राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीजी), मसूरी में आज से मालदीव के सिविल सेवकों के लिए 33वें क्षमता निर्माण कार्यक्रम की शुरुआत हुई। दो सप्ताह तक चलने वाला ये कार्यक्रम विदेश मंत्रालय (एमईए) की साझेदारी में 9 सितंबर से 20 सितंबर तक चलेगा। गौरतलब है कि एनसीजीजी और सीएससी, मालदीव के बीच हुए समझौते के नवीनीकरण के बाद दूसरे चरण के तहत ये पहला कार्यक्रम है, जिसके अंतर्गत 2024-2029 तक मालदीव के 1000 सिविल सेवकों को प्रशिक्षित किया जाएगा। वर्ष 2024 से 2029 तक के लिए किए गए इस समझौते पर भारत के विदेश मंत्री, डा. एस. जसशंकर और मालदीव के विदेश मंत्री मूसा ज़मीर ने हस्ताक्षर किए थे। इस कार्यक्रम में मालदीव के प्रमुख मंत्रालयों और विभागों से 34 सिविल सेवक हिस्सा ले रहे हैं, जिनमें सहायक निदेशक, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, परिषद के अधिकारी, शिक्षक और सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी शामिल हैं।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग में सचिव और राष्ट्रीय सुशासन केंद्र के महानिदेशक श्री वी. श्रीनिवास ने की। अपने पहले संबोधन में उन्होंने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और वर्ष 2019-2024 तक आयोजित हुए क्षमता निर्माण कार्यक्रम के पहले चरण की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला, जिसके तहत करीब 1000 सिविल सेवकों ने एनसीजीजी में प्रशिक्षण लिया था। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से कार्यक्रम के पहले चरण में स्थाई सचिव, पूर्व राष्ट्रपति, सिविल सेवा आयोग के सदस्य और प्रमुख विभागों एवं मंत्रालयों से कई प्रमुख हस्तियां और प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था, उससे आगामी कार्यक्रम के लिए प्रेरणा मिलेगी।
उन्होंने भारत के शासन मॉडल के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि किस प्रकार ‘अमृत काल’ या ‘विज़न 2047’ में प्रवेश करने के साथ ही इसके कार्यक्षेत्र, पैमाने और आकार में बदलाव आया है। उन्होंने अगली पीढ़ी के सुधारों का भी उल्लेख किया जिन्हें अंतिम छोर तक संपर्क साधने के लक्ष्य से तैयार किया गया है। श्री स्रीनिवास ने बताया कि किस प्रकार डिजिटल तकनीक, बेहतर नीति निर्माण, सेवा वितरण, संस्थानों में बदलाव और आम जन को सरकार के करीब लाने में अहम भूमिका निभा रही है। चर्चा के दौरान उन्होंने ये भी बताया कि किस तरह संस्थानों का डिजिटलीकरण, पारदर्शिता और जवाबदेही लाने, संस्थानों में बदलाव लाने और सुशासन के लिए ज़रुरी है। उन्होंने केंद्र सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों की भी विस्तार से चर्चा की, जिनकी वजह से लोक शिकायत निवारण प्रक्रिया, पेंशन कल्याण, आवास, स्वास्थय सेवाएं, महिला एवं बाल कल्याण से जुड़ी पहलों के ज़रिए जनता की कई समस्याओं का समाधान हुआ है। इसके अलावा इन योजनाओं और कार्यक्रमों से प्रधानमंत्री पुरस्कार और एनईएसडीए के तहत राज्यों की रैंकिंग जैसी प्रतियोगिताओं के लिए भी सकारात्मक प्रतियोगिता की भावना आई है। उन्होंने अधिकारियों को समूह में कार्य करने के लिए और वर्तमान में जारी प्रमुख नीतियों और कार्यक्रमों पर प्रस्तुति देने के लिए भी प्रोत्साहित किया।
मालदीव के सिविल सेवा आयोग की वित्तीय कार्यकारी अधिकारी और मालदीव प्रतिनिधिमंडल की टीम लीडर श्रीमती फतमात इनाया ने इस अवसर के लिए भारत सरकार के प्रति आभार व्यक्त करते हुए उम्मीद जताई कि इस कार्यक्रम के ज़रिए प्रतिभागियों को काफी चीज़ें सीखने को मिलेंगी।
एनसीजीजी के असोसिएट प्रोफसर और कार्यक्रम के लिए पाठ्यक्रम समन्वयक डा. बीएस बिष्ट ने राष्ट्रीय सुशासन केंद्र और विगत वर्षों में केंद्र द्वारा हासिल की गई प्रमुख उपलब्धियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। एक विस्तृत प्रस्तुति में उन्होंने एनसीजीजी के उद्देश्यों, गतिविधियों, उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी और बताया कि किस प्रकार से ये संस्थान एक श्रेष्ठ केंद्र बनकर उभरा है। कार्यक्रम के दौरान ये जानकारी भी दी गई कि एनसीजीजी ने अब तक दुनिया के 33 देशों के सिविल सेवकों को प्रशिक्षण दिया है, जिनमें बांग्लादेश, केन्या, तंजानिया, ट्यूनीशिया, सेशेल्स, गाम्बिया, मालदीव, श्रीलंका, अफगानिस्तान, लाओस, वियतनाम, नेपाल, भूटान, म्यामां, इथियोपिया, इरिट्रिया, सोमालिया, दक्षिण अफ्रीका, इंडोनेशिया, मेडागास्कर, फिजी, मोज़ाम्बिक, कंबोडिया समेत अन्य देश शामिल हैं।
खास बात ये है कि 8 जून 2019 को हुए समझौते के तहत मिले जनादेश को पूरा करते हुए एनसीजीजी ने मालदीव के स्थाई सचिवों, महासचिवों और उच्च स्तरीय प्रतिनिधियों समेत 1000 सिविल सेवकों को प्रशिक्षण प्रदान किया है। इनमें मालदीव के सिविल सेवकों के लिए क्षेत्र प्रशासन पर आधारित 32 क्षमता निर्माण कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिसमें भ्रष्टाचार रोधी आयोग(एसीसी) और मालदीव सूचना आयोग कार्यालय( आईसीओएम) के वरिष्ठ स्तर के अधिकारियों के लिए कार्यक्रम भी शामिल है। वर्तमान कार्यक्रम के ज़रिए अगस्त 2024 में समझौते के नवीनीकरण के बाद दूसरे सत्र के तहत कौशल निर्माण कार्यक्रमों की शुरूआत हुई है। वर्ष 2024-25 में 175 सिविल सेवकों को शामिल करने का लक्ष्य रखते हुए पांच कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
उद्घाटन सत्र में एनसीजीजी की मुख्य प्रशासनिक अधिकारी श्रीमती प्रिस्का पॉली मैथ्यू भी उपस्थित थीं। इस कार्यक्रम का पर्यवेक्षण और समन्वय, पाठ्यक्रम समन्वयक डा. बी.एस. बिष्ट, पाठ्यक्रम के सह-समन्वयक डा. संजीव शर्मा, प्रशिक्षण सहायक श्री ब्रिजेश बिष्ट और युवा प्रोफेशनल कु. मोनिशा बहुगुणा एवं एनसीजीजी की कौशल निर्माण टीम द्वारा किया जाएगा।
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