भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (डीएचआर) ने कल नई दिल्ली स्थित सुषमा स्वराज भवन में स्वास्थ्य अनुसंधान तंत्र को मज़बूत करने पर एक उच्च-स्तरीय क्षेत्रीय संवाद के लिए भूटान, नेपाल, श्रीलंका, तिमोर-लेस्ते और भारत के प्रतिनिधियों को बुलाया। यह बैठक दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई इस पहल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि स्वास्थ्य अनुसंधान सीधे नीति निर्माण को प्रभावित करे, क्षेत्रीय प्राथमिकताओं को समाधान करे और भविष्य के लिए दीर्घकालिक प्रणालियो के निर्माण में सहायक बने।
विचार-विमर्श में प्रख्यात विशेषज्ञों और गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति रही सत्रों की अध्यक्षता नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. पॉल, फार्मास्यूटिकल्स विभाग के सचिव अमित अग्रवाल, भारत के औषधि महानियंत्रक डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी, पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएचएफआई) के मानद विशिष्ट प्रोफेसर प्रो. डॉ. के. श्रीनाथ रेड्डी, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) की सदस्य डॉ. शमिका रवि, अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एएनआरएफ) के सीईओ डॉ. शिवकुमार कल्याणरमन, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के पूर्व सचिव राजेश भूषण और जैव प्रौद्योगिकी विभाग की पूर्व सचिव डॉ. रेणु स्वरूप ने की।
मेड-टेक नवाचार में भारत की प्रगति को साझा करते हुए, इस विषय पर एक सत्र की अध्यक्षता करते हुए, औषधि विभाग के सचिव अमित अग्रवाल ने कहा कि, “भारत आज स्वास्थ्य के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान और नवाचार में सबसे आगे है। मैं अपने अनुसंधान मंच भागीदारों से भारत के मुक्त नवाचार प्लेटफार्मों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ने का आग्रह करता हूँ, ताकि हम मिलकर स्टार्ट-अप को बढ़ावा दे सकें, मेडटेक की सफलताओं को गति दे सकें, और ऐसे किफायती समाधान प्रदान कर सकें जो आर्थिक विकास और व्यापक जनहित दोनों के लिए उपयोगी हों।”
बैठक के फॉरवर्ड सत्र को संबोधित करते हुए, डॉ. राजीव बहल डीएचआर सचिव और आईसीएमआर महानिदेशक, ने कहा कि “वैश्विक साझेदारी और विज्ञान कूटनीति हमेशा से भारत की रणनीति का केंद्र रही है। दक्षिण-दक्षिण सहयोग हमारी प्राथमिकता जिसे संयुक्त परियोजनाओं और क्षमता निर्माण के माध्यम से आगे बढ़ाया जा रहा है ताकि क्षेत्र एक-दूसरे की विशेषज्ञता से लाभान्वित हो। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि विज्ञान और अनुसंधान का सीधा लाभ लोगों तक पहुंचे।
प्रतिनिधियों ने कई महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर आम सहमति बनाई:
आईसीएमआर ने साझा नैतिकता समीक्षा प्रपत्रों और मुफ़्त ऑनलाइन प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों सहित अपने उपकरण और संसाधन साझा करने की पेशकश की, ताकि अनुसंधान प्रणालियों के निर्माण के प्रारंभिक चरण में मौजूद देश उन्हें बिना नई शुरुआत किए अपना सकें। भविष्य को देखते हुए, देशों ने सहयोग के लिए संरचित तंत्र स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की, जिसमें वार्षिक/अर्धवार्षिक सम्मेलन, विनिमय दौरे, और अनुसंधान विधियों, नैतिकता, अनुदान लेखन और विज्ञान संचार में संयुक्त क्षमता निर्माण कार्यक्रम शामिल हैं।
बैठक का समापन ज्ञान-साझाकरण से संयुक्त कार्रवाई की ओर बढ़ने की सामूहिक प्रतिबद्धता के साथ हुआ, जिसमें प्रत्येक देश विशिष्ट विषयगत क्षेत्रों जैसे कि वन हेल्थ, महामारी की तैयारी, संक्रामक रोग, वेक्टर जनित रोग, गैर-संचारी रोग, मातृ स्वास्थ्य और चिकित्सा नवाचार पर नेतृत्व करने के अवसरों की खोज करेगा, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि पूरे क्षेत्र में स्वास्थ्य अनुसंधान सीधे क्षेत्रीय आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं का जवाब दे।
इस कार्यक्रम में कम्युनिटी एम्पावरमेंट लैब के संस्थापक और सीईओ डॉ. विश्वजीत कुमार और आईसीएमआर के कई वरिष्ठ नेता भी शामिल हुए, जिनमें डॉ. संघमित्रा पति मनीषा सक्सेना, डॉ. आरएस धालीवाल, डॉ. रोली माथुर, डॉ. तरूणा मदान, डॉ. तनवीर कौर और डॉ. निवेदिता गुप्ता शामिल थे, जिन्होंने मॉडरेटर के रूप में चर्चा का संचालन किया।
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