया सिंह पटेल ने आज सऊदी अरब के जेद्दा में एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (एएमआर) पर चौथे मंत्रिस्तरीय उच्च स्तरीय वैश्विक सम्मेलन को संबोधित किया। सम्मेलन का विषय ‘घोषणा से कार्यान्वयन तक – एएमआर की रोकथाम के लिए बहुक्षेत्रीय भागीदारी के माध्यम से कार्रवाई में तेजी लाना’ था।

इस अवसर अनुप्रिया सिंह पटेल ने कहा, “एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध सेहत पर एक वैश्विक खतरा है, जिसके लिए ‘वन हेल्थ’ दृष्टिकोण के साथ तत्काल कार्रवाई की जरूरत है, जो मानव, पशु और पौधों के स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण और अन्य प्रासंगिक क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देता है।”

एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (एएमआर) पर घोषणा में की गई प्रतिबद्धताओं को लागू करने के लिए व्यावहारिक कदमों की रूपरेखा तैयार करते हुए, अनुप्रिया सिंह पटेल ने निगरानी को मजबूत करने, सहयोग को बढ़ावा देने और एंटीमाइक्रोबियल पहुंच में महत्वपूर्ण बाधाओं को दूर करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “भारत सभी क्षेत्रों में एएमआर का पता लगाने और निगरानी क्षमताओं में सुधार करने के उद्देश्य से एक व्यापक दृष्टिकोण का प्रस्ताव करता है, इससे स्थानीय और राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर साक्ष्य-आधारित एंटीमाइक्रोबियल उपयोग को निर्देशित करने के लिए डेटा का उपयोग सक्षम हो सकेगा। यह सभी क्षेत्रों में एकीकृत और अंतर-संचालन योग्य निगरानी प्रणालियों के निर्माण की नींव रखेगा।”

भारत के प्रस्तावों में एएमआर के खिलाफ कार्रवाई में शासन को बढ़ाने के लिए स्थायी वित्तपोषण और अनुसंधान निवेश को प्राथमिकता देने के साथ ही प्रभावी शासन के लिए स्पष्ट जवाबदेही ढांचे की स्थापना शामिल है। भारत 2025 में एएमआर मल्टी-पार्टनर ट्रस्ट फंड के निर्माण और चतुर्पक्षीय संगठनों द्वारा एएमआर पर कार्रवाई के लिए साक्ष्य पर एक स्वतंत्र पैनल की स्थापना का भी समर्थन करता है।

अनुप्रिया सिंह पटेल ने विशेष रूप से चतुर्पक्षीय संयुक्त सचिवालय के माध्यम से क्षेत्रीय और बहुक्षेत्रीय सहयोग और समन्वय को मजबूत करने में सदस्य देशों को अधिक मदद का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “भारत विकासशील देशों, विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों (एलएमआईसी) में एंटीमाइक्रोबियल, परीक्षण और टीकों तक पहुंच और उन्हें किफायती बनाए रखने में बाधाओं को दूर करने के महत्व पर भी जोर देता है। उन्होंने कहा कि प्रस्ताव में इसका एक प्रमुख समाधान स्थानीय या क्षेत्रीय विनिर्माण केंद्रों की स्थापना और समान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए नियामक तंत्र को मजबूत करना बताया गया है।”

अनुप्रिया सिंह पटेल ने एएमआर से संबंधित मौतों की आधारभूत दरों की गणना करने के लिए सांख्यिकीय मॉडलिंग में क्षमता निर्माण की जरूरत पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इससे सदस्य देशों को यूएनजीए राजनीतिक घोषणा में प्रतिबद्ध एएमआर से संबंधित मौतों को 10 प्रतिशत तक कम करने के वैश्विक लक्ष्य की दिशा में प्रगति को ट्रैक करने में मदद मिलेगी।

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि एएमआर में योगदान देने वाले कारक अलग-अलग देशों और क्षेत्रों में अलग-अलग हैं, और इसलिए, इस चुनौती से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए स्थानीय संदर्भ के अनुसार कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा, “भारत एएमआर से निपटने में वैश्विक प्रयासों का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है, साथ ही यह सुनिश्चित करता है कि समाधान संदर्भ-विशिष्ट और टिकाऊ हों।”

एएमआर पर चौथे मंत्रिस्तरीय उच्च-स्तरीय सम्मेलन में जारी ‘जेद्दा कमिटमेंट्स’ ने एएमआर पर यूएनजीए एचएलएम से राजनीतिक घोषणा को तत्काल कार्रवाई के लिए व्यावहारिक प्रतिबद्धताओं में बदलने का संकल्प लिया। इसमें बहुआयामी वन-हेल्थ चुनौतियों का सम्मान करते हुए राष्ट्रीय एएमआर बहु-क्षेत्रीय समन्वय निकाय बनाने की प्रतिबद्धता भी शामिल है। राष्ट्रीय एएमआर समितियों के रूप में समन्वय निकायों में सभी संबंधित सरकारी विभागों, एजेंसियों, उपयुक्त विधायी निकायों, निजी क्षेत्र और नागरिक समाज के प्रतिनिधि शामिल होंगे, ताकि राष्ट्रीय कार्य योजनाओं (एनएपी) के वित्तपोषण और निगरानी को पूरी तरह से लागू किया जा सके और लागू होने पर देशों के भीतर एआई प्रगति का उपयोग करके सटीक डेटा एकत्र किया जा सके तथा नियमित रूप से वैश्विक निगरानी में रिपोर्ट की जा सके। एएमआर बहुक्षेत्रीय समन्वय निकाय साक्ष्य को सदस्य देशों के भीतर प्रभावी अंतर-विभागीय और क्षेत्रीय नीति निर्माण में बदलने में मदद करेंगे।

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