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विद्युत क्षेत्र की वित्तीय व्यवहार्यता के लिए एआई और डिजिटल नवाचारों का उपयोग किया जाना चाहिए: श्रीपद येसो नाइक

केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री श्रीपद येसो नाइक ने आज लखनऊ में विद्युत वितरण उपयोगिताओं की व्यवहार्यता से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए गठित मंत्रिसमूह की तीसरी बैठक की अध्यक्षता की।

इस बैठक में उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री ए. के. शर्मा, आंध्र प्रदेश के ऊर्जा मंत्री गोट्टीपति रवि कुमार, मध्य प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, महाराष्ट्र की ऊर्जा राज्य मंत्री मेघना साकोरे बोर्डिकर और उत्तर प्रदेश के ऊर्जा राज्य मंत्री सोमेंद्र तोमर शामिल हुए। इस बैठक में केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, सदस्य राज्यों की राज्य विद्युत कम्पनियों, पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) लिमिटेड और आरईसी लिमिटेड के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया।

अपने आरंभिक वक्तव्य में केंद्रीय राज्य मंत्री ने सदस्य राज्यों के ऊर्जा मंत्रियों का स्वागत किया तथा बैठक की मेजबानी के लिए उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री को धन्यवाद दिया। उन्होंने मंत्री समूह की पहली दो बैठकों के दौरान हुई चर्चाओं तथा विद्युत वितरण क्षेत्र में सुधार के लिए सदस्य राज्यों से अपेक्षित सामूहिक प्रयासों के बारे में बताया। उन्होंने वितरण उपयोगिताओं की देनदारियों के वित्तीय पुनर्गठन, उपयोगिताओं पर ब्याज का बोझ कम करने, भंडारण समाधानों के विकास, कृषि के लिए दिन के समय बिजली आपूर्ति की सुविधा के लिए एक तंत्र तैयार करने की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि समग्र विद्युत खरीद की लागत कम हो तथा सब्सिडी का बोझ कम हो।

मंत्री ने एआई और डिजिटल नवाचारों को लागू करने की आवश्यकता और विद्युत क्षेत्र की वित्तीय व्यवहार्यता के लिए लागत को दर्शाने वाला टैरिफ सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इन उपायों को लागू करने से उपयोगिताओं को वित्तीय स्थिरता में सुधार करने में सहायता मिलेगी। उन्होंने उदय जैसी योजना की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री ने अपने संबोधन में लखनऊ में मंत्री समूह की तीसरी बैठक आयोजित करने के लिए केंद्रीय राज्य मंत्री को धन्यवाद दिया। उन्होंने नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को अपनाने सहित विद्युत क्षेत्र में उत्तर प्रदेश राज्य की उपलब्धियों के बारे में बताया। उन्होंने सराहना की कि भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का देश के वितरण क्षेत्र को मजबूत और सक्षम बनाने में दूरगामी प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने ऊर्जा भंडारण समाधानों के साथ-साथ ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों के तेजी से विकास की आवश्यकता पर जोर दिया ताकि ऊर्जा संक्रमण और बढ़ती बिजली की मांग की भविष्य की चुनौतियों का सामना किया जा सके। माननीय मंत्री ने बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए मानव संसाधन विकास में सहायता करने के लिए भारत सरकार की भूमिका के महत्व का उल्लेख किया।

भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय के संयुक्त सचिव (वितरण) ने एक प्रस्तुति दी जिसमें मंत्री समूह की पहली दो बैठकों के दौरान ध्‍यान देने योग्‍य प्रमुख क्षेत्रों पर प्रकाश डाला गया तथा विचार-विमर्श के लिए व्यवहार्यता संबंधी चिंता को दूर करने के लिए हितधारकों (केन्द्र सरकार, राज्य सरकारें और विनियामक आयोगों) द्वारा किए जाने वाले उपायों का प्रस्ताव रखा।

विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में टाटा पावर डिस्ट्रीब्यूशन, ओडिशा ने अपनाई गई सर्वोत्तम व्‍यवस्‍थाओं तथा अपने डिस्कॉम्स को लाभदायक बनाने की दिशा में अपनी यात्रा को साझा किया।

सदस्य राज्यों ने बैठक में सक्रिय रूप से भाग लिया और राज्य डिस्कॉमों की समीक्षा की। उन्होंने डिस्कॉमों की वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए बहुमूल्य सुझाव दिए। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडु राज्यों ने इस विषय पर प्रस्तुतियां दीं।

वितरण कम्पनियों के बकाया ऋणों एवं घाटे को कम करने तथा उन्हें लाभ में लाने के उपायों की पहचान करने वाली कार्य योजना की रूपरेखा पर विस्तार से चर्चा की गई।

टैरिफ निर्धारित करने के लिए विनियामकों के प्रदर्शन की समीक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया गया। राज्यों द्वारा निजीकरण की पहल के लिए भारत सरकार के सहयोग का सुझाव दिया गया। इस बैठक में टैरिफ को अंतिम रूप देते समय नवीकरणीय ऊर्जा के वर्तमान स्तरों को शामिल करते हुए, क्षमता निर्माण और ओएंडएम लागतों की आवश्यकताओं सहित क्षेत्र में नवीनतम विकास के लिए विनियामकों को अनुकूलित करने की आवश्यकता पर भी चर्चा की गई। यह भी चर्चा की गई कि सरकारी विभागों के बकाए और सब्सिडी के भुगतान में देरी से डिस्कॉमों को कार्यशील पूंजी ऋण का सहारा लेना पड़ रहा है जिसे टैरिफ में नहीं डाला जा रहा है। ईंधन और विद्युत खरीद लागत समायोजन को टैरिफ में डालने में भी देरी हो रही है जिससे कार्यशील पूंजी की आवश्यकता हो रही है। इसे उपयोगिताओं की वार्षिक राजस्व आवश्यकताओं में नहीं माना जाता है। भविष्य के टैरिफ झटकों से बचने के लिए, टैरिफ को वार्षिक मुद्रास्फीति से जुड़ी टैरिफ वृद्धि से जोड़ने का सुझाव दिया गया।

मंत्रिसमूह ने अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और डिस्कॉमों की वित्तीय व्यवहार्यता में सुधार के लिए आवश्यक उपाय करने का संकल्प व्यक्त किया।

अपने समापन भाषण में माननीय केंद्रीय राज्य मंत्री ने विद्युत क्षेत्र को व्यवहार्य बनाने के लिए राज्यों द्वारा अधिक राजनीतिक इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प प्रदर्शित करने की आवश्यकता पर जोर दिया और सदस्य राज्यों से बैठक के दौरान व्‍यक्‍त विचारों पर काम करने का आग्रह किया। अगली मंत्री समूह बैठक में सुझावों के लिए अखिल भारतीय डिस्कॉम एसोसिएशन (एआईडीए) को आमंत्रित करने की सिफारिश की गई।

यह भी सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि मंत्री समूह की चौथी बैठक अप्रैल माह में आंध्र प्रदेश में आयोजित की जाएगी।

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