सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति में उप-वर्गीकरण की अनुमति देने संबंधी फैसला सुनाया
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व में सर्वोच्च न्यायालय में सात न्यायाधीशों की एक पीठ ने आज बहुमत से राज्य विधानमंडल द्वारा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के भीतर उप-वर्गीकरण की अनुमति देने संबंधी फैसला सुनाया।
सर्वोच्च न्यायालय ने 2004 के ईवी चिन्नैया के फैसले को खारिज कर दिया। ई वी चिन्नैया ने अपने फैसले में कहा था कि अनुसूचित जाति के आरक्षण का उप-वर्गीकरण भर्तियों और सरकारी नौकरियों में स्वीकार्य नहीं है।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड ने अपने फैसले में ऐतिहासिक साक्ष्य का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जनजाति ऐसा वर्ग नहीं है, जिसमें सबकी एक समान स्थिति हो। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इसका उप-वर्गीकरण संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं है। अनुच्छेद 15 और 16 किसी राज्य को एक जाति का उप-वर्गीकरण करने से नहीं रोकते हैं।
तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने अनुसूचित जातियों के वर्गीकरण को लेकर सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले का स्वागत किया है। राज्य विधानसभा के एक वक्तव्य में उन्होंने अनुसूचित जातियों के वर्गीकरण के लिए लंबे दिनों तक चले संघर्ष की सराहना की। भारतीय जनता पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, कांग्रेस और भारत राष्ट्र समिति सहित विधानसभा में लगभग सभी राजनीतिक पार्टियों ने इस ऐतिहासिक फैसले का स्वागत किया।